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आश्रम एवम बाबाओं से पीड़ित लड़कियों की हिम्मत दिखाने का वक़्त आ गया है

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राम रहीम को तो सज़ा मिल चुकी है.. मगर .. अब भी पूरे हिंदुस्तान में सेंकडो आश्रम ऐसे हैं जहाँ बाबा राम रहीम जैसे लोग मौजूद हैं और लड़कियां डर और समाज की वजह से आवाज़ नही उठा पाती हैं…
क्योंकि उन लड़कियों को भी यकीन हो चुका है कि हमारा समाज मुर्दा हो चुका है और कभी उनकी बातों पर उनके ही लोग यक़ीन नही करेंगे..
सलाम उन लड़कियों की हिम्मत को जिन्होंने अपनी जान जोखिम में डाल कर बाबा आशाराम और बाबा गुरमीत जैसे नापाक चेहरों को बे नक़ाब किया…उन्होंने यह साबित किया कि ज़रूरी नही की साधू संतों के रूप में भगवान रहते हों…उन लड़कियों की हिम्मत की जितनी तारीफ की जाए कम है क्योंकि उन्होंने दुनिया से लड़ कर पाखंडी बाबाओं के सच सबके सामने रख दिया और उन्हें सजा दिलवाई..
आज भी पूरे देश मे सैंकड़ो की तादाद में मौजूद आश्रम हैं जहां मासूम लड़कियां जो धार्मिक सुकून हासिल करने के लिए आश्रम में पनाह लेती हैं मगर उनके दादा के उम्र के उसी आश्रम के पाखंडी बाबा अपनी हवस का शिकार बनाते हैं..जब वो आवाज़ उठाती हैं तो समाज और ईशवर का डर दिखा कर उनकी आवाज़ को दबा दिया जाता है..और जो लड़कियां बिना डरे आवाज़ बुलंद करती हैं उनके खिलाफ तो उन्हें जान से हाथ धोना पड़ता है..
कुछ सालों से भक्ति के आश्रमों में जिस तरह की रासलीला का जो गंदा खेल सामने आया है उस को नोटिस करते हुए भारत सरकार को कोई स्पेशल टीम ऐसी बनानी चाहिए जो तमाम धार्मिक आश्रमों में जा कर वहाँ की लड़कियों की काउंसलिंग करें….शायद राम रहीम और आशाराम जैसे कई चेहरे और भी उजागर हों…
एक राम रहीम को तो सज़ा मिल गयी है मगर जो सैंकड़ों राम रहीम और आशाराम आज़ाद हैं उनको भी सज़ा मिलना बहुत ज़रुरी है..