किसानों की मौत के आंकड़े पर झूठ बोल रही है सरकार ?

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Sushma Tomar

संसद के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विपक्ष के एक सवाल पर लिखित जवाब दर्ज कराया है। अपने बयान में उन्होंने कहा, की कृषि मंत्रालय के पास किसानों की मौत का आंकड़ा नहीं है। ऐसे में उनके परिजनों को मुआवज़ा देने की बात ही नहीं बनती। यानी मंत्री जी ने सीधे सीधे ये कह दिया कि आंकड़ा नहीं तो मुआवज़ा नहीं। बता दें कि, मंगलवार को सत्र के दूसरे दिन विपक्ष ने सरकार से पूछा था कि आंदोलन में जो किसान शाहिद हुए थे उनके परिजनों को मुआवजा देने का कोई प्रस्ताव तैयार हुआ या नहीं।


सरकार के पास किसानों का आंकड़ा नहीं है :

तीनो विवादित कृषि कानून (farmar’s law) रद्द करने के बाद से किसान और विपक्षी दल लागातर सरकार से मांग कर रहे हैं कि, आंदोलन के दौरान जो किसान शहीद हुए हैं उनके परिजनों को मुआवज़ा दिया जाना चाहिए। मंगलवार को कोंग्रेस नेताओ ने इसी से जुड़ा एक सवाल सरकार से किया। पूछा कि शहीद हुए किसानों के परिजनों को मुआवजा देने के लिए कोई प्रस्ताव तैयार हुआ या नहीं ?

 

Photo : loksabha TV


इसके जवाब में बुधवार को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ( agriculture minister narendra singh tomar) ने कहा, की “कृषि मंत्रालय के पास किसानों की मौत का कोई आंकड़ा मौजूद नहीं है इसलिए मुआवज़े की कोई बात ही नहीं बनती।” इस के बाद से ये चर्चा का विषय बन गया है कि जिस सरकार के पास कोरोना से मौत का आंकड़ा है उसके पास 700 किसानों का आंकड़ा कैसे नहीं है।

विपक्ष ने क्या कहा :

कोंग्रेस मंत्री मनीष तिवारी (manish tiwari) लागातर शहीद किसानों के परिजनों को 5 करोड़ का मुआवजा देने की मांग को लेकर सरकार पर हमलावर है। उन्होंने किसानों की MSP की मांग का भी समर्थन किया है। संसद के शून्य काल में मनीष तिवारी ने कहा था, किसान आंदोलन ऐतिहासिक है, इससे कारण ही काले कानून वापस हो सके। लेकिन आंदोलन के एक साल में 700 से ज़्यादा किसान शहीद हुए हैं।

 

Photo : BBC


दूसरी और संसद में सरकार के जवाब पर सरकार को कटघरे में लेते हुए कोंग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (mallikarjun khadge) ने, सरकार के पास किसानों की मौत का आंकड़ा न होना, किसानों का अपमान बताया। उन्होंने कहा, “जिस सरकार के पास 700 किसानों की मौत का आंकड़ा नहीं है, उसने कोरोना पेंडेमिक के दौरान लाखो मौत का आंकड़ा कैसे जुटाया। मल्लिकार्जुन खड़गे ने आगे कहा, कोविड 19 से 50 लाख मौत हुई हैं, लेकिन सरकारी दस्तावेजों में ये आंकड़ा सिर्फ 4 लाख दर्ज है।

वहीं कोंग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला (randeep surjewala) ने सरकार के लिए एक ट्वीट में लिखा, “तोमर साहब, नाकामी छुपाने के लिए इतना बड़ा झूठ ! सच्चाई – 2020 में 10677 किसानों ने आत्महत्या की. इसमें 4090 किसान वो जिनके खुद के खेत हैं, 639 किसान जो ठेके पर जमीन ले खेती करते थे, 5097 वो किसान जो दूसरों के खेतों में काम करते थे. पिछले 7 सालों में 78303 किसान आत्महत्या कर चुके”

मुआवज़े के अलावा किसानों की ये हैं मांग :

पिछले एक साल से किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने ये केंद्र सरकार से मांग की थी कि जिन किसानों ने आंदोलन में अपनी जान गवाई हैं उनके परिजनों को मुआवजा दिया जाना चाहिए। इसके अलावा MSP पर गारंटी कानून और लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त करने की मांग भी की जा रही है।


किसान नेता राकेश टिकैत (rakesh tikeit) ने भी अपनी मांग सामने रखते हुए कहा, MSP पर गारंटी कानून बने, जिन किसानों ने अपनी जान गवाई उन्हें मुआवज़ा मिले, आंदोलन में किसानों पर दर्ज हुए मुकदमो को वापस लिया जाए। उन्होंने आगे कहा कि सरकार को हमसे बात करनी चाहिए, हमारा आंदोलन अभी खत्म नहीं हुआ है।


हम आंकड़ा देने को तैयार हैं :

जनसत्ता के मुताबिक, सरकार ने किसान मोर्चा से 5 नेताओ के नाम मांगे है जो सरकार से MSP पर बात करेंगे। दूसरी और किसान कमेटी के चीफ़ जगवीर सिंह चौहान ने सरकार पर झूठ बोलने का आरोप लगया है। उनका कहना है कि IB और दिल्ली पुलिस के पास हर तरह का डेटा उपलब्ध होता है। सरकार झूठ बोलती है कि उनके पास डेटा नहीं है, सरकार मुआवज़ा देने को तैयार है तो आंकड़ा उपलब्ध कराने को हम तैयार हैं।

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