सरकार प्रेस पर सेंसरशिप क्यों लगा रही है ?

Share
Sushma Tomar

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में पत्रकारों की मौजूदगी पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है। सरकार के मुताबिक ये कोरोना की गाइडलाइंस और कोरोना के कारण बिगड़ते हालात को देखते हुए फैसला लिया गया है। इसके विरोध में गुरुवार को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के सैकड़ों पत्रकारों ने मार्च निकाला। हालांकि, उन्हें रोकने के लिए दिल्ली पुलिस और अर्ध सुरक्षा बल वाले मौजूद रहे और लगभग आधे -एक घंटे के भीतर ही सभी पत्रकारों को वापस क्लब लौटना पड़ा।

इस बीच मार्च निकाल रहे पत्रकारों ने मीडिया और यूट्यूब चैनल के साथ बातचीत में बताया कि, कोरोना के कारण संसदीय पत्रकारों की संख्या में कमी की गई थी। जहाँ पहले ये संख्या 100 हुआ करती थी वहीं कोरोना के दौरान इसे 19 से 20 कर दिया गया था। लेकिन अब जब सभी सांसद और सरकारी मीडिया संसद में कवरेज के लिए आ रहा है तो बाकी पत्रकारों पर प्रतिबंध क्यों लगाया जा रहा।

 

संसद सिर्फ लाल रंग का गुम्बद नहीं :


मीडिया पर प्रतिबंध पर प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के प्रमुख उमाकांत लखेड़ा ने मीडिया से कहा, ” अगर संसद में पत्रकारों का प्रवेश रोक दिया जाएगा तो पत्रकार, वहां होने वाली राजनीतिक गतिविधियों, प्रेस कांफ्रेंस और डिस्कशन आदि में शामिल नहीं हो पाएंगे। उन्होंने आगे कहा कि संसद सिर्फ एक लाल रंग का गुम्बद नहीं है, सेशन के दौरान संसद खबरों का अड्डा होता है। संसद पत्रकारों के लिए सूचना का स्रोत है। वहीं कोंग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट करते हुए केंद्र सरकार पर निशान साधा और लिखा, ” जो पत्रकार पढ़ाएगा #भाजपा का पाठ, उसे ही मिलेगा संसद का पास” , मोदी जी ने पत्रकारिता को भी लॉटरी बना दिया। यही है न्यू इंडिया ।

 

लॉटरी सिस्टम से दी जाती है पत्रकारों को एंट्री :

बता दें कि, संसदीय पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों को स्पेशल पास दिया जाता है, यहाँ तक कि संसद में प्रेस गैलरी तक बनी होती है जहाँ पत्रकार जाकर संसदीय कार्यवाही का हिस्सा बनते हैं। यहाँ न केवल सेशन से जुड़ी खबरे मिलती हैं बल्कि अलग अलग नेताओ के साथ इनफॉर्मल बातचीत भी हो जाती है। जो शायद कैमरे के सामने होना मुश्किल है।

तस्वीर : TOI

लेकिन अब संसद में पत्रकारों को एंट्री को लॉटरी सिस्टम से डिसाइड किया जा रहा है, जो सही नहीं है। PCI (press club of india) के इस मार्च में कई पत्रकारों ने कहा, की ये सीधे तौर पर प्रेस की आज़ादी को छीना जा रहा है। भारत प्रेस की आज़ादी पर प्रतिबंध लगाने वाले देशों की सूची में शामिल हो गया। अब भारत की तुलना तानाशाह देशों से की जा रही है।

 

संसद से पत्रकारों को दूर रखा जा रहा है :

PCI के कुछ पत्रकारों ने कहा कि, सरकार क्या छुपाना चाहती है जो पत्रकारों को संसद से दूर रखा जा रहा है। हमसे कहा जा रहा है, की ख़बर संसद टीवी से कवर की जाए। लेकिन ये नहीं किया जा सकता, सरकारी चैनल सरकार के चैनल है जिनपर खबरें काटछांट कर दिखाई जाती।

ऐसे में स्वतंत्र पत्रकार ही विपक्ष का चेहरा बनता है, जो संसद में बोले जा रहे हर एक स्टेटमेंट पर ध्यान देता है। वो बताता है कि संसद में असल कार्यवाही क्या हुई। पत्रकारों का कहना है कि जिस संविधान ने सरकार को देश चलाने का काम दिया है उसी संविधान ने प्रेस को आज़ादी दी है की वो सच को उजागर करे।

 

सरकार बेरोज़गारी के लिए नया दरवाज़ा खोल रही है :

PCI प्रमुख उमाकांत लखेड़ा ने आगे कहा, की सरकार का ये कदम बोरोज़गारी के लिए एक नया दरवाज़ा खोलने जैसा है। वो कहते हैं कि बड़े बड़े संस्थान जिनके पास संसाधन हैं वो संसद कवर करने के लिए 6 से 8 पत्रकार रखते हैं। अगर आप कहते हैं कि संसद में सिर्फ एक ही पत्रकार जा सकता है तो बाकी पत्रकार संस्थान के लिए गैरजरूरी हो जाएंगे।
उन्होंने आगे कहा, की संसद कवर करने वाले अधिकतर पत्रकार 40 से 50 की उम्र के हैं।

तस्वीर : न्यूज़लॉन्ड्री


वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने न्यूज़लॉन्ड्री से बात चीत करते हुए कहा, ” पार्लियामेंट हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था का मंदिर कहा जाता है, हम पत्रकार वहाँ हो रही घटनाओं को जनता के सामने रखना चाहते हैं, मुझे लगता है कि ये हमारा अधिकार है और आप हमें इस अधिकार से महरूम नहीं कर सकते। ये गलत है क्यूंकि इससे मैसेज जा रहा है कि आपको हमारी ज़रूरत नहीं हैं। कोरोना का समय है, हम नहीं कहते कि आप पहले की तरह हमें पार्लियामेंट में जाने की व्यवस्था लागू करें, लेकिन पत्रकारों को रोकना ठीक नहीं है। संसद में हमें ख़बर मिलती है और आप ख़बरों से हमें दूर कर रहें हैं।”