क्या मध्यप्रदेश के मालवा अंचल को फ़िर से सांप्रदायिकता की पाठशाला बनाया जा रहा है ?

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यह बहुत दुखद है कि मध्य प्रदेश के मालवा इलाके को एक बार फिर साम्प्रदायिकता की पाठशाला के रूप में विकसित करने के प्रयास हो रहे हैं, जान लें मालेगांव धमाका, प्रज्ञा ठाकुर वाले सारे प्रकरण को देखें तो दिग्विजय सिंह की वह बात सच साबित होती है कि मालवा में हिंदूवादी लोग बम बनाने और चलाने के प्रशिक्षण देते हैं।

अभी कल ही इंदौर के चन्दन खेडी गाँव में मंदिर के लिए धन संग्रह करने रैली निकाली जा रही थी। भड़काऊ नारे और अश्लील गालियों के साथ नारंगी दुपट्टे वाले ये हिन्दू उपद्रवी कार्यकर्ता मस्जिद के सामने रुके और हनुमान चालीसा का पाठ करने लगे। इसी बात को लेकर बाइक से निकले लोगों का दूसरे पक्ष के कुछ लोगों से विवाद हो गया। लोगों ने पत्थर फेंकना शुरू कर दिए।

फिर पुलिस आई और मुसलमान लोगों को पीटना शुरू कर दिया विवाद मस्जिद से आगे निकलने के बाद हुआ। पुलिस ने 35 पत्थरबाजों को हिरासत में लिया है। अब पुलिस इन लोगों के खिलाफ रासुका में कार्यवाही करने जा रही है, दुर्भाग्य है कि कोरोना की दुहाई देने वाली सरकार अवैध रूप से जुलुस निकालने, भड़काऊ नारे लगाने पर मौन है।

यह सब जानबूझ कर हो रहा है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, कि अभी 25 दिसंबर शुक्रवार को ही इंदौर से सटे उज्जैन में भी लग भाग ऐसा ही हुआ था । वहां भी जुम्मे की नमाज़ के दौरान बेगमबाग क्षेत्र में राम मंदिर निर्माण को लेकर धन संग्रह करने के लिए निकले हिंदूवादी कार्यकर्ताओं की रैली ने मस्जिद के सामने नारेबाजी की थी और उसके बाद पर पथराव और गाड़ियों में तोड़फोड़ की गई थी। यहाँ पुलिस ने ना केवल मुसलमानों को गिरफ्तार किया बल्कि उनके घर भी जे सी बी से गिरा दिए। उज्जैन में भी बगैर अनुमति के जुलुस निकालने या नारे लगाने वालों से किसी ने पूछताछ तक नहीं की।

यह बात देवास से लेकर मंदसौर तक और जावरा, नामली, धार तक में चर्चा में है कि हिंदूवादी संगठन शिवराज के इस कार्यकाल को उत्तरप्रदेश के योगी सरकार की तरह “मुल्लों को टाईट” करने में इस्तेमाल करना चाहते हैं, ताकि अगले चुनाव में प्रवासी और दोगले दलबदलू कांग्रेसियों के सहारे न रहना पड़े।

अब दो ही रस्ते हैं — या तो मुस्लिम लोगों को इस तरह की भड़काऊ हरक़तों पर प्रतिक्रया न देने के लिए प्रशिक्षित किया जाए या फिर समाज का वह हिस्सा जो संविधान और पंथ निरपेक्षता में भरोसा रखता है मुखर हो कर सामने आये। साम्प्रदायिकता से मुकाबला एक लम्बी प्रक्रिया है, यह किसी घटना पर प्रतिक्रया देने से हल होने वाली नहीं लेकिन मध्य प्रदेश की इस तरह से दुर्गति होने से बच्चन हर एक सच्चे हिन्दुस्तानी का फ़र्ज़ है। क्या कोई मप्र हाई कोर्ट में इस बात के लिए जा सकता है कि कि इस तरह की रैली निकालने, नारे लगाने की अनुमति किसने दी ? यदि बगैर अनुमति के थे तो उस इलाके के पुलिस व् प्रशासन के कर्मचारियों पर कार्यवाही हो ?

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