क्या प्रधानमंत्री पर लिखे लेख को साझा और खुदकुशी के मामले पर नाराजगी जाहिर करना, हाईकोर्ट के जज लिए, कोई अनुपयुक्तता है?

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सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने एडवोकेट आर जॉन सत्यन को मद्रास हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने के अपने प्रस्ताव को दुबारा, केंद्र सरकार को भेजा है। उनका नाम पहले भी भेजा गया था, पर केंद्र सरकार ने इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए, उनका नाम खारिज कर दिया था। 

जिस आईबी रिपोर्ट का हवाला देते हुए केंद्र सरकार ने, उनका नाम खारिज कर दिया था, में अंकित है कि, “आर जॉन सत्यन ने, क्विंट वेबसाइट में प्रकाशित एक लेख साझा किया था जो प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के संबंध में लिखा गया था। उन्होंने ने द क्विंट में प्रकाशित इस तरह के एक लेख के साथ-साथ, 2017 में एक मेडिकल आकांक्षी की आत्महत्या को ‘राजनीतिक विश्वासघात’ और ‘भारत की शर्म’ के रूप में चित्रित करने वाली एक अन्य पोस्ट भी साझा की थी।” 

इस पर, कॉलेजियम ने अपने ताजा बयान में कहा

“आईबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि उनका कोई राजनीतिक झुकाव नहीं है। इस पृष्ठभूमि में, आईबी की प्रतिकूल टिप्पणियां उनके द्वारा किए गए पोस्ट के संबंध में निकाली गई हैं। यानी ‘द क्विंट’ में प्रकाशित एक लेख को साझा करना और एक अन्य पोस्ट से उनकी  प्रतिबद्ध समझ लेना उचित नहीं है। 2017 में एक मेडिकल आकांक्षी उम्मीदवार द्वारा आत्महत्या करने से श्री सत्यन की उपयुक्तता, चरित्र या अखंडता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।” 

16 फरवरी, 2022 को, भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने छह वकीलों – निदुमोलू माला, सुंदर मोहन, कबाली कुमारेश बाबू, एस सौंथर, अब्दुल गनी अब्दुल हमीद, और आर जॉन सत्यन के नामों की सिफारिश की थी। यह, मद्रास हाईकोर्ट कॉलेजियम द्वारा 2021 में शीर्ष अदालत से सिफारिश करने के बाद किया गया। जबकि अन्य नामों को मंजूरी दे दी गई थी और उन्हें उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्त भी किया जा चुका था, सत्यन और हमीद के नाम वापस भेज दिए गए थे। 

कॉलेजियम ने खुलासा किया कि, “उस समय के परामर्शदाता जजों – जस्टिस संजय किशन कौल, इंदिरा बनर्जी, वी रामासुब्रमण्यम और एमएम सुंदरेश – ने सत्यन को पदोन्नति के लिए उपयुक्त पाया था।” इसने आगे कहा कि “उनकी एक अच्छी व्यक्तिगत और पेशेवर छवि है, और उनकी ईमानदारी के खिलाफ कुछ भी प्रतिकूल नहीं है।” कोलेजियम ने सत्यन के हाईकोर्ट नियुक्ति प्रस्ताव को दुबारा भेजा है, 

“कॉलेजियम आगे अनुशंसा करता है कि उन्हें मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए इस कॉलेजियम द्वारा आज अलग से अनुशंसित कुछ नामों पर न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के मामले में वरीयता दी जाए।” 

क्या एक लेख जो पीएम के बारे में किसी वेबसाइट पर छपा हो को, यदि कोई एडवोकेट साझा कर देता है और एक लेख जो एक मेडिकल आकांक्षी छात्रा की खुदकुशी पर, उसे राजनीतिक विश्वासघात और भारत के लिए शर्म की बात कह कर अपनी भावना जाहिर करता हो तो क्या उसका यह आचरण, हाईकोर्ट के न्यायाधीश के लिए अनुपयुक्त माना जाएगा ? 

सरकार ने आईबी रिपोर्ट के साफ साफ यह लिखने के बावजूद कि सत्यम का कोई राजनैतिक झुकाव नहीं है, केवल दो लेख साझा करने पर, (यह लेख किसी अन्य लेखक ने लिखे हैं) कॉलेजियम की सिफारिश को, 2017 से ही, रोक रखा है। अब यह सिफारिश दूसरी बार की गई है, और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, यह अनुशंसा सरकार के लिए बाध्यकारी होगी। 

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