इंस्पेक्टर सुबोध कुमार के क़ातिलों को “भीड़” का नाम मत दीजिए प्लीज़…. वर्ना कई और सुबोध कुमार, कई और ज़ियाउल हक़ जैसे जम्हूरियत के रक्षक मौत के घाट उतारे जाते रहेंगे. और संविधान के क़ातिल भीड़ की “आड़” में छुपकर बचते रहेंगे.
याद रखिए, दादरी में शहीद किए गए अख़लाक़ साहब के फ़्रिज में रखे गोश्त को जांच के लिए लैब तक पहुंचाने वाले उस केस के IO सुबोध कुमार ही थे. लैब की “पहली” रिपोर्ट में कहा गया था कि गोश्त गाय का “नहीं” था.
उस वक़्त के युवा समाजवादी सीएम ने अपने जनेऊ की रक्षा के लिए केस किसी और आॉफ़ीसर के हवाले कर दिया. युवा सीएम यहीं नहीं रुका हिंदूराष्ट्र की पताका फहराने का सेहरा अपने सर करने के लिए सुबोध कुमार का तबादला कर बनारस भेज दिया. IO बदलने और फ़िर उसके तबादले पे जब सवाल उठे तो विभागीय रूटीन का शिगूफ़ा छुड़वा दिया. अख़लाक़ साहब के केस की सुनवाई इसी बरस के सितंबर से शुरू हो चुकी है. लाज़िमी है “अदलिया” इंस्पेक्टर सुबोध कुमार को तलब कर सकती है. फ़िर तो समाजवादी/हिंदू राष्ट्रवादियों के चेहरों से नक़ाब सरकने का अंदेशा पक्का…!! तब फ़िर क्या….???
दूरअंदेश लोग क़दम दर क़दम प्लानिंग तैयार रखते हैं साहब. ये वक़्त तो 100 बरस में हिंदूराष्ट्र स्थापना के वादे को वफ़ा करने के टार्गेट की अंतिम टाइमिंग का है तो सबका साथ सबका विकास की तर्ज़ पर चौतरफा “निपटान” वाला भी है. केंद्र और ख़ासकर यूपी राज्य की सरकारों के पास “बलूप्रिंट तैयार है- क्या-क्या, कैसे-कैसे, किसको ले देकर, किन-किनको निपटाकर, किस-किस रस्ते मंज़िल तक पहुंचना है. इसलिए निशाना तो “मछली की आंख” ही थी मगर वक़्त कैसा चुना?
इस्लामी इज़्तेमा का आख़िरी दिन, गाय का सिर्फ़ सिर मिलना, (हिंदू वादियों द्वारा सोशल मीडिया में एक तरफ़ मुसलमानों के भोजन में गाय परोसेने की अफ़वाहों और दूसरी तरफ़ मुस्लिम भीड़ के तथाकथित आतंक से डरे सहमे घरों में क़ैद हिंदू जैसे मैसेजेज़ की आवजाही) तैशुदा “हत्यारी” भीड़, लगे हाथों इज़्तेमा से लौटते (थोक में) निहत्थे मुसलमान मर्द. चितपावन ब्राह्मणी “हिंदूराष्ट्र” के लिए इससे ग़ज़ब (तथाकथित) संयोग कोई और हो ही नहीं सकता था…. मगर…स्याना के जांबाज़ पुलिस महकमे और संवैधानिक मर्यादा को बख़ूबी पहचानने वाले सुबोध कुमार जैसे अफ़सर की वजह से विफ़ल होते “आॅपरेशन हिंदूराष्ट्र” ने पहली सफ़ (क़तार) में ही अपनी क़ब्र खोद ली-और (असली टार्गेट) स्टेप नंबर टू को पहले अंजाम देकर इंस्पेक्टर सुबोध कुमार को क़त्ल कर दिया…..!!
जांच/तफ़्तीश होगी. ईमानदारी से होनी भी चाहिए(जिसकी उम्मीद ज़र्रा बराबर भी नहीं है) आने वाले घंटों /दिनों में जो भी ख़ुलासे/एक्सक्लूसिव आपके सामने आएं- लेकिन आप, 2019 में डूबती नैय्या को पार लगाने की फ़ासिस्ट जुगत से नज़र न हटाईयेगा वर्ना अफ़वाहों का शिकार होने से आप भी बच न पाएंगे…
ख़याल रहे हार के लौटती हुई सेना बहोत अराजक, उत्पाती और ख़ूंख़ार होती है… ये गिरोह कोई साधारण नहीं बर्बर यहूदियों का भारतीय चेप्टर है गुज़रे 4 बरसों में इनके हर गिरोही के हर तंबू में पनपाई जा रही आराजक बर्बरता से आप भी कुछ कुछ वाक़िफ़ हुए ही होंगे…. B’aware साथियों .. ख़तरा अभी टला नहीं है.