अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पिछले सप्ताह भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई ताजा झड़प के बाद विपक्ष ने केंद्र पर कई हमले किए हैं। इस मामले को मंगलवार को संसद में लाए जाने की संभावना है क्योंकि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने चर्चा की मांग की है। 2020 में दोनों देशों के सैनिकों को खोने के बाद एलएसी पर 9 दिसंबर की झड़प इस तरह की पहली घटना है। लद्दाख सेक्टर के गलवान में जून 2020 की घटना को लेकर गतिरोध के बाद पिछले तीन वर्षों में कई दौर की वार्ता हुई थी।
भारतीय सेना ने सोमवार को कहा कि अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर नौ दिसंबर को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी और इस झड़प में दोनों पक्षों के कुछ जवान मामूली रूप से घायल हो गए थे। पूर्वी लद्दाख में दोनों पक्षों के बीच 30 महीने से अधिक समय से सीमा पर गतिरोध के बीच दिसंबर को संवेदनशील सेक्टर में एलएसी के पास यांगत्से के पास झड़प हुई थी।
भारत और चीन के सैनिकों के बीच पिछले साल अक्टूबर में भी यांगत्से के पास संक्षिप्त झड़प हुई थी और तय प्रोटोकाल के अनुसार दोनों पक्षों के स्थानीय कमांडरों के बीच बातचीत के बाद इसे सुलझा लिया गया था। जून 2020 में गलवान घाटी में भीषण झड़प के बाद भारत और चीन के बीच संबंधों में काफी गिरावट आई, जो दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष है।
कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस विषय पर संसद में चर्चा पर जोर दिया है। उन्होंने कहा, ‘एक बार फिर हमारी भारतीय सेना के जवानों को चीनियों ने उकसाया है। हमारे जवानों ने दृढ़ तरीके से लड़ाई लड़ी और उनमें से कुछ घायल भी हुए हैं। हम राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर राष्ट्र के साथ एक हैं और इसका राजनीतिकरण नहीं करना चाहेंगे। लेकिन मोदी सरकार को अप्रैल 2020 से एलएसी के पास सभी बपॉईंटस पर चीनी अतिक्रमण और निर्माण के बारे में ईमानदार होना चाहिए। सरकार को संसद में इस मुद्दे पर चर्चा करके राष्ट्र को विश्वास में लेने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा, ”हम अपने सैनिकों की वीरता और बलिदान के हमेशा ऋणी रहेंगे।
Again our Indian Army soldiers have been provoked by the Chinese.
Our jawans fought in a resolute manner and a few of them have been injured too.
We are one with the nation on the issues of National Security and would not like to politicize it. But Modi Govt
should be honest..
1/— Mallikarjun Kharge (@kharge) December 12, 2022
न केवल कांग्रेस बल्कि लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस घटना के बारे में ट्वीट किया। उन्होंने कहा, ‘मैंने अरुणाचल प्रदेश में चीनी सैनिकों के साथ झड़प पर लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है।
उन्होंने कहा, ‘अरुणाचल प्रदेश से आ रही खबरें चिंताजनक और हमें सचेत करने वाली हैं। भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच एक बड़ी झड़प हुई और सरकार ने देश को कई दिनों तक अंधेरे में रखा है। संसद को सूचित क्यों नहीं किया गया, जबकि यह सत्र चल रहा है? उन्होंने कहा, ‘घटना का ब्योरा अस्पष्ट है। झड़प का कारण क्या था? क्या गोलियां चलाई गईं या यह गलवान की तरह थी? कितने सैनिक घायल हुए हैं? उनकी स्थिति क्या है? चीन को कड़ा संदेश देने के लिए संसद सैनिकों को अपना जन समर्थन क्यों नहीं दे सकती?
The reports coming from Arunachal Pradesh are worrying and alarming. A major clash took place between Indian and Chinese soldiers and the government has kept the country in the dark for days. Why was the Parliament not informed, when it is in session? https://t.co/tRyn0LvgOM
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) December 12, 2022
कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने यह भी कहा कि वह सीमा पर चीन की कार्रवाई पर सरकार को ‘जगाने’ की कोशिश कर रहे हैं लेकिन वह ‘अपनी राजनीतिक छवि बचाने’ के लिए चुप है।
भारतीय सेना के शौर्य पर हमें गर्व है।
सीमा पर चीन की हरकतें पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं।
पिछले दो साल से हम बार-बार सरकार को जगाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन मोदी सरकार केवल अपनी राजनीतिक छवि को बचाने के लिए इस मामले को दबाने में लगी है। इससे चीन का दुस्साहस बढ़ता जा रहा है।
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) December 12, 2022
सेना के एक आधिकारिक बयान के अनुसार, “पीएलए (चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) के सैनिकों की तवांग सेक्टर में एलएसी में गतिविधियां पाई गईं, जिसका अपने सैनिकों ने दृढ़ और मज़बूत तरीके से विरोध किया। इस झड़प में दोनों पक्षों के कुछ लोगों को मामूली चोटें आईं।