भारत जोड़ो यात्रा – सेल्फी और मोबाइल से दूर रहें भारत यात्री

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कन्या कुमारी से दीपक असीम

यहां रात से ही हल्की हल्की बारिश हो रही है और बादल छाए हुए हैं। पुलिस की जैसी गहमागहमी रात से है उससे लग रहा है कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन भी आज शाम मंच की शोभा बढ़ाएंगे। गांधी मंडपम के पास इतना बड़ा मंच बन रहा है कि उस पर 300 400 लोग आराम से बैठ सकते हैं। इतना बड़ा मंच बनाने की वजह यह है कि कांग्रेस डीएमके के बड़े नेताओं के साथ साथ 117 पदयात्री भी मंच पर बैठाए जाएंगे। सिविल सोसाइटी के लोग भी होंगे। सिविल सोसाइटी के कार्यकर्ता यहां अलग-अलग होटलों में ठहरे हैं। योगेंद्र यादव के आज पहुंचने की संभावना है।

सभी पद यात्रियों को भारत यात्री नाम दिया गया है। इन्हें सफेद ड्रेस में बुलवाया गया है। इनकी ट्रेनिंग भी चल रही है। समंदर किनारे जो बड़ा मंच बना है उसके पीछे सफेद ग्रीन रूम भी बनाया गया है। इसमें 4 बड़े-बड़े ऐसी लगे हैं। दो बाथरूम भी बनाए गए हैं। सभी भारत यात्रियों को निर्देश दिए गए हैं कि वह शाम 4:00 बजे सभा स्थल पर पहुंच जाएं। दिग्विजय सिंह जिस रिसोर्ट में ठहरे हैं उसका अगला हिस्सा भारत यात्रियों के होटल के सामने हैं और पिछला हिस्सा मंच के पास। उन्हें कहीं भी आने-जाने में 2 मिनट से ज्यादा नहीं लगेंगे और उन्हें ग्रीन रूम की भी जरूरत नहीं है। ग्रीन रूम तो दूसरे बड़े नेताओं के लिए हैं।

इस पद यात्रा का न सिर्फ आइडिया दिग्विजय सिंह का है बल्कि इसको पूरी तरह वही संचालित कर रहे हैं। दूसरा कोई नेता तो अभी तक दिखा भी नहीं है जबकि दिग्विजय सिंह कई दिनों से यही डेरा डाले हुए हैं। कल उन्होंने पद यात्रियों से बात भी की और उनका हौसला बढ़ाने की भी कोशिश की। सीसन होटल के तलघर में उन्होंने सभा ली और भारत यात्रियों से अनेक दिलचस्प बातें कहीं। उन्होंने कहा कि जो लोग भी यात्रा में शरीक हैं वह फिलहाल अपने फोटो व्हाट्सएप पर ना डालें। यात्रा दस पन्द्रह दिन हो जाएं तब वह अपने फोटो मीडिया को और दूसरे दोस्तों के ग्रुप में डाल सकते हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया इस यात्रा में खामियां निकालने के लिए बैठा हुआ है। अगर आप यात्रा से किसी कारण वापस चले गए तो मीडिया इसका फायदा उठाएगा। उनका आशय यही था कि अगर आप पैदल नहीं चल सके तो आप का मजाक बनाया जाएगा।

उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि शुरू के 10 15 दिन भारी पड़ते हैं मगर बाद में आप रुकते नहीं हैं। उन्होंने बताया कि कुछ गाड़ियां साथ में चलेंगी। युवाओं को एक गाड़ी आठ दस लोगों के साथ शेयर करनी होगी। इसमें सामान रख सकते हैं और दूसरे इंतजाम भी होंगे। महिलाओं और बुजुर्गों को एक गाड़ी में चार या छह लोगों के साथ एडजेस्ट करना है।भारत यात्रियों में डॉक्टर भी हैं जो छोटी मोटी तकलीफ दूर कर सकते हैं। उन्होंने कहा मेरी नर्मदा यात्रा में मुझे जुकाम तक नहीं हुआ। पैर के छालों से बचने के लिए उन्होंने टोटका बताया कि जूते पहने जिसमें कम से कम पसीना आता हो। फिर असली बात कही कि बाथरूम स्लीपर पहन कर चलने वालों को कभी पैर में छाले नहीं पड़ते। उन्होंने बताया कि सभी भारत यात्रियों को थोड़ी थोड़ी देर आगे राहुल गांधी के साथ चलने का मौका मिलेगा। मगर याद रहे राहुल गांधी को चुगली पसंद नहीं है।। अगर वहां आपने किसी की बुराई की तो आपके नंबर कट जाएंगे। दूसरे राहुल गांधी से कोई यह न कहे कि मुझे कुछ नहीं मिला। ना ही यह पूछे कि मेरा क्या होगा। इसे मैं एमकेएच सिंड्रोम कहता हूं मेरा क्या होगा सिंड्रोम।

राहुल गांधी से अगर बात करना हो तो उन्हें अपने इलाके की समस्याएं बताएं मुद्दों पर बात करें। यही उन्हें पसंद है। उन्होंने कहा सभी भारत यात्रियों को सेवा दल की ट्रेनिंग दी जाएगी। जो लोग सेवादल की ट्रेनिंग लेते हैं वह कभी कांग्रेस नहीं छोड़ते। एक और खास बात उन्होंने यह कही की तमिलनाडु भाषा को लेकर बहुत सेंसिटिव है। भूल कर भी ऐसा कोई मजाक ना करें जो उनकी भाषा को लेकर हो। खानपान पहनावा और अपने से अलग किसी भी चीज पर जोक ना करें। इस भारत यात्रा का एक उद्देश्य यही है कि आप भारत को समझें। राजनीति करने वाले को मालूम होना चाहिए कि भारत में कितने तरह के लोग हैं और कितने तरह के लोगों से मिलकर यह एक देश बनता है।

काग्रेस छोड़ने वालों पर सवाल उठाते हुए उन्होंने भारत यात्रियों से कहा की आर एस एस 1925 से सत्ता के लिए लगा रहा और उसे अब सत्ता मिली है। कांग्रेस में कुछ लोग बिना सत्ता के नहीं रह पाते। गुलाम नबी आजाद की तरफ इशारा करते हुए कहा की एक बार उनकी बजाएं किसी और को कुछ दे दिया तो नाराज हो कर चले गए और ऐसे समय पार्टी की आलोचना कर रहे हैं जब पार्टी एक बार फिर अपने पैरों पर खड़ी हो रही है। कांग्रेस छोड़ने वाले पछताएंगे क्योंकि कांग्रेस का जनाधार आज भी गांव गांव में हैं।

जब भारत यात्री तमिलनाडु या देश में कहीं भी छोटे से छोटे गांव में जाएंगे तो वहां आपको अपना झंडा लिए कार्यकर्ता मिल जाएंगे। यही कांग्रेस की ताकत है। राहुल गांधी के बारे में उन्होंने कहा कि वह बहुत मजबूत संकल्प के व्यक्ति हैं। जो एक बार ठान लेते हैं करते ही हैं। किसी को उम्मीद नहीं थी कि वे इतना बड़ा कदम उठाएंगे मगर उन्होंने उठा कर दिखा दिया है। इस यात्रा से देश बदलेगा देश की हवा बदलेगी।

डर लगता है मगर खाना अच्छा है

बदनाम कश्मीर है मगर हिंदी पट्टी के आम आदमी को तमिलनाडु में डर लगता है। इसके कई कारण हैं। पहला कारण है तमिलनाडु में हिंदी विरोधी भावना का पाया जाना। यहां के लोग अंग्रेजी समझते नहीं और हिंदी में बात नहीं करते। असल में वे हिंदी भी नहीं समझते। होटल में चाय भी मंगानी हो, तो बहुत मेहनत लगती है। श्रीलंका के तमिलों को लेकर यहां अपनापन है। दबी जुबान में कहा जाता है कि यहां जो भी सरकार होती है वह श्रीलंका के तमिल लड़ाकों का समर्थन करती है। रामेश्वरम से अगर आप मोटर बोट में बैठे तो 40 मिनट में श्रीलंका के जाफना पहुंच सकते हैं। प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या तमिलनाडु में ही हुई थी और लोकल सपोर्ट के बिना यह मुमकिन नहीं थी। अभी जो गड़बड़ श्रीलंका में हुई कह नहीं सकते कि वहां से कितने तमिल अवैध रूप से यहां आए। अगर देश में एनआरसी जैसी कोई चीज होगी तो सबसे ज्यादा बवाल यहां पर ही होगा।

 

खाना-पीना यहां का बहुत मजेदार है। जिन्हें रोटी की हुडक लगती है, जिनका काम रोटी के बगैर नहीं चल सकता उनके लिए यहां असली लच्छा पराठा है जिसे असल में मलाबारी पराठा कहते हैं। यहां एक चालू से भोजनालय में जो साउथ इंडियन थाली खाई वैसा साउथ इंडियन खाना अपने इलाके में कहीं नहीं मिल सकता। सांभर चावल रसम और चार पांच सब्जियां। साथ में एक पापड़ अनिवार्य होता है। हम समझते हैं कि जब तक खाने में लाल-लाल तरी ना हो, तब तक खाना मसालेदार नहीं होता। यह बात पूरी तरह से गलत है। यहां के खाने में मिर्च दिखती नहीं मगर होती भरपूर है। तेल नहीं के बराबर होता है मगर इसके बावजूद यहां के लोग भारी बदन के होते हैं। मिठाइयों में मैसूर पाक लाजवाब है। नमकीन में मद्रासी मिक्चर का जवाब नहीं। खाओ तो हाथ रुकता नहीं है। कसम से सेव को भूल गया हूं। पोहे की याद नहीं आ रही। जिन लोगों को हर जगह इंदौर जैसा खाना चाहिए उनके लिए सलाह है कि उन्हें इंदौर से बाहर निकलना ही नहीं चाहिए।

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