नांदेड़ जिल्ला परिषद चुनाव 11 अक्टूबर को हो रहे हैं। 81 मेंबर वाले इस जिला परिषद के पिछले अर्थात 2012 के चुनाव में कांग्रेस को 41 , शिव सेना को 14, एमआईएम को 11, भाजपा को 2, अन्य को 2 एवं निर्दलयी को एक सीट मिली थी।
81 सीट में से 41 सीट महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। एससी के लिए 15, एसटी के लिए 2 तथा ओबीसी के लिए 22 सीट आरक्षित हैं।
नांदेड़ वघाला जिला मुस्लिम बाहुल्य कहा जा सकता है। 2011 की जनगणना आंकड़े बताते हैं कि 40 फीसदी आबादी मुसलमानों की है। आज 2017 है। आबादी का प्रतिशत बढ़ा ही होगा। नांदेड़ जिल्ला परिषद चुनाव 2017 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का गठबंधन एमआईएम से हुआ है। एससी तथा एसटी के लिए आरक्षित 17 सीटों एवं ओबीसी के लिए रिजर्व 22 सीटों पर एमआईएम तथा बसपा कुछ भी कमाल दिखा सकती है।
2012 का चुनाव बताता है कि भाजपा तथा कांग्रेस का कहीं भी सीधा मुकाबला नहीं था। भाजपा को न तो दलितों ने वोट दिया न ही मुसलमानों ने। पिछड़ा वर्ग से भी उसे वोट हासिल नहीं हो सका। इस वजह से भाजपा नांदेड़ में सिर्फ दो सीटों पर सिमट गई। कांग्रेस 41 सीट हासिल करने में कामयाब रही। कांग्रेस के दिग्गज नेता तथा पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण का गृह जिला होने के नाते उन पर जीत दर्ज करने का ज़बर्दस्त दबाव है। लेकिन पिछले पांच वर्षों में हुए विकास तथा कामकाज़ के मुद्दे पर कांग्रेस को स्थानीय जनता ख़ासकर मुसलमानों का विरोध झेलना पड़ रहा है। मुसलमानों का वोट बसपा तथा एमआईएम गठबंधन की तरफ शिफ्ट होता देख इमरान प्रतापगढ़ी ने सेक्यूलर बनाम कम्यूनल तथा भाजपा जीत जाएगी का झूठा हौव्वा खड़ा कर दिया। इमरान ने बेहद हल्की तथा मक्कारी भरी दलील फेसबुक पर लिखी कि भाजपा तथा कांग्रेस का नांदेड़ में सीधी लड़ाई है, जबकि पिछले चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि भाजपा कहीं से भी टक्कर में नहीं।
एमआईएम-बसपा गठबंधन के बाद शिवसेना-कांग्रेस का पूरा ध्यान मुस्लिम मतों की तरफ है। महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फड़नवीस ने फर्स्टपोस्ट डॉट कॉम से बात करते हुए कहा कि नांदेड़ में सेना भीतर से कांग्रेस को सपोर्ट कर रही है।
नांदेड़ में मुसलमानों का वोट इस समय सबसे निर्णायक मोड़ पर हैं। उन्हें कांग्रेस को वोट करना है या एमआईएम को यह वो लोग तय करें। ढाई लाख रूपए लेकर कोई वहां मुसलमानों का हितैषी बन जाए, रो कर, किस्से सुना कर, कविताएं पढ़ कर कोई नांदेड़ की तकदीर तय करने लगे तो यह नांदेड़ के मुसलमानों के साथ सरासर नाइंसाफी होगी। इमरान प्रतापगढ़ी का क्या है, जहन्नुम से भी कोई उन्हें चुनाव प्रचार के लिए पैसा दे दे तो वह वहां भी पहुंच जाएंगे।
स्थानीय नगर निकाय के चुनाव और विधानसभा तथा लोकसभा में बहुत फर्क़ होता है। अब सेक्यूलरिज्म या कम्यूनिल्जम का हौव्वा प्रधानी के चुनाव में खड़ा किया जाएगा तो नाली-सड़क-अस्पताल-स्कूल का मुद्दा कब और कहां खड़ा किया जाएगा। मैं एमआईएम का समर्थक नहीं हूं लेकिन नांदेड़ के स्थानीय लोगों का विरोध भी नहीं कर सकता। एमआईएम की जीत हार से मुझे फर्क नहीं पड़ेगा। नांदेड़ के लोग क्या चाहते हैं वह न तो मोहम्मद अनस बता सकता है न तो इमरान प्रतापगढ़ी, क्योंकि दोनों को वहां की स्थानीय समस्यों का तनिक भी ज्ञान नहीं। लेकिन इमरान को देश की हर विधानसभा, लोकसभा यहां तक की नगर पंचायत और परिषद की सीटों की समस्या के बारे में पता चल जाता है जब उन्हें ढाई लाख मिलता है।
इमरान आखिर कांग्रेस के लिए झूठ क्यों बोल रहे हैं। इसका सीधा सा जवाब उनके पिछले ट्रैक रिकॉर्ड को देख कर आपको मिल सकता है। इमरान दिल्ली में आम आदमी पार्टी का प्रचार करने जामिया पहुंचते हैं। वे यूपी चुनाव में पटियाली विधानसभा जाकर बसपा के लिए प्रचार करते वक्त समाजवादियों को गुंडा और मवाली कहते हैं, फिर वापस से सपा के रथ पर सवार होकर बसपा को गाली देते हैं। पंजाब चुनाव में एक मात्र मुस्लिम बाहुल्य विधानसभा क्षेत्र मलेरकोटला में वह कांग्रेस के मुस्लिम प्रत्याशी के विरूद्ध चुनाव लड़ रहे आम आदमी पार्टी के मुस्लिम प्रत्याशी का समर्थन करने जाते हैं। जिस विधानसभा या लोकसभा सीट पर दो मुसलमान चुनाव लड़ रहे हों, वहां इमरान उस प्रत्याशी को अच्छा,बेहतरीन,सेक्यूलर घोषित कर देते हैं जिससे पैसा मिलता है। मुशायरे की आड़ में इमरान नेताओं के कालेधन से पैसा लेकर मुसलमानों के जज़्बात से खेल जाते हैं। पैसा जो देगा वह उसके लिए अपने लब ग़ुलाम कर लेंगे। पार्टी या विचारधारा से इमरान का कोई सरोकार नहीं।
बेहद मामूली और सस्ती शायरी पढ़ने वाले इमरान प्रतापगढ़ी मंच से नरेंद्र मोदी, योगी, साध्वियों का विरोध करके भीड़ की ताली तथा नेता की थैली हासिल कर लेते हैं। मुस्लिम बाहुल्य मोहल्लों में राजनैतिक शत्रुओं के विरूद्ध पढ़े जाने वाले उनके अशआर तथा शाइरी बेहद पसंद किए जाते हैं जिसका गलत फायदा इमरान उठाने से बिल्कुल नहीं हिचकते। उत्तर प्रदेश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्राप्त इमरान की भाषा किसी लफंगे से कमतर नहीं। फेसबुक पर अपने पेज पर वे जिस प्रकार से लिखते हैं उससे न सिर्फ यशभारती का अपयश होता है बल्कि शायरों का भी मयार गिर जाता है। इमरान शुद्ध मुनाफाखोर स्टंटबाज़ से ज्यादा कुछ नहीं हैं। पैसों के लिए वह न सिर्फ झूठ बोलते हैं बल्कि लोगों को भ्रम में डाल देते हैं।
नांदेड़ जैसी हरकत इमरान ने देश के दूसरे हिस्सों में हमेशा की है। मुस्लिम प्रत्याशियों के विरूद्ध प्रचार करने का उनका पुराना और बेहद घटिया रिकॉर्ड रहा है। इमरान जिस मुसलमान का प्रचार करे वह बढ़ियां मुसलमान,बाकि भाजपा के दलाल। यह इमरान की सोच है। इस सोच पर सवाल उठने पर वह दोस्ती का वास्ता दे देते हैं। उनकी इन्हीं हरकतों की वजह से आज पूरे देश के मुसलमान उनकी आलोचना कर रहे हैं। आलोचना करने वालों को इमरान प्रतापगढ़ी भद्दी भाषा में जवाब दे रहे हैं। इमरान के भक्त, आलोचकों को गालियों से नवाज़ रहे हैं। इमरान आलोचकों को ‘पैग चढ़ा’ लिया, दारूबाज़ कह कर अपमानित कर रहे हैं और मंच से जनता के सामने खुद को बेचारा साबित करते हैं। मंच से रोने का अभिनय सिर्फ दो लोगों को आता है, एक हमारे प्रिय प्रधानमंत्री जी को दूसरा इमरान प्रतापगढ़ी को। जुमलेबाज़ी में दोनों का कोई मुकाबला नहीं।
-मोहम्मद अनस