अवैध देसी बम का कर रहे थे ट्रायल और फिर घट गई ये दुखद घटना

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भारत में अगर गैरकानूनी हथियारों की बात की जाए तो दिमाग में सबसे पहला नाम उत्तर प्रदेश का आता है। यहां हर तरह के गैरकानूनी हथियार जैसे देसी बम, देसी कट्टा, तलवार, खंजर, गन के कारतूस, आदि अक्सर देखने को मिलते हैं। इनका यहां पर बनाने से लेकर उपयोग तक खुलेआम होता है। और सरकार को इस मुद्दे पर बात करने में कोई दिलचस्पी नहीं रहती है।

इस समस्या के कारण ही हाल में एक बहुत ही दिल दहलाने वाली और दुखद घटना सामने आई है। प्रयागराज में एक देसी बम की टेस्टिंग के दौरान 14 वर्षीय शुभम कुमार नामक बच्चे की दर्दनाक मौत हो गई। यह घटना 4 जुलाई की है।

कैसे घटी यह दिल दहलाने वाली घटना?

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के सराय इनायत थाना क्षेत्र में लोहाढा़ गांव में 14 साल के शुभम कुमार की बहुत ही दर्दनाक मौत हो गई। देसी बम बना कर दो युवक उसके मारक क्षमता की टेस्टिंग कर रहे थे। उसी वक्त शुभम वहां से गुजर रहा था, जब दोनों बदमाशों ने दीवार पर बम फेंका। बम का छर्रा शुभम के गले में जाकर धंस गया और वह वही जमीन पर गिर पड़ा।

फ़ोटो: – मृतक शुभम

छर्रे के कारण उसके गले से खून पानी की तरह बहने लगा। इससे शुभम की मौत मौके पर ही हो गई। घटना के बाद उसके परिजनों को बताया गया। परिजन उसे तुरंत अस्पताल लेकर गए मगर अधिक खून बहने से उसने पहले ही दम तोड़ दिया था।

मां – बाप से दूर रहता था शुभम

शुभम कुमार के माता पिता फूलपुर थाना क्षेत्र के बाबूगंज गिरधरपुर गांव के निवासी थे। पिता का नाम विनोद कुमार भारतीय था। सराय इनायत में वह अपने मामा अरविंद के घर रह कर हनुमंत इंटर कॉलेज में आठवीं कक्षा की पढ़ाई कर रहा था।

घटनास्थल पर सबसे पहले उसके मामा ही पहुंचे। बाद में अस्पताल से माता-पिता को सूचना दी गई जिसके थोड़ी देर बाद वह वहां पहुंचे।

गैर जिम्मेदाराना जवाब है इंस्पेक्टर का

सराय इनायत थाना के इंस्पेक्टर राकेश चौरसिया से पूछे जाने पर उनके द्वारा काफी गैर जिम्मेदाराना जवाब दिया गया। उन्होंने कहा,”दोनों युवक आतिशबाजी के पटाखे से देसी बम बांधकर दीवार पर फोड़ रहे थे तभी यह दुखद घटना घट गई। दोनों में से एक को पकड़ लिया गया है और दूसरे की तलाश जारी है। केस दर्ज कर लिया गया है।”

क्या यूपी सरकार लौटा सकती है विनोद कुमार का शुभम?

उत्तर प्रदेश हमेशा सही कट्टा, बम, इनकाउंटर, इन सबके लिए बहुत फेमस रहा है। यहां के घर गली में एक बदमाश और हर जिले में एक डॉन जरूर देखने को मिलता है। बल्कि यहां की गैरकानूनी विविधता पर मिर्जापुर जैसी वेब सीरीज भी बनाई जा चुकी है।

ऐसे में सरकार इन सब के खिलाफ कोई भी ठोस कदम लेती हुई नजर नहीं आती है। यह सवाल बिल्कुल जायज होगा कि क्या यूपी के हर बच्चे की जान की जिम्मेदारी योगी सरकार ले सकती है?

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