Rishi Sunak के पूर्वज कैसे पहुंचे थे ब्रिटेन

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कभी भारत में राज करने वाले अंग्रेजों ने सोचा भी नही होगा, कि एक दिन ऐसा भी आयेगा, जब एक भारतीय मूल का व्यक्ति उनके देश में प्रधानमंत्री के पद पर पहुंच जायेगा।

दरअसल कहानी शुरू होती है भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से आज़ादी मिलने के 10 पहले से, अर्थात 1937 के उस समय से जब भारत और पाकिस्तान एक देश थे। इस सरज़मीन का बंटवारा नही हुआ था। मतलब इस दुनिया में पाकिस्तान नाम के किसी मुल्क का वजूद ही नही था। उस वक़्त के भारत और वर्त्तमान पाकिस्तान के पंजाब में मौजूद शहर गुजरांवाला में रहने वाला एक पंजाबी खत्री परिवार था ।

इस पंजाबी परिवार के बेटे रामदास सुनक और उनकी पत्नि सुहाग रानी सुनक 1937 में ब्रिटिश भारत से काम के सिलसिले में केन्या गए और वहीं बस गए। रामदास सुनक ने सोचा भी नही होगा, कि एक दिन आयेगा जब उनका पोता उन अंग्रेजों के देश में प्रधानमंत्री के पद पर पहुंचेगा, जो उस वक़्त आधी दुनिया में राज करते थे।

साल था 1960, अब पूर्वी अफ्रीका से रामदास सुनक अपने बच्चों के साथ ब्रिटेन पहुंच गए। ब्रिटेन में साउथैम्पटन , हैम्पशायर में 12 मई 1980 को रामदास के बेटे यशवीर सुनक की पत्नि ऊषा सुनक ने एक बच्चे को जन्म दिया। ये बच्चा ठीक 42 साल बाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री की कुर्सी का हक़दार बना। यशवीर और ऊषा ने अपने इस बच्चे का नाम ऋषि रखा था।

24 अक्टूबर 2022, जब दुनिया भर के हिन्दू और सिख दीवाली का त्यौहार मना रहे थे, तब भारत और पाकिस्तान के लोगों को एक खुशखबरी मिली। ख़बर ये थी कि भारतीय मूल के ऋषि सुनक ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री होंगे। ये ख़बर भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के लिए अहम थी। दरअसल ऋषि के पूर्वज अविभाजित भारत के पंजाब के गुजरांवाला से पलायन करके पहले केन्या और फ़िर वहां से ब्रिटेन गए थे। वर्तमान में गुजराँवाला पाकिस्तान का शहर है। यही वजह है कि दोनों ही देश के लोग ऋषि सुनक से अपना कनेक्शन रखते हैं। जबकि ऋषि पैदाइशी ब्रिटिश नागरिक हैं।

ऋषि के पिता ही नही, बल्कि मां ऊषा का परिवार भी भारत से पलायन करके अफ़्रीकी देश तंज़ानिया गया था। बाद में उन्होंने भी ब्रिटेन का रुख किया था।

ऋषि की पत्नि अक्षता मूर्ति भारतीय हैं। दरअसल वो मशहूर भारतीय अरबपति और इंफोसिस के संस्थापक एन आर नारायणमूर्ति की बेटी हैं। हुआ ये था कि जब ऋषि स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे थे, उस दौरान उनकी मुलाकात अक्षता से हुई थी। मुलाकात दोस्ती में और दोस्ती प्यार में बदल गई, जिसके बाद अगस्त 2009 में अक्षता और ऋषि शादी के बंधन में बंध गए।

ऋषि का राजनीतिक कैरियर 2015 में शुरू हुआ था, जब वो नार्थ यॉर्कशायर में रिचमंड ( यॉर्क) के लिए कंज़र्वेटिव पार्टी से  सांसद चुने गए। इसके बाद थेरेसा मे की सरकार में 9 जनवरी 2018 से 24 जुलाई 2019 तक से संसदीय अवर सचिव के पद पर रहे।

थेरेसा मे के बाद 2019 में बोरिस जॉनसन ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने तो 29 जुलाई 2019 को ऋषि सुनक को ब्रिटेन के राजकोष का मुख्य सचिव बना दिया गया। इस पद पर वो 13 फरवरी 2020 तक बने रहे। इस दौरान पूरी दुनिया में कोरोना महामारी के कारण अफ़रातफ़री मची हुई थी। दुनिया भर की स्वास्थ्य सेवाओं और अर्थव्यवस्था पर तबाही ने दस्तक दी हुई थी। ब्रिटेन भी इससे अछूता नही रहा।

इस दौरान ऋषि के दोस्त और ब्रिटेन के राजकोष के चांसलर अर्थात वित्तमंत्री साजिद जावेद की जगह ऋषि सुनक को नया चांसलर बनाया गया। यही वो वक़्त था , जो ऋषि सुनक के लिए ब्रिटेन में राजनीतिक उभार में मील का पत्थर साबित हुआ। दरअसल ब्रिटिश सरकार में प्रधानमंत्री के बाद सबसे पॉवरफुल पद राजकोष के चांसलर का होता है। वो इस पद पर 13 फरवरी 2020 से 5 जुलाई 2022 तक रहे।

बोरिस जॉनसन को उस वक़्त इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर होना पड़ा, जब आर्थिक मुद्दों पर मतभेद के कारण ऋषि सुनक और साजिद जाविद ने अपने पदों से एक साथ इस्तीफ़ा दे दिया। और इस तरह बोरिस जॉनसन की जगह नए प्रधानमंत्री की तलाश शुरू हुई। उस वक़्त हर ज़ुबान पर ऋषि का ही नाम था। पर कंज़र्वेटिव पार्टी के अंदरूनी चुनाव मे लिज़ ट्रस ने ऋषि को पछाड़ दिया। अपने चुनावी वादों को पूरा न कर पाने के कारण लिज़ ने सिर्फ़ 45 दिनों के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया। और इसी के साथ वो ब्रिटेन के इतिहास में सबसे कम समय के लिए प्रधानमंत्री के पद पर रहने का रिकॉर्ड अपने नाम कर गईं।

अब फ़िरसे वही सिलसिला शूरू हुआ, ब्रिटेन का अगला प्रधानमंत्री कौन ? ऐसे में जो नाम आगे आ सकते थे उन्होंने खुदको पीछे खींच लिया। बोरिस जॉनसन समर्थन न होने की बात कहकर दावेदारी के लिए सामने ही नही आये। ऐसे में ये ऋषि के लिए खुला ऐलान था, कि जनाब आईये और संभालिये ब्रिटेन के प्रधानमंत्री की कुर्सी को। और बन जाईये इस पद पर पहुंचने वाले पहले एशियाई मूल के शख्स ।

हम भारतीय बहुत खुश हैं, कि भारतीय मूल का व्यक्ति उन अंग्रेजों के देश में प्रधानमंत्री बन रहा है, जिन्होंने कभी हमारे देश में राज किया था। आपको पता होना चाहिए कि ऋषि कंज़र्वेटिव पार्टी से सांसद चुने जाते हैं। कंज़र्वेटिव अर्थात दक्षिणपंथी होता है। ब्रिटेन में एक दक्षिणपंथी पार्टी के द्वारा भारतीय मूल के व्यक्ति को जब प्रधानमंत्री के पद के लिए चुना गया तो किसी भी सांसद द्वारा ये नही कहा गया कि ये विदेशी मूल के व्यक्ति हैं। इसलिए मैं उनके प्रधानमंत्री बनने पर सर मुंडवा लूंगा या सर मुंडवा लूंगी। इक्कीसवीं सदी में जब भारत में एक महिला का विरोधी पार्टी के द्वारा विदेशी मूल का होना एक मुद्दा बना दिया जाता है, पुरज़ोर विरोध किया जाता है। इसी सदी में लंदन के मेयर के पद में पाकिस्तानी मूल के मुहम्मद सादिक़ तो ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के पद में भारतीय मूल के ऋषि सुनक चुने जाते हैं।

इसे उदारवाद कहते हैं, इसे ही बाहुल्यता कहते हैं। इसे ही एकता कहते हैं। ब्रिटेन ने दिखा दिया है कि वहां का समाज और राजनीतिक पार्टियां कितनी उदार हैं, कितने परिपक्व हैं।