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क्या कोर्ट से बड़े हो गए हैं रामदेव ?

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कुछ दिनों पूर्व आपको उत्तराखंड में चल रहे आयुष छात्रों के आंदोलन के बारे में जानकारी दी थी, इस सम्बन्ध में संज्ञान लेते हुए सरकार ने ज्यादा फीस वसूलने के मामले में आयुर्वेद विश्वविद्यालयों व कॉलेजों को हाईकोर्ट के आदेशों का पालन करने के निर्देश दिए और पिछले शुक्रवार को शासन ने इस संबंध में आदेश जारी किए थे।
लेकिन ज्ञानेंद्र भाई आज खबर दे रहे है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री के आदेशों से जारी जीओ को लेकर पतंजलि आयुर्वेदिक कॉलेज के छात्र जब आज जब अपने कॉलेज पहुँचे, तो रामदेव और बालकृष्ण के बाउंसरों ने छात्र और छात्राओं के मोबाइल फोन छीन लिये और उनके साथ बुरी तरह मारपीट की। खुद बालकृष्ण ने कुछ छात्रों को जूते से मारा और अश्लील गालियां दीं | जब छात्रों ने रामदेव से मुलाकात की बात कही तो वो आगबबूला होते हुये बाहर निकला और छात्रों से ज़मकर अभद्र व्यवहार किया।

कुछ छात्रों ने बताया कि ज़िस समय यह कुछ हो रहा था, तब वहाँ पुलिस भी मौजूद थी। अगर ऐसा हुआ है तो बहुत गंभीर बात है। लेकिन फिर वही बात कि कल आयुष मंत्री का बयान और आज पतंजलि में यह बर्ताव, दोनों में क्या कोई लिंक है ?
दिल्ली से सरकार के खौफ में सलवार में भागा रामदेव क्या उत्तराखण्ड में इतना निरंकुश हो गया है, जो खुद को अदालत और सरकार के आदेशों से भी उपर मानने लगा है?  वो भी तब जब उसके कॉलेज पर अदालती अवमानना में अलग से आदेश जारी हुये हैं और छात्रों ने उसके कॉलेज पर अदालती अवमानना के कई केस दायर किये हुये हैं।
बताया तो यही जाता है कि पतंजलि को जो थोक के भाव ज़मीन जो सरकार से कौड़ियों के दाम मिली है, यह कॉलेज भी उसी भूमि पर बना है। सरकार चाहे तो 2 मिनट में उसका आवंटन रद्द कर दे।  उसके बाद भी उन लोगों की यह हिमाकत तो किसी बहुत बड़े संरक्षण की तरफ इशारा कर रही है।