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अमरीका की वीज़ा नियमों की सख्ती का असर भारतीयों पर

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अमेरिका के कुछ सांसदों और लॉबिंग समूहों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एच-1बी वीजा नियमों में बदलाव किए जाने का विरोध किया है.उनका कहना है कि वीजा के विस्तार संबंधी नियमों को कड़ा करने से लगभग पांच से साढ़े सात लाख भारतीय अमेरिकियों को स्व-निर्वासन की राह देखनी होगी जिससे अमेरिका को प्रतिभाओं की कमी का भी सामना करना होगा.
ख़बरों के अनुसार एच-1बी वीजा नियमों में प्रस्तावित बदलाव ट्रंप की बाय अमेरिकन, हायर अमेरिकन अमेरिकी खरीदो, अमेरिकी को काम दो पहल का ही हिस्सा है.इसका एक मसौदा आंतरिक सुरक्षा विभाग ने तैयार किया है.यह पहल ट्रंप के चुनाव अभियान का अहम हिस्सा थी.
उल्लेखनीय है कि एच-1बी कार्यक्रम अमेरिकी कंपनियों को उच्च योग्यता वाले विदेशी पेशवरों को नियुक्त करने की सुविधा देता है, खासकर के उन क्षेत्रों में जहां योग्य अमेरिकी पेशेवरों का अभाव है.लेकिन पिछले साल जनवरी में कार्यभार संभाले जाने के बाद से ट्रंप सरकार इस योजना के लाभों को कम करने में लगी है.
प्रभावशाली डेमोक्रेट सांसद तुलसी गेबार्ड ने कहा कि वीजा नियम कठोर होने से परिवार बिखर जाएंगे. प्रतिभाशाली लोग हमारे समाज से चले जाएंगे और अमेरिकी के महत्वपूर्ण सहयोगी देश भारत से रिश्ते खराब होंगे.उन्होंने कहा, इस प्रस्ताव से करीब 5,00,000 से 7,50,000 भारतीय एच-1बी वीजाधारकों को स्व-निर्वासन का रास्ता अख्तियार करना पड़ सकता है.
इनमें से कई छोटे कारोबारों के मालिक हैं या रोजगार देने वाले हैं.ये लोग हमारी अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बनाने और मजबूत करने में मदद कर रहे हैं। प्रतिभा का इस तरह पलायन हमारी नवोन्मेष की क्षमता को कम करेगा और 21वीं सदी की वैश्विक  अर्थव्यवस्था में हमारी प्रतिस्पर्धा को भी कम करेगा.
भारतीय अमेरिकी सांसद राजा कृष्णामूर्ति और आरओ खन्ना का कहना है कि यह प्रस्ताव प्रवासी विरोध है.हमारे माता-पिता समेत सुंदर पिचाई, एलेन मस्क, सत्य नडेला भी यूं ही अमेरिका आए थे और आज ट्रंप कह रहे हैं कि प्रवासी व उनके बच्चों की अमेरिका में कोई जगह नहीं है.इमिग्रेशन वायर और हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन जैसे संगठनों ने भी ट्रंप प्रशासन के इस फैसले का विरोध किया है.

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