0

एक और हादसे के बाद सवाल , घायलों को अस्पताल पहुंचाने में देरी क्यों ?

Share

उत्तरप्रदेश के यमुना एक्सप्रेस वे पर एक सड़क हादसे के बाद घायलों को अस्पताल पहुंचाने के सम्बन्ध में पुलिस और हाईवे ऑथोरिटी का बहुत ही ढुलमुल रवैया सामने आये है. ज्ञात हो कि कुछ दिन पूर्व एक और घटना उत्तरप्रदेश से ही सामने आई थी. जिसमें घायलों को पुलिस ने अपनी गाड़ी से इसलिए अस्पताल पहुँचाने से इनकार कर दिया था क्योंकि उन्हें ले जाने से गाड़ी गन्दी हो जाती. जिसके बाद उन दोनों घायल व्यक्तियों कि मृत्यु हो गयी थी.

यमुना एक्सप्रेस वे पर हुआ हादसा

ताज़ा मामला आगरा टोल नाके से दिल्ली की ओर लगभग 10 किलोमीटर के क्षेत्र से सामने आया है. दरअसल उस स्थान में एक वाहन दुर्घटना हुई थी. जिसमे कोहरे के कारण तीन गाड़ियां आपस में टकरा गयीं थीं. उनके टकराने के बाद कार ड्राईवर की स्पॉट में ही मृत्यु हो गयी थी. घायल पड़े हुए थे, पर उन्हें अस्पताल ले जाने की कोई भी कोशिश नहीं देखी गई.

दो पत्रकारों ने पहुँच कर उन्हें अस्पताल पहुंचाने की प्रक्रिया को अंजाम दिया

जब न्यूज़ चैनल इण्डिया टीवी के दो पत्रकार  उस स्थान पर पहुंचे, उन्होंने हालात को समझते हुए घायलों को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाने की बात कही. पत्रकारों के पहुँचाने के पहले तक पुलस रवैया बेहद ढीला नज़र आया.मौके पर नेशनल हाईवे ऑथोरिटी का घायलों को अस्पताल पहुंचाने वाला वाहन भी उपलब्ध नहीं था.
दोनों पत्रकारों ने वहां उपस्थित लोगों से पूछा, तो पता चला कि 2 घंटे से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी घायलों को अस्पताल नहीं पहुंचाया गया था. पास ही खड़े पुलिसकर्मी सारा तमाशा देख रहे थे. उन्होंने पुलिस से बात करके घायलों को अस्पताल पहुंचाने का कार्य शुरू करवाया. दोनों ही पत्रकारों ने इस घटना का ज़िक्र सोशल मीडिया में किया है.

पत्रकार प्रशान्त तिवारी ने अपनी वाल पर लिखा है –

दुख होता हैं…. क्योंकि हिंदुस्तान में आज भी बुनियादी ज़रूरतों पर सब चुप और पुतले बन जाते हैं । आज जो हुआ ये हादसा नही हत्या हैं… अगर समय से इलाज मिलता तो वो ड्राइवर जिंदा रहता पर। और उसकी मौत का ज़िमेदार कौन हैं ….? ये आप तय करिये

प्रशान्त तिवारी की फेसबुक वाल से

एक और पोस्ट में प्रशान्त तिवारी लिखते हैं-

Dekhiye aur madad kariye ….. Haadse kisi ke saath bhi ho sakta hai… कोई आपका अपना भी हो सकता है
रात के 9 बजकर 30 मिनट जब हम पहुचे यमुना एक्सप्रेस वे .. आगरा के टोल प्लाजा पार करने के करीब 5 या 10 किलोमीटर बाद एक भयानक हादसा हुआ दिखा । जिसमे एक शख्स की जान चली गई और बाकी 5 से 6 लोग लेटकर अपनी मौत का इंतज़ार कर रहे थे भीड़ थी पुलिस थी पर इलाज के लिए कोई ध्यान तक नही दे रहा था। और एक्सीडेंट का वक़्त तब शाम को 8 बजे एम्बुलेंस नही आई 2 घंटे तक.. वहाँ खड़े लोकल्स ने घायलों को किसी तरह गाड़ी से निकाला।
पुलिस अपनी गाड़ी में घायलों को ले जाने के लिए मना कर चुकी थी। कोई ऐसा कदम नही उठाया गया जो एक ज़िम्मेदार पुलिस वालों को निभाना चाहिए।
यहां तक कि जब हम डिवाइडर से घायलों को किनाव की तरफ ला रहे थे उस वक़्त पुलिस खड़ी थी उसने 100 की स्पीड से आ रही गाड़ियों को रोकने का भी बंदोबस्त नही किया हुआ जिसकी वजह से हम सब किसी हादसे का शिकार हो सकते थे।
जो काम हम पत्रकारों ने किया अगर वही काम पुलिस करती तो शायद किसी की जान ना जाती ।
पुलिस तो है हमारे पास पर शायद उसे पुलिसिंग नही सीखा पाए ।

Exit mobile version