यहां सिर्फ़ एक रुपये में मिलता है भर पेट भोजन

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पूर्व भारतीय क्रिकेटर और ईस्ट दिल्ली से भाजपा सांसद गौतम गंभीर ने दिसंबर में पहली जन रसोई की शुरुआत की थी। अब गौतम गंभीर अपनी जनरसोई पटपड़गंज में भी जल्द ही शुरू करने जा रहे हैं। गौतम गंभीर ने पहली बार इस रसोई की शुरुआत पिछले साल दिसंबर 2020 में की थी। गौतम ने पहली जनरसोई अपने संसदीय क्षेत्र गांधीनगर में शुरू की थी।

महज एक रूपये में मिल रहा है खाना

‘एक आशा’ नाम की इस जनरसोई में लोगों को महज 1 रुपये में खाना खिलाया जा रहा है। कोरोना महामारी के दौर में शुरू की गई, इस रसोई में कोविड गाइडलाइन और प्रोटोकॉल का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। कीमत कम होने के बावजूद साफ और स्वच्छ खाना लोगों को उपलब्ध कराया जा रहा है। कोरोना वायरस के चलते लोगों को खाना देने से पहले जनरसोई को पूरी तरह सैनिटाइज किया जाता है।

फाउंडेशन के जरिए अशोक नगर में भी खोल चुके हैं रसोई
गौतम गंभीर ने इन जन रसोईयों की शुरुआत अपने “गौतम गंभीर फाउंडेशन” के जरिए की थी। इस फाउंडेशन से उन्होंने “सभी को खाना” अभियान की शुरुआत की है। बीते साल से गौतम गंभीर फाउंडेशन महज 1 रुपये में लोगों को हेल्दी खाना खिला रहे हैं।

अभी तक यह रसोई गांधी नगर और अशोक नगर में चल रही थी, पर अब जल्द ही तीसरी रसोई पटपड़गंज में शुरू होने वाली है। यहां भी सभी को केवल 1 रुपए में भरपेट भोजन मिलेगा। गौतम गंभीर ने इस संबंध में ज्यादा जानकारी देते हुए कहा है कि इसका उद्घाटन स्वतंत्रता दिवस के मौके पर किया जा सकता है।

उन्होंने आगे कहा कि संभवतः इस रसोई का उद्घाटन स्वतंत्रता दिवस के पर किया जाएगा। इस सत्र की समाप्ति के बाद इसे जनता को समर्पित किया कर दिया जायेगा। अब पटपड़गंज में भी 1 रुपए में लोग पौष्टिक भोजन कर पाएंगे। फरवरी में दूसरी जनरसोई के उद्घाटन के मौके पर कहा था कि पेट भरा हो तो दुनिया की किसी भी ताकत से लड़ सकता है। इस रसोई की सबसे खास बात यह है कि इसे एक कचरा घर को तोड़ कर बनाया जा रहा है।

तकरीबन 1100 लोगों के लिए हर रोज बनता है खाना मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन रसोईयों में हर रोज तकरीबन 1,000 से 1,100 लोगों के लिए रोज खाना बनाया जाता है। यानी कि महीने में लगभग 30000 से ज्यादा लोग इस रसोई में भोजन करते हैं।

अन्य सरकारों ने भी की है ऐसी थालियों की शुरूआत

गंभीर इस मामले में कोई पहले व्यक्ति नहीं हैं। जिन्होंने इस तरह की सस्ती थाली की शुरुआत की है। पहले भी कई राज्यों में ऐसी थाली की शुरुआत हो चुकी है। इससे पहले पंजाब में “साडी रसोई” की शुरू की गई थी। इस थाली के लिए लोगों को दस रूपये देने होते थे। इन दस रूपये में कोई भी व्यक्ति पेटभर के खाना खा सकते हैं। पंजाब में इस प्रोजेक्ट की शुरुआत फाजिल्का के जिलाधीश ईशा कालिया ने की थी। इस रसोई की विशेष बात यह थी कि इसका पूरा खाना निपूर्ण महिलाओं से बनवाया जाता था।

इसके अलावा राजस्थान में 2016 को सीएम वसुंधरा राजे ने भी अन्नपूर्णा रसोई योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत लोगों सिर्फ पांच रुपये में भरपेट खाना दिया जा था। इस योजना का उद्देश्य गरीबों और मजदूरों को कम कीमत पर भरपेट खाना मुहैया कराना रहा है। योजन के शुरुआती चरणों में 12 जिलों में 80 जगहों पर शुरू करने की योजना बनाई गई थी। बीते साल गहलोत सरकार ने भी इंदिरा रसोई की शुरू की थी, जिसमें कम कीमत में पौष्टिक भोजन देने की बात कही गई थी।

पंजाब और राजस्थान के साथ तमिलनाडु की अम्मा कैंटीन 2013 से लोगों का 5 रुपये में पेट भर थी। यहां पर सिर्फ 3 रूपये में रोटी दी जा रही थी, जिसके साथ दाल पूरी तरह से मुफ्त थी। इसके अलावा अम्मा कैंटीन में साउथ इंडियन खाने की भी व्यवस्था की गई थी। इसी से प्रेरित होकर अन्य सरकारों ने अपने राज्यों में ऐसी रसोईयों और कैंटीनों की शुरुआत की थी।

वहीं दिल्ली, मुंबई, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, और उड़ीसा में भी ऐसी ही योजनाएं शुरू की गई हैं। इनमें लोगों को कम कीमतों पर पौष्टिक भोजन देने की बात कही गई है। लेकिन गौतम गंभीर ने इन सब से आगे बढ़ कर सबसे कम कीमत पर पौष्टिक भोजन देने रहे हैं। इससे पहले सभी राज्यों में ऐसी थालियों की कीमत 10, 5, या 3 रखी गई थी, जबकि गंभीर मात्र 1 रूपये में लोगों को भरपेट भोजन दे रहे हैं।

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