जर्मनी की कोर्ट में जब आम चुनाव में ईवीएम के इस्तेमाल सम्बन्धी मामले की सुनवाई की गयी तो उन्होंने एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया कि ‘वोटर और रिजल्ट के बीच टेक्नोलॉजी पर निर्भर करना असंवैधानिक है’
जर्मनी एक समय में टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अग्रणी देश रहा है इसलिए अगर वो ऐसा कहता है तो इसका मतलब यह है कि वे जानते हैं कि वोट दर्ज करने और वोटो की गिनती होने के बीच में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से परिणामों को बदला जा सकता है
कल खबरों में हवाना सिंड्रोम की चर्चा थी इसके बारे मे जब ओर अधिक जानकारी सर्च की गई तो पता चला कि हवाना सिंड्रोम के पीछे किसी प्रकार का यांत्रिक उपकरण का हाथ है जो अल्ट्रासोनिक या माइक्रोवेव ऊर्जा का उत्सर्जन करता है: इसमें एक हाईली स्पेशालाइल्जड बायोवेपनरी के जरिए रेडियोफ्रीक्वेंसी एनर्जी को व्यक्ति के कानों तक पहुंचाया जाता है जो कानों में मौजूद फ्लूड को माइक्रोबबल बनाने की क्षमता रखती है। जब ये बबल खून के जरिए दिमाग तक जाते है तो इससे सूक्ष्म वायु एम्बोली की समस्या हो सकती है जिससे दिमाग की कोशिकाओं को डैमेज कर सकता है।
आपने घरों में खाद्य पदार्थों को गर्म करने के लिए माइक्रोवेव ओवन का इस्तेमाल किया होगा ऐसे ही माइक्रोवेव हथियार भी बनाए जा चुके है । यह हथियार एक प्रकार के प्रत्यक्ष ऊर्जा हथियार होते हैं, जो अपने लक्ष्य को अत्यधिक केंद्रित ऊर्जा रूपों जैसे- ध्वनि, लेज़र या माइक्रोवेव आदि द्वारा लक्षित करते हैं। इसमें उच्च-आवृत्ति के विद्युत चुंबकीय विकिरण द्वारा मानव शरीर में संवेदना पैदा की जाती है। विद्युत चुंबकीय विकिरण (माइक्रोवेव) भोजन में पानी के अणुओं को उत्तेजित करता है और उनका कंपन गर्मी पैदा करती है जो व्यक्ति को चक्कर आना और मतली का अनुभव कराती है।
चीन ने पहली बार वर्ष 2014 में एक एयर शो में पॉली डब्ल्यू.बी.–1 (Poly WB-1) नामक “माइक्रोवेव हथियार” का प्रदर्शन किया था।
यह भी माना गया कि पिछले साल भारत चीन सीमा पर हुए विवाद में भारतीय सैनिकों के ऊपर भी इनका इस्तेमाल किया गया अमेरिका भी पीछे नही है उसने भी ‘एक्टिव डेनियल सिस्टम’ नामक ‘प्रोटोटाइप माइक्रोवेव हथियार’ विकसित किया है जो कि पहला गैर-घातक, निर्देशित-ऊर्जा, काउंटर-कार्मिक प्रणाली है, जिसमें वर्तमान में गैर-घातक हथियारों की तुलना में अधिक विस्तारित क्षमता विद्यमान है।
ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ जासूसी संस्थाओं में काम करने वालो में ही यह सिंड्रोम देखा गया है वियतनाम के हनोई में यूएस की वाइस प्रेसिंडेट कमला हैरिस की तबीयत खराब होने के वजह से अचानक अजीबोगरीब लक्षण सामने आए। जिसमें उन्हें हवाना सिंड्रोम होने की बात कही जा रही है
सीधी बात है कि इस तरह से दूर से ही निर्दिष्ट व्यक्ति को बीमार तक किया जा सकता है, लेकिन EVM जो एक मशीन है उसके बारे में हम ऐसा नही मानते, मशीन के बारे में एक यूनिवर्सल ट्रूथ जान लीजिए कि Every machine is hackeble
अब सवाल यह उठता है कि क्या रिमोट सेंसिंग तकनीक के द्वारा क्या EVM में छेड़छाड़ की जा सकती है, क्या ऐसा कोई उदाहरण हमारे पास है
इसका जवाब है जी हाँ
वर्ष-2013 के मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में सुरखी विधानसभा क्षेत्र में सामने आया था. हारने वाले प्रत्याशी के इलेक्शन एजेंट बघेल ने बताया कि एक व्यक्ति ने चुनाव प्रचार के दौरान मुझसे संपर्क किया, उसने दावा किया था कि वह रिमोर्ट सेंसर टैक्नोलॉजी के जरिए ईवीएम में किसी भी प्रत्याशी के पक्ष में मतदान को प्रभावित कर सकता है। वह अपने साथ एक रेडियोनुमा कोई उपकरण लिए था।
इसमें उसने ईवीएम की फ्रीक्वेंसी सेट करते हुए वोट यहां-वहां करने का दावा किया था हमने उसे भगा दिया था लेकिन बाद में राहतगढ़ के पोलिंग बूथ पर उस व्यक्ति द्वारा दिखाई गई डिवाइस जब एक ईवीएम के नीचे लगी मिली तो मुझे संदेह हुआ कि उसने किसी प्रत्याशी विशेष के कहने पर उसे यहां इंस्टॉल किया होगा।
बघेल के अनुसार इस डिवाइस ने हमारे प्रत्याशी के चुनाव को बहुत हद तक प्रभावित किया। इसका सबसे बड़ा उदाहरण ये है कि वर्ष 2003 के चुनाव में इस बूथ पर 903 में से 864 कांग्रेस को तथा 24 भाजपा को मिले थे। वर्ष 2008 के चुनाव में 736 वोट में से 566 कांग्रेस को व भाजपा को 103 वोट मिले थे।
लेकिन डिवाइस वाली घटना सामने आने के बाद इस बूथ से वर्ष 2013 के चुनाव में 653 वोट में से भाजपा को 341 व कांग्रेस को 278 वोट मिले थे। वोट में आए इस अंतर के आधार पर ही देश के तत्कालीन चीफ इलक्टोरल कमिश्नर ने शिकायत की गई थी। लेकिन इस मामले में सारे सुबूत सामने होते भी कुछ नही किया गया बाद में यह बताया गया कि डिवाइस की जांच से भी कुछ नहीं निकला
यह खबर दैनिक भास्कर में भी पब्लिश की गयी थी लेकिन अब यह खबर गायब की जा चुकी है