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गठबंधन की राजनीति को मज़बूती देगी कांग्रेस

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दिल्ली में कांग्रेस का 48वां राष्ट्रीय अधिवेशन चल रहा है, इस अधिवेशन में कांग्रेस ने पार्टी स्तर पर कई अहम प्रस्तावों को मंज़ूरी दी है. पार्टी की ओर से पेश राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया है कि सभी समान विचारधारा वाले दलों के सहयोग को व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाया जाएगा. 2019 के आम चुनावों में भाजपा-संघ को हराने के लिए साझा कार्यप्रणाली विकसित की जाएगी. इसका पहला प्रयोग कर्नाटक में आने वाले विधानसभा चुनाव में होगा.
ज्ञात होकि कांग्रेस इस समय गठबंधन की राजनीति को मज़बूत करने के लिए शुरुआती क़दम उठा चुकी है. इस कार्य का ज़िम्मा खुद सोनिया गांधी ने उठाया है. सोनिया गांधी ने अपने निवास पर 20 दलों के नेताओं को चाय पार्टी में बुलाकर इस विषय में चर्चा भी शुरू कर दी है.

मतपत्र से चुनाव कराये जाने का प्रस्ताव

प्रस्ताव में कहा गया है कि  ईवीएम के दुरुपयोग को लेकर राजनीतिक दलों और लोगों के मन में भारी आशंका है. ऐसे में निर्वाचन प्रक्रिया की विश्वस्नीयता सुनिश्चित करने के लिए फिर से मतपत्रों के जरिए चुनाव कराने चाहिए.
महाधिवेशन में ‘वक्त है बदलाव का’ के नारे का संकेत देते हुए युवा सांसद राजीव सातव ने राजनीतिक प्रस्ताव का समर्थन किया. इसके बाद राजनीतिक प्रस्ताव पर युवा नेताओं को ही बोलने के लिए आमंत्रित किया गया। इससे पहले इस तरह के अधिवेशन और सम्मेलनों में मंच पर बडे नेताओं का कब्जा रहता था और युवा और छोटे नेताओं को बोलने का मौका नहीं मिलता था. पर इस बार माहौल बदला हुआ है.
इस महाधिवेशन में देश भर से तीन हजार डेलीगेट्स और 15 हजार से अधिक पदाधिकारी और कार्यकर्ता हिस्सा ले रहे हैं.

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