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छह माह में 58% बढे गैस के दाम, महंगा हुआ रसोई का बजट

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लगातार बढ़ रही गैस की कीमतों से घरेलु बजट गड़बड़ा गया है, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें बहुत ही निचले स्तर पर हैं. पर ऐसा लगता है जैसे सरकार का इरादा जनता को राहत देने का नहीं है, एक बाद एक, हर महीने पेट्रोल डीज़ल एवं गैस की कीमतों में आ रहा उछाल आम भारतीय के बजट में डाका डाल रहा है.
महिलाओं के लिए बुरी ख़बर ये है, कि अधिक आवक की वजह से सस्ती हुई सब्जियों के दाम की वजह से जो बचत उन्हें हो रही थी, वो साड़ी बचत गैस  की बढती कीमतों ख़त्म कर दी है. देश में 5 राज्यों का चुनाव प्रगति पर है, इसलिए सभी राजनैतिक पार्टियाँ चुनाव में आरोप प्रत्यारोप और बयानबाजी में व्यस्त हैं. जनता के मुद्दों से किसी भी पार्टी को कोई सरोकार नज़र नहीं आ रहा है. ऐसा लगता है, जैसे विपक्ष तो है ही नहीं. महंगाई को मुद्दा बनाकर सत्ता में आई मोदी सरकार के आने के बाद से जिस तरह से ज़रूरी वस्तुओं की कीमतों में भारी इजाफा हुआ है, उसका दमदार विरोध करता कोई भी राजनीतिक दल नज़र नहीं आ रहा

58 प्रतिशत तक बढ़ी गैस की कीमतें –

गैस की कीमतों ने तो पिछले 6 माह में 58 % की वृद्धि के साथ रिकॉर्ड और जनता की कमर, दोनों को ही तोड़ दिया है. पिछले वर्ष जहाँ अक्टूबर 2016 को गैस की कीमत 466.50 रुपया प्रति सिलेंडर थी, वहीँ अब मार्च 2017 में  गैस की कीमतों ने ज़बरदस्त उछाल के साथ 737.50 का आंकड़ा छू लिया है. देखना ये है, कि लगातार बढती गैस की कीमतों का असर आमजन की रोज़मर्रा की भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में कितना पड़ता है. आखिर सभी को ये आस है, कि महंगाई कम होगी , पर कब ?
पिछले दिनों से लगातार पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों में भी बढ़ोतरी देखि जा रही है, जनता को इंतज़ार है इस बढती महंगाई के थमने का.
 

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