भारत के पहले अन्तरिक्ष यात्री राकेश शर्मा का जन्म 13 जनवरी, 1949 को पटियाला (पंजाब) में हिन्दू गौड़ परिवार में हुआ था. उन्होंने अपनी सैनिक शिक्षा हैदराबाद में ली थी.वे पायलट बनना चाहते थे.भारतीय वायुसेना द्वारा राकेश शर्मा टेस्ट पायलट भी चुन लिए गए थे, लेकिन ऐसा शायद ही किसी ने सोचा होगा कि वे भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री बनेंगे.
20 सितम्बर, 1982 को ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ (इसरो) ने उन्हें सोवियत संघ (उस वक्त) की अंतरिक्ष एजेंसी इंटरकॉस्मोस के अभियान के लिए चुन लिया.
इसके बाद उन्हें सोवियत संघ के कज़ाकिस्तान में मौजदू बैकानूर में प्रशिक्षण के लिए भेज दिया गया। उनके साथ रविश मल्होत्रा भी भेजे गए थे. 2 अप्रैल, 1984 का वह ऐतिहासिक दिन था, जब सोवियत संघ के बैकानूर से सोयूज टी-11 अंतरिक्ष यान ने तीन अंतरिक्ष यात्रियों के साथ उड़ान भरी.भारतीय मिशन की ओर से थे- राकेश शर्मा, अंतरिक्ष यान के कमांडर थे वाई. वी. मालिशेव और फ़्लाइट इंजीनियर जी. एम स्ट्रकोलॉफ़. सोयूज टी-11 ने तीनों यात्रियों को सोवियत रूस के ऑबिटल स्टेशन सेल्यूत-7 में पहुँचा दिया था.
अंतरिक्ष मिशन पूर्ण हो जाने के बाद भारत सरकार ने राकेश शर्मा और उनके दोनों अंतरिक्ष साथियों को ‘अशोक चक्र’ से सम्मानित किया.अपनी सफल अन्तरिक्ष यात्रा से वापस लौटने पर उन्हें “हीरो ऑफ़ सोवियत यूनियन” सम्मान से भी विभूषित किया गया था.
जब राकेश शर्मा अंतरिक्ष पहुंचे तो भारत में एक अजब ही अनिश्चय का माहौल पसरा हुआ था. अधिकांश आबादी यह भरोसा करने को तैयार नहीं थी कि कोई इंसान अंतरिक्ष पर भी पहुंच सकता है. उस समय के अखबारों में कई रोचक घटनाओं का जिक्र आता है.
एक स्थानीय अखबार में छपी खबर के मुताबिक भारत की इस उपलब्धी पर यूं तो पूरे देश में खुशी का माहौल था लेकिन इस दौरान एक गांव के धार्मिक नेता काफी गुस्सा हो गए. उन्होंने कहा पवित्र ग्रहों पर कदम रखना धर्म का अपमान करना है. भारत जैसे देश में जहां उस वक्त साक्षरता काफी कम थी, अंधविश्वास का बोलबाला था ऐसी खबर पर सहज यकीन करना मुश्किल था भी.
उस समय की एक बात बड़ी मशहूर है कि अंतरिक्ष स्टेशन से जब राकेश शर्मा ने इंदिरा गांधी को फोन किया तो भारतीय प्रधानमंत्री ने पूछा कि वहां से हमारा हिंदुस्तान कैसा नजर आता है?
इसके जवाब में शर्मा ने कहा, “सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा.” लेकिन यह वह वक्त था जब किस्से रचे जा रहे थे. राकेश शर्मा इतिहास और सामान्य ज्ञान की किताबों में हमेशा के लिए दर्ज हो गए.
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