फिल्म– ट्रैप्ड
रेटिंग– 3
सर्टिफिकेट– U/A
अवधि– 1 घंटा 42 मिनट
स्टार कास्ट– राजकुमार राव, गीताजंलि थापा
डायरेक्टर– विक्रमादित्य मोटवानी
प्रोड्यूसर– मधु मंताना, विकास बहल, अनुराग कश्यप
म्यूजिक– आलोकानन्द दासगुप्ता
कहानी– फिल्म की कहानी शौर्य (राजकुमार राव) पर आधारित है जो गलती से अपने ही फ्लैट में बंद हो जाता है. असल में शौर्य और नूरी (गीताजंलि थापा) एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं और एक दिन दानों डिसाइड करते हैं शादी करने के लिए. लेकिन शादी करने से पहले रहने के लिए घर का इंतजाम करना पड़ता है.
उनक बजट बहुत कम होता है ऐसे बजट में उसे कोई फ्लैट या घर नहीं मिलता है. ऐसे में एक ब्रोकर उसे शहर से कुछ दूर एक अपार्टमेंट की 35वीं मंजिल पर फ्लैट किराए पर दिलवाता है. वह बिल्डि़ंग कानूनी कार्रवाई की वजह से खाली पड़ी है वहां कोई नहीं रहता है. वहां पर एक बूढ़ा गार्ड है, जिसे बहुत धीमा सुनाई पड़ता है.
एक दिन सुबह जब शौर्य तैयार होकर कहीं बाहर जाता है. वह चाभी दरवाजे पर लगाता है तभी उसे याद आता है कि वह अपना फोन अंदर भूल गय है. जिसे लेने वह जल्दाबाजी में अंदर जाता है और हवा से दरवाजा बंद होने की वजह से वह अंदर ही बंद हो जाता है.
यहीं से कहानी नया मोड़ लेती है और दिखाया गया है, किस तरह शौर्य उन हालातों में अंदर रहता है. जब सारी सुविधा खत्म हो जाती है न पानी है, न खाना है और फोन का काम न करना. किस तरह वह बाहर निकलने की कोशिश करता है, जब सारे रास्ते बंद हो चुके हों.
एक्टिंग– राजकुमार अपनी एक्टिंग से किरदार में जान डाल देते हैं. राजकुमार दर्शकों को अपनी बेमिसाल एक्टिंग से बांधते हैं. पूरी जिंदगी एक फ्लैट में बंद रह जाने का डर और गुस्से को दर्शाने में एक्टर बखूबी कामयाब हुए. घर में कुछ खाने के लिए नहीं उस दौरान राकुमार की एक्टिंलग आपको हैरान कर देगी. फिल्म में गीतांजलि यानी नूर के किरदार के लिए कुछ खास नहीं है.
डायरेक्शन– बेमिसाल डारेक्शन और स्क्रिप्ट की डिमांड पर खरे उतरते हैं विक्रमादित्य मोटवानी. बिल्कुल अलग तरह की फिल्म लाकर भी डायरेक्टर ने लोगों का दिल जीत लिया. फिल्म थोड़ी सुस्त लगती है, लेकिन शुरुआत के 20 मिनट बाद दर्शकों को बांधने में कामयाब होती है.
देखें या नहीं– रोमांटिक और पुरानी कहानियों वाली फिल्में देखकर बोर हो गए हैं. लीक से हटकर कुछ नया देखना चाहते हैं, तो फिल्म ट्रैप्डे देखने सिनेमाहॉल जरूर जा सकते है.