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रेटिंग एजेंसी फ़िच ने घटाया भारत की विकास दर का अनुमान, नोटबंदी को बताया वजह

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जानीमानी रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने मंगलवार को इस वित्त वर्ष के लिए भारत की विकास दर का अनुमान 7.4 फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया। फिच ने कहा कि देश में नोटबंदी के बाद आर्थिक गतिविधि के लिए कुछ अस्थाई अवरोध रहेंगे। आगे कहा कि अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में आर्थिक गतिविधि को झटका लगेगा, जिसका कारण नकदी की निकासी व 500 और 1,000 रुपये के नोट बदलने से पैदा हुआ नकदी संकट है।
अमर उजाला के अनुसार – फिच ने कहा कि भारतीय विकास दर अनुमान को आर्थिक गतिविधि के लिए अस्थाई अवरोधों को देखते हुए कम किया गया है और इसका संबंध आरबीआई के बड़े मूल्य वर्ग के नोटों को चलन से बाहर करने के फैसले से है। अमेरिका स्थित रेटिंग एजेंसी ने 2017-18 और 2018-19 के लिए भी जीडीपी विकास दर अनुमान को घटाकर 8 फीसदी से 7.7 फीसदी कर दिया है।
फिच ने अपने ‘ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक-नवंबर’ रिपोर्ट में कहा कि ढांचागत सुधारों का क्रमिक क्रियान्वयन उच्च विकास दर हासिल करने में योगदान कर सकता है। लेकिन आंकड़ों में चल रही कमजोरी यह दर्शाती है कि निवेश में प्रत्याशित सुधार थोड़ा कम है। नोटबंदी के संबंध में फिच ने कहा कि लोगों के पास खरीदारी के लिए नकदी नहीं है। साथ ही ऐसी रिपोर्ट मिली हैं कि आपूर्ति बाधित हो रही है और किसान बुवाई के लिए बीज और उर्वरक नहीं खरीद पा रहे हैं। बैंकों के बाहर कतारों में समय नष्ट होने से सामान्य उत्पादकता पर भी प्रभाव पड़ेगा।
फिच ने कहा कि जीडीपी विकास दर प्रभावित होने से लंबे समय तक व्यवधान जारी रहने की आशंका में बढ़ोत्तरी होगी। जीडीपी विकास दर पर नकदी निकासी का मध्यावधि प्रभाव अनिश्चित है लेकिन इसके बहुत ज्यादा होने की संभावना नहीं है।

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