फेक लोन एप का जिक्र नया नहीं है। यह एप कोरोना काल मे अधिक प्रभावी हुए जब लोग बेरोजगार हुए अपने घर बैठे थे तब उनके मन में कर्ज लेने का विचार आता तो उनका ध्यान इन चंद मिनटों में हजारों रुपयों का लोन देने वाले एप की तरफ गया। दरअसल ये एप वहां अपना जाल आसानी से बिछाते हैं जहां लोग इनसे अवगत नहीं होते हैं। इन एप को चाइनीस लोन एप भी कहते हैं। यह लोग अक्सर नई नई स्कीम लेकर आते हैं और फिर भी ग्राहकों को परेशान करते हैं। इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशन की पड़ताल में पता चला है कि लोन और फिरौती वसूलने के इस रैकेट में 100 से ज्यादा एप शामिल है।
टेक्निकल एनालिसिस में सामने आया कि ये एप ग्राहकों की डिटेल चीन और हांगकांग स्थित सर्वर्स को भेज रहे हैं और फिरौती के पैसे को क्रिप्टोकरेंसी के जरिए चीन को भेजा जा रहा है। लोन देने की आड़ में ये तुरंत लोन देने वाले फेक एप विकसित किए गए है।
लोन देने वाले इन एप के गिरोह इतने शातिर होते हैं कि वे पहले ग्राहक को मैसेज पर लिंक भेजते हैं और जैसे ही ग्राहक उस लिंक पर क्लिक करता है उसका मोबाइल हैक कर लिया जाता है। कई लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने लोन लिया नहीं और उन्हें रिकवरी के मैसेज आते हैं। गौरतलब है कि यह गिरोह ग्राहक से उनकी हफ्ते या महीनों की बैंक स्टेटमेंट, आधार या पैन कार्ड मांगता है, ये सारे दस्तावेज ना होने के कारण भी उन्हे लोन मुहैया करा दिया जाता है।
दुर्भाग्यवश ग्राहक लोन लेकर इनके विषैले मायाजाल में फंस जाता है। ग्राहक के समय पर लोन ना चुकाने पर उसपर कई गुना पेनाल्टी लगाई जाती है, यही नहीं इस जंजाल में फंसा बदकिस्मत ग्राहक के लोन की किस्त ना चुकाने पर उसकी अश्लील फोटो बनाकर सार्वजनिक की जाती है और उसके घर वालों को धमकी तथा अपशब्द कहते हैं। साथ ही कर्जदार के कांटेक्ट लिस्ट के लोगों को फोन करके उसे बदनाम कर देते हैं। परेशान होकर व्यक्ति आत्महत्या पर उतर आता है। हाल ही में सागर का रहने वाला 35 वर्षीय अजय यादव ने लोन के कर्ज में फंसकर परिवार सहित जान दे दी। पुलिस रिपोर्ट के अनुसार मृतकों में अजय की पत्नी टीना, 3 वर्षीय बेटी याना और 1 वर्षीय बेटा दिव्यांश शामिल था । अजय के पड़ोस में रहने वाले उसके दोस्त के अनुसार अजय सागर का बताया जा रहा है और वह 7 साल पहले अपने निवास सागर चला गया था तथा वहां उसने प्लास्टिक की फैक्ट्री खोली थी। अजय ने टीना से लव मैरिज कर उससे विवाह रचाया तथा पुत्री के जन्म के उपरांत वह इंदौर रहने आ गया था। लॉकडाउन के दौरान अजय की बेटी दो बार कोरोनावायरस की चपेट में आई। ऐसे में अजय ने लोन एप से 40000 का कर्ज लिया और वह किस्त चुका भी रहा था, बदकिस्मती से एक किस्त ड्यू हो गई थी, जिसकी सूचना उसे 20 अगस्त को मिल गई थी और उसने ₹10000 की किस्त चुकाई थी, लेकिन पूरा लोन ना चुकाने के कारण अजय ने परिवार के साथ जान दे दी।
लोन लेने वाले व्यक्ति को ज्ञान होना चाहिए कि लोन NBFC( गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी) से रजिस्टर्ड है या नहीं। बता दे कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी भारतीय कंपनी अधिनियम 1956 के तहत पंजीकृत एक कंपनी है। कर्जदाता को इतना ज्ञान भी ना हो तो उसे लोन लेने के वैकल्पिक रास्ते देखने चाहिए जैसे सरकारी या दिग्गज निजी बैंकों से गोल्ड लोन, बैंकों के पर्सनल लोन, एफडी या एलआईसी पॉलिसी पर लोन, पीएफ पर लोन इत्यादि से कर्जदाता कभी धोखा नहीं खाता।सरकार को इन गिरोह को समूल नष्ट करना चाहिए।