आजादी के सात दशकों के बाद भी हम बुनियादी समस्याओं से जूझ रहे हैं

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एक लोककल्याणकारी राज्य वह है जिसमे हर किसी को समग्र न्याय की प्राप्ति हो। रोटी, कपड़ा और मकान जैसी बुनियादी जरूरतों से कोई भी मरहूम न हो। लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आजादी के सात दशकों के बाद भी हम इन्ही बुनियादी समस्याओं से लड़ रहे हैं।

देश जब आजाद हुआ तो हमारे पुरोधा नायकों ने अपने तरफ से हरसंभव प्रयास किया कि लोककल्याणकारी राज्य की संकल्पना को पूरा कर सके। इसके लिए कई योजना कार्यान्वित किये गए। कृषि से लेकर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम बनाए गए। लेकिन परिणाम बेहतर नहीं रहा। दिन प्रतिदिन देश की व्यवस्था गर्त में ही गई। न्याय की अवधारणा अधूरी रही। गरीब और अमीर के बीच की खाई बढ़ती ही गई। गरीब और गरीब होते गए और अमीर और धनाढ्य। आज यह आंकड़ा और खतरनाक है। 3 प्रतिशत लोगो के पास 87 प्रतिशत कुल जमा संपति है।

आज कोरोनाकाल में हम सभी ने सरकार और प्रशासन को अपाहिज होते देखा है। करोड़ो लोगो को मरते हुए देखा है। सरकार ने कह दिया कि जिसको मरना है मरें! हम कुछ नहीं कर सकते। आज कुछ बुनियादी उपाय की जगह सरकार इसमें व्यस्त है कि आयुर्वेद से देश चलेगा या एलोपैथिक से। स्वास्थ्य मंत्रालय अब रोग का इलाज करता है। विदेश मंत्रालय रक्षा अनुसंधान की बात करता है तो कल एसबीआई ने कोरोना के तीसरे लहर की बात की है। मतलब हर विभाग अपने विभाग के अलावे सब बात करता है। अब इससे बड़ी अव्यवस्था और क्या होगी?

कृषि और किसानों ने इस देश को हमेशा संकट से बचाया है। पिछले डेढ़ सालों से यह सेक्टर हमारे जीवनदायिनी बनी हुई है। लेकिन मजाल है कि किसानों को लेकर सरकार कभी गम्भीर हो। उन्हें तो यह सरकार आतंकवादी कहती है। तो समस्या को चिन्हित कीजिए। विरोध कीजिए और बताइए कि इस देश के निर्माण के समय जो हम सभी ने मिलकर एक बेहतर न्यायवादी भारत का सपना देखा था उसकी राह कैसी हो? उसके मूल्य कैसे हो?

न्यायपूर्ण व समतावादी सामाजिक आर्थिक, राजनीतिक व सांस्कृतिक पर्यावरण की व्यवस्था करता है। हम ऐसा कार्यक्रम बनाए जिसमे समाज की सम्पूर्ण विकास समाहित हो। हमारे विकास कार्यक्रमों का केंद्र ‘ आर्थिक समानता ’, ‘ सामजिक समानता ’, ‘ सामाजिक न्याय ’, ‘ महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता ’, ‘ नागरिकों की सहभागिता ’, ‘ स्वायत्ता व लोचशीलता ’ रहें तथापि गरीबी, कुपोषण, कृषि विकास में कमी, बेरोजगारी, ग्रामीण शहरी स्थानांतरण आदि समस्याओं पर एक मॉडल हो।

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