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एक गुप्ता जी कांग्रेस से तो दूसरे मोदी समर्थक

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आम आदमी पार्टी द्वारा राज्यसभा के उम्मीदवारों के नामो की घोषणा किया जाने के तुरन्त बाद पार्टी के पूर्व सदस्य, व क्रांतिकारी नेता कुमार विश्वास ने घोषणा से असंतुष्ट जताते हुए कहा की मै पार्टी के क्रांतिकारी उम्मीदवारों को बधाई देता हूं जिन्होंने पार्टी के लिए अतुलनीय कार्य किया है और साथ ही पार्टी पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि उन्हें सच बोलने की सजा दी गई है।

साथ उन्होंने अपने आवास से यह भी कहा कि अगर कोई केजरीवाल से असहमति रखता है तो आपकी पार्टी में कोई जरूरत नही है।

नामांकन की घोषणा की आखरी तारीख 5 जनवरी की है और जिसके चलते 15 जनवरी को खाली होने वाली राज्यसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों के चुनाव प्रक्रिया के कारण ये मामला सामने आया है। जिस पर सर्वसहमती से संजय सिंह पार्टीे सदस्य, सुशील गुप्ता हरयाणा ओर दिल्ली के शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़ा योगदान देने वाले प्रत्याशी ” उप . मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने उनके सम्बन्ध में कहा कि वह 15000 बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान करते है”। जिस के चलते उनका निर्वाचन किया गया है, इसके अलावा तीसरे पार्टी के उम्मीदवार एन डी गुप्ता जो आईसीएआई यानि इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टड अकॉउंटेंड ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष रहे है उनका चुनाव किया गया है, जिसके कारण कुमार असन्तुष्टी जाहिर कर रहे है।
करे भी क्यों नही क्योंकि उन्हीने पार्टी के भले ओर विकास के लिए जितना कार्य किया है वो सब सरहानीय है । राज्यसभा के लिए सबसे पहले कुमार ने जनसत्ता को दिए अपने साक्षात्कार में कहा था कि वह राज्यसभा की उम्मीदवारी की आशा रखते है और वह पार्टी की मजबूती के साथ राज्यसभा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे परन्तु इस सब से पहले ही माजरा कुछ और हो गया है और वो सब आपके सामने है। कुमार ने पार्टी के राजनीतिक समिति पीआईए की भी निंदा की साथ ही पार्टी को पहले छोड़ चुके प्रशांत भूषण , योगेंद्र यादव पर कपिल मिश्रा सरीखे नेताओं इस चुना प्रक्रिया की कड़ी निंदा की। इन सब से अलग अन्य नेताओं ने इस प्रक्रिया पर अपनी राय जताते हुए कहा कि .

“आप तो राजनीति का रंग बदलने आये थे पर आप पर ही राजनीति का गहरा रंग चढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है । एक भाजपा से तो एक कोंग्रेस से उठा लिया। जिस एनडी गुप्ता को GST एक्सपर्ट बात रहे हो वही मोदी का सबसे बड़ा GST समर्थक है।”
अजय माकन दिल्ली प्रदेश कोंग्रेस अध्यक्ष

इन सब मामलो से कुमार आहत हुए भी क्यों नही क्योंकि उनका पार्टी के नीव रखने जैसे बड़े कार्य मे बड़ा योगदान रहा है जिसको नजरअंदाज नही किया जा सकता है । फैसले के कारण खुद अब केजरीवाल और समिति पर ये सवालिया निशान उभरता प्रतीत हो रहा है कि आपने चयन प्रक्रिया में घलामेल किया है । विपक्षी भाजपा इसको केजरीवाल की पैसों को लेकर किये गए फैसले का रूप दे रही है।
बात ये निकल कर आती है क्या कुमार के अलावा आशीष खेतान या आशुतोष जैसे कद्दावर नेताओं से ऊपर ये नवनिर्वाचित नए चेहरे है ? क्या ये इन कोंग्रेसी नेताओं के अनुभवों से ऊपर है । बहरहाल अब लक्क़ीर पीटने से कुछ होने से रहा परन्तु ये निर्णय कुमार और दिल्ली की जनता के साथ विश्वासघात है । राज्यसभा की दावेदारी को सीना ठोक कर चाहने वाले कुमार के साथ ये दोगलापन हुआ है या ये राजनीति का नया मोड़ है ।खेर ये वक्त बताएगा।

अयूब मलिक