26 /11 के हमले में शहीद आईपीएस अधिकारी हेमंत करकरे को जानते हैं आप

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मुंबई में हुए 26/11 हमले को कोई नहीं भुला सकता। ये वो आतंकवादी हमला था जिसमे न केवल मुंबई बल्कि पूरा भारत सहम गया था। मुंबई के छह सबसे भीड़भाड़ वाले इलाकों में अचानक हुई गोलीबारी और बमबारी में लगभग 166 लोग मारे गए थे और 300 लोग घायल हुए थे। वहीं इस आतंकवादी हमले में पीड़ितों का एक बड़ा आंकड़ा शामिल है।

आतंकवादी संगठन लश्कर -ए- तैयबा के 26 आतंकवादियों ने इस हमले को अंजाम दिया था। इस हमले में मुंबई के छह इलाके प्रभावित हुए, जिनमें नरीमन हाउस, कामा अस्पताल, ओबेरॉय ट्राइडेंट, ताज महल पैलेस होटल, छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस और मुंबई स्थित लियोपोल्ड कैफे शामिल था। इस बीच मुंबई के एटीएस ( आतंक विरोधी दस्ते) और एटीएस के प्रमुख हेमंत करकरे ने इस हमले का बहादुरी से सामना किया और देश के लिए शहीद हो गए।

लेकिन कौंन थे हेमंत करकरे जिनकी शहादत के किस्से अक्सर सुनाए जाते हैं और जिनका ज़िक्र 19 के लोकसभा चुनावों में भी खूब हुआ था ?


1982 बैच के IPS अधिकारी थे :

मध्यप्रदेश में जन्मे हेमंत करकरे ने अपनी शुरुआती पढ़ाई महाराष्ट्र में की थी। नागपुर के विश्वेश्वर रीजनल
इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री ली। 1982 में UPSC क्लियर किया और 1982 बैच के IPS अधिकारी बने। 1999 में डॉ के पी रघुवंशी से मुंबई एटीएस (ATS) का पदभार संभाला था। उन्होंने एटीएस प्रमुख के तौर पर चंद्रपुर के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में काम भी किया था।

तस्वीर : वन इंडिया


उन्होंने नारकोटिक्स विभाग में अपनी तैनाती के दौरान गिरगांव में विदेशी ड्रग्स माफिया को मार गिराया था। इसके अलावा भारत की रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (ROW) में काम के दौरान ऑस्ट्रेलिया में 7 साल तक अपनी सेवा दी थी। इसके बाद मुंबई में वापसी की और 2008 में मालेगांव बम ब्लास्ट की गुत्थी सुलझाने का काम किया। आखिर में नवबंर 2008 में 26/11 के हमले में हेमंत करकरे शाहिद हो गए।


मालेगांव बम ब्लास्ट की गुत्थी सुलझाई थी :

2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव बम ब्लास्ट की कार्यवाही एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे ने ही कि थी। इस मामले में 1 महीने में 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया था और एटीएस की तरफ से दावा ये किया गया था कि, कुछ हिन्दू अतिवादी संगठनों ने मुस्लिम आबादी को नुकसान पहुंचाने के लिए इस हमले को अंजाम दिया था। इसमें हेमंत करकरे और टीम ने उस समय की ABVP प्रमुख साध्वी प्रज्ञा को भी गिरफ़्तार किया था। यहाँ तक कि साध्वी प्रज्ञा को ही इस हमले का मास्टर माइंड बताया गया था।

क्या था मालेगांव ब्लास्ट :

29 सितंबर 2008 को मालेगांव में एक बम धमाके को अंजाम देने के लिए एक मोटरसाइकिल पर बम प्लांट किया गया। ये बम ब्लास्ट हुआ और इसमें 6 लोगो की मौत के साथ 101 लोग घायल हुए थे। इस दौरान मोटरसाइकिल के इंजन के नम्बर से पता चला की मोटरसाइकिल साध्वी प्रज्ञा के नाम रजिस्टर्ड है।

इसके बाद साध्वी प्रज्ञा के साथ, शिव नारायण गोपाल सिंह, कालसांगरा और श्याम भंवरलाल को गिरफ़्तार किया गया। हालांकि, इस केस को NIA को शिफ़्ट कर दिया गया और साल 2016 में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ने साध्वी प्रज्ञा को क्लीन चिट दे दी थी।

26/11 हमले में शहीद हुए :

26 नवम्बर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले में कामा हॉस्पिटल के बाहर एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे अपने साथियों अशोक काम्टे और विजय सालस्कर के साथ शाहिद हो गए थे। हॉस्पिटल के बाहर उनकी वैन पर आतंकवादी अजमल कसाब और इस्माइल खान ने गोलियां चलाई थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 26 नवम्बर 2008 को दादर में अपने घर पर जब वो खाना खा है थे तब सूचना मिली कि छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर आतंकवादी हमला हुआ है। वो अपनी बुलेट प्रूफ जैकेट पहनकर अपनी टीम के साथ वहां पहुंचे लेकिन पाया कि पूरा स्टेशन खाली था। इसके बाद उन्हें सूचना दी गयी कि दोनों आतंकवादी कामा अस्पताल की तरफ़ गए हैं।

तस्वीर : वन इंडिया


अपनी टीम के साथ हेमंत करकरे अस्पताल पहुंचे, वहाँ टीम को दो खेमे में बांट दिया गया एक अस्पताल के बाहर पेहरा दे रहे थे तो दूसरा जत्था पीछे के रास्ते अस्पताल में घूंस गया था, बाकी बचे हुए सभी लोग एक क्वालिस जीप में सवार हो गए। उसी दौरान उन्हें आतंकवादियों की अस्पताल से बाहर निकलने की सूचना मिली। इसी जीप पर आतंकवादियों की गोलीबारी में हेमंत करकरे के साथ अन्य दो साथी भी मारे गए।

बुलेट प्रूफ जैकेट पर उठे थे सवाल :

भारतीय समाचार एजेंसी हेडलाइन टुडे ने एक जांच में पाया, की करकरे को एक घटिया बुलेट प्रूफ जैकेट दी गयी थी। लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में साफ हुआ कि करकरे की मौत का कारण बुलेट प्रूफ जैकेट की गुणवत्ता नहीं थी।

तस्वीर : वन इंडिया

हालांकि, मीडिया में इस बात को लेकर चिंता बनी रहती है। इसी बीच 2008 मे हाइकोर्ट ने एक याचिका को निलंबित कर दिया था, जिसमे कहा गया था एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे की मौत आतंकवादी अजमल कसाब और इस्माइल खान ने नहीं कि थी।

2019 के लोकसभा चुनावों में हुआ था ज़िक्र :

दिवंगत हेमंत करकरे को 2009 में मरणोपरांत राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने अशोक चक्र से सम्मानित किया था। जिसे हेमंत करकरे की पत्नी कविता करकरे ने प्राप्त किया था। one india की रिपोर्ट कहती है कि, 2019 के लोकसभा चुनावों में पूरे 10 साल बाद भोपाल की राजनीति में उनका ज़िक्र हुआ था।

ज़िक्र इसलिए हुआ था क्योंकि भोपाल में BJP की तरफ से साध्वी प्रज्ञा सांसद का चुनाव जीती थी। जिसके बाद मालेगांव बम ब्लास्ट का ज़िक्र भी एक बार तेज़ हो गया था। लेकिन साध्वी प्रज्ञा ने इस दौरान एक बात कही, उन्होंने कहा कि आईपीएस हेमंत करकरे को उन्होंने श्राप दिया था और आतंकी हमले में उनकी शहादत इस श्राप का अंजाम थी।