आजम खान से दूरी,आखिर क्या है मजबूरी ? 

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वक़्त के सामने इंसान कितना बेबस हो जाता है और सियासत कैसे रंग बदलती है, इसका प्रमाण समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता एंव रामपुर लोकसभा सीट से सांसद आजम खान हैं।उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनट मंत्री रहें आजम खान इस वक़्त अपने राजनीतिक जीवन के सबसे खराब दौर से गुज़र रहे हैं।

एक तो मुकदमें पर मुकदमे दर्ज हुए और जो वक़्त उन्हें क्षेत्र या संसद में गुज़ारना था, वो जेल में गुज़ारना पड़ रहा है। लेकिन आजम खान की बेबसी यहीं खत्म नही होती। गौर करने वाली बात यह है कि अपने ही लोग और पार्टी आजम खान से दामन बचाती नजर आ रही है। पहले सलाखों में बंद आजम खान को लेकर खामोशी और अब फ़ोटो से भी किनारा। जी हाँ हम बात कर रहे हैं सड़को पर लगे उन होर्डिंग्स की, जो सपा नेताओं की तरफ से लगाए गए है,लेकिन उन पर आजम खान की फ़ोटो नही है।

वक्त बदलते देर नही लगती और वक्त ही इंसान को क्या से क्या बना देता है। वक्त कब राजा को रंक और फकीर को अमीर बना दे कहा नही जा सकता। ऐसे ही कुछ बयां कर रहे है .

वक्त की गर्दिश में लिपटे आजम खान के सितारे

एक समय था कि जब आजम खान की तूती बोलती थी और उन्हें मुस्लिम सियासत का मजबूत स्तम्भ और मिनी मुख्यमंत्री कहा जाता था। लेकिन वक्त का मिजाज बदलते ही सब बदल गया और आजम खान को बेटे सहित सलाखों में कैद हुए करीब डेढ़ साल हो गया, लेकिन सपा ऐसी चादर खामोशी की ओढ़कर बैठी है कि जैसे न कुछ सुनाई दे रहा हो और न कुछ दिखाई।

गौरतलब है कि नौ बार विधायक, चार बार मंत्री, एक बार राज्यसभा सदस्य रह चुके समाजवादी पार्टी के रामपुर से मौजूदा सांसद आजम खान  को जेल की सलाखों के पीछे डेेेढ़ साल हो गया है।  गौर करने वाली बात यह है कि आजम खान का सपा सरकार में रुतबा रहा और वह मिनी सीएम कहे जाते थे। लेकिन सूबे में 2017 में भाजपा की सरकार आने के बाद उनके खिलाफ कानूनी शिकंजा कसना शुरू हो गया।

हालांकि इस मुश्किल वक्त में भी आजम 2019 में रामपुर से सांसद बन भाजपा पर भारी पड़े और खुद के इस्तीफे से खाली हुई रामपुर सदर विधानसभा सीट से भी पत्नी डॉक्टर तंजीन फातिमा को जिताकर कमल को खिलने से रोका। आजम खान के सियासी कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आजम खां रामपुर शहर विधानसभा सीट से नौ बार विधायक बने और प्रदेश सरकार में चार बार मंत्री रहे।

1996 में विधानसभा चुनाव हारने पर राज्यसभा के सदस्य बने, 2019 में पहली बार रामपुर से सासंद बने और उनकी पत्‍नी तंजीन फातिमा राज्यसभा सदस्य रहीं। फिलहाल तंजीम फातिमा रामपुर शहर से विधायक हैं।आजम खां के पुत्र अब्दुल्ला आज़म 2017 के स्वार सीट से विधायक बने, लेकिन उम्र के विवाद में हाईकोर्ट ने 16 दिसंबर 2019 को उनकी विधायकी रद्द कर दी थी और सुप्रीम कोर्ट में मामला विचाराधीन है।

लेकिन अब विधानसभा चुनाव 2022 का माहौल है तो आजम खान के लिए आवाजों का उठना लाजिमी है और खामोशी तोड़ते हुए सपा ने रिहाई की माँग को लेकर आवाज उठाने का सिलसिला भी शुरू कर दिया है। मगर सपा के नेता आजम खान से अब किनारा करने में गुरेज नही कर रहे है।

जिसका प्रमाण सड़को पर लगे ईद मुबारक के वो होर्डिंग्स है,जिन पर मुस्लिम समाज के इस कद्दावर का फोटो नही है। ऐसा नही है कि गैर मुस्लिम सपा नेताओं ने ही उनसे दूरी बनाई है, बल्कि सपा सरकार में मुस्लिम समाज के नाम पर मंत्रालय की मलाई लूटने वाले नेता भी शामिल है।

मेरठ निवासी एंव पूर्व दर्जा प्राप्त मंत्री ने बुढ़ाना विधानसभा क्षेत्र में होर्डिंग्स लगवाए, जिन पर उनका और उनके पुत्र का फोटो छपा है। इसके अलावा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ,मुलायम सिंह यादव, रामगोपाल यादव की तस्वीर छपी है, लेकिन आजम खान को जगह नही मिली।

इसके अलावा सुल्तानपुर में महिला नेत्री द्वारा लगवाए होर्डिंग्स पर भी आजम खान नदारद है।बड़ी बात यह है कि इन सब बातों के बावजूद भी सपा नेता आजम खान के साथ होने का दम भरते है और रिहाई की मांग का हवाला देते हुए हर समय साथ देने का दावा करते नजर आए।

जबकि कांग्रेस नेता शाहनवाज आलम ने कहा कि जिस आजम खान ने अपनी पूरी ज़िंदगी सपा को दे दी आज होर्डिंग्स से भी उनका फोटो गायब होना मुसलमानों का अपमान है। मुसलमानों को समझना चाहिए कि जो अखिलेश यादव आजम खान के नहीं हुए वो आम मुसलमानों के क्या होंगे। हालांकि इतना सब कुछ होने के बाद भी आजम खान के परिवार को अखिलेश यादव पर पूरा भरोसा है।