बीजेपी अडानी अम्बानी की सुविधा के लिए हल्दिया पोर्ट ओर उसके आसपास के इलाके पर जीत को सुनिश्चित कर लेना चाहती है, अगर आप नंदीग्राम की भौगोलिक स्थिति को देखेंगे तो यह हल्दिया पोर्ट से लगा हुआ इलाका है ।
यह बंगाल चुनाव का वह कारपोरेट एंगल है जिसके बारे में कोई नही बताता
आप देखिए कि सबसे बड़ी लड़ाई नंदीग्राम में ही लड़ी जा रही हैं, शुभेन्द्र अधिकारी को बीजेपी द्वारा तोड़ लेना और उन्हें नंदीग्राम से उतारना इस चुनाव की सबसे महत्वपूर्ण घटना साबित हुई है। ममता बनर्जी ने भी इस सीट का महत्व स्वीकार किया और भवानीपुर सीट को छोड़कर वह सीधे नंदीग्राम में शुभेन्द्र को चुनौती देने उतर गई, भाजपा को उम्मीद थी कि ममता नंदीग्राम में हार के डर से एक और विधानसभा क्षेत्र से जरूर चुनाव ल़डेगी। लेकिन ममता ने सिर्फ नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का फैसला लिया है।
इतिहास की सहायता से भी हम जानते हैं कि जिसका नियंत्रण बन्दरगाह पर होता है वही अन्ततः पूरे क्षेत्र पर कब्जा कर लेता है।
2009 में बंदरगाह वाले औद्योगिक शहर हल्दिया के पास स्थित नंदीग्राम को एक पेट्रोलियम, केमिकल और पेट्रोकेमिकल क्षेत्र तथा एक विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईज़ेड) के रूप में विकसित किये जाने की योजना थी लेकिन इसके लिए गुजराती उद्योगपतियों को आमंत्रित करने के बजाए वाम सरकार ने इंडोनेशिया के सलेम ग्रुप को आमंत्रित किया और जमीन अधिग्रहण के खिलाफ वहाँ एक बड़ा आंदोलन खड़ा हो गया।
नंदीग्राम और सिंगुर का आंदोलन ने वाम को बंगाल की सत्ता से अपदस्थ कर दिया, और ममता बनर्जी को राज्य में 10 सालो के लिए कुर्सी पर बैठा दिया, शुभेंदु इस आंदोलन के पोस्टर बॉय थे उन्होंने इस इलाके से वाम के प्रभाव को खत्म सा कर दिया।
शुभेन्द्र का परिवार राजनीतिक दृष्टिकोण से बहुत बड़ा है, उनके पिता शिशिर अधिकारी और भाई दिव्येंदु अधिकारी जिले की दो लोकसभा सीटों कांथी व तमलुक से टीएमसी के सांसद हैं। वह भी जल्द बीजेपी में शामिल होने जा रहे हैं।
इस परिवार ने पिछले दो दशकों से इस क्षेत्र की लोकसभा और विधानसभा सीटों पर लगातार जीत दर्ज की है।
यह परिवार पुरालिया मेदिनीपुर के अपने घर के अलावा जंगलमहल के तीन जिलों – बंकुरा, पुरुलिया, और पश्चिम मेदिनीपुर में महत्वपूर्ण प्रभाव डालता हैं। इन चार जिलों में एक साथ नौ लोकसभा और 63 विधानसभा सीटें हैं। यदि इसमे तीन चौथाई सीट भी बीजेपी जीत जाती है तो उसके लिए आगे का रास्ता ओर आसान हो जाएगा।
शुभेन्द्र सरकार के परिवार का हल्दिया बंदरगाह क्षेत्र में, और हल्दिया औद्योगिक क्षेत्र में ट्रेड यूनियनों के बीच काफी प्रभाव रहा है यह बात बेहद महत्वपूर्ण है।
बीजेपी के लिए हल्दिया कितना महत्वपूर्ण है यह बात इसी से समझ लीजिए कि उसने इस क्षेत्र की 2016 में वाम और कांग्रेस गठबंधन की उम्मीदवार तापसी मंडल को भी तोड़ लिया है। इस बार चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही वो बीजेपी में शामिल हुई हैं। उन्हें बीजेपी ने भी हल्दिया विधानसभा क्षेत्र से ही चुनावी मैदान में उतारा है।
बंगाल भले ही बीजेपी न जीत पाए लेकिन दक्षिण बंगाल के इस इलाके पर उसने कब्जा जमा कर गुजरात के उद्योगपतियों के लिए हल्दिया पोर्ट का रास्ता हमेशा के लिए खोल दिया है।