कंपनी क़ानून 2013 की समीक्षा क्यों करा रही है मोदी सरकार?

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मोदी सरकार ने बड़े पूंजीपतियों को बचाने के इंतजाम बिल्कुल ठोक बजा के किये हैं, बेचारे लाचार और भोलेभाले उद्योगपति कही जेल की हवा न खानी पड़े इसके लिए इंतजाम किए जा रहे हैं.
कंपनी अधिनियम में दंड के प्रावधानों की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन किया है. नया कंपनी कानून 2013 में पारित हुआ था, इस कानून में कम्पनी मालिको की धोखाधड़ी साबित होने पर जेल जैसी कड़ी सजा का प्रावधान हैं इस से NPA डुबोने वाले उद्योगपति घबराए हुए हैं.
इसलिए उनकी संतुष्टि के लिये मोदी सरकार ने यह समिति बनाई है, समिति ने यह जांच की है कि क्या इस कानून के तहत कुछ प्रकार के अपराधों में जेल की बजाय अर्थ दंड का प्रावधान उचित रहेगा इसके लाभ ये बताए जा रहे हैं, कि अदालतों पर दबाव कम होगा और वे कार्पोरेट जगत के ज्यादा गंभीर अपराधों से जुड़े मामलों को देखने पर अधिक समय दे सकेंगी.
अब यह समझिए कि इस समिति के अध्यक्ष कौन है- इसके अध्यक्ष इंजेती श्रीनिवास है,जिन्होंने पिछले दिनो यह झूठी घोषणा कर दी थी कि दो साल में 4 लाख करोड़ रुपये का एनपीए वापस आ गया है. इस समिति में लॉ फर्म सिरिल अमरचंद मंगलदास के कार्यकारी चेयरमैन शार्दुल एस श्राफ भी मेम्बर है, जिन पर पीएनबी घोटाले में नीरव मोदी की मदद करने का आरोप सीबीआई लगा रही हैं.
एक ओर मजे की बात पढ़ लीजिए , कहा जा रहा है कि इस लॉ फर्म सिरिल अमरचंद मंगलदास के साइरिस श्रॉफ के जानेमाने उद्योगपति गौतम अडानी के साथ पारिवारिक संबंध है और दिवाला प्रक्रिया के तहत आई रुचि सोया के अधिग्रहण सम्बन्धी प्रश्न पर बाबा रामदेव की पतंजलि ने कानूनी सेवा फर्म साइरिल अमरचंद मंगलदास को आरपी का कानूनी सलाहकार नियुक्त किए जाने पर भी सवाल उठाया था. क्योंकि यह विधि सेवा कंपनी अडाणी समूह को पहले से ही सलाह दे रही थी.
अब ऐसे लोग कम्पनी कानून में जेल की सजा पर सिफारिशें दे रहे हैं , ये है इनकी पारदर्शिता…

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