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प्रदर्शन में लाठीचार्ज के दौरान दिल्ली पुलिस को मुंह छुपाने की जरूरत क्यों पड़ी ?

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केंद्र सरकार द्वारा विवादित नागरिकता संशोधन बिल को पास करने और राष्ट्रपति के द्वारा साईन करने के बाद इसने कानून का रूप ले लिया है। इस बिल के संसद में पास होने के बाद से ही पूरे देश में भारी विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। नॉर्थ-ईस्ट के बाद दिल्ली में भी यह प्रदर्शन हिंसक हो गया है।
दिल्ली में अलग-अलग संगठनों के द्वारा जंतर-मंतर में विरोध प्रदर्शन जारी है। वहीं जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों के द्वारा भी लगातार प्रदर्शन किये जा रहे हैं। इस दौरान दिल्ली पुलिस की बर्बरता भी सामने आई है। पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर भारी लाठी चार्ज किया जा रहा है।
जामियानगर में प्रदर्शन के दौरान पुलिस द्वारा किये गए बर्बर लाठीचार्ज हुआ है,  DTC बसों पर आग लगा दी गई है।बसों को जलाने को लेकर एक वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें पुलिस की कार्यशैली को संदिग्ध रूप से देखा जा रहा है। पुलिस का लाठीचार्ज का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है, कि मुंह पर रुमाल बांधकर दिल्ली पुलिस ने लाठीचार्ज किया है।
जिसके बाद से यह सवाल उठ रहा है, कि वकीलों से मारपीट के समय मानवाधिकार की बात करने वाली दिल्ली पुलिस को आखिर लाठीचार्ज के समय मुंह में कपड़ा क्यों बांधना पड़ा ? महिलाओं को लाठी से मारने वाली एक तस्वीर सोशल मीडिया में वायरल हो रही है।

जामिया में 13 दिसंबर को भी  दिल्ली पुलिस ने किया था बर्बर लाठीचार्ज

13 दिसंबर को भी प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने जामिया यूनिवर्सिटी में पुलिस ने भारी लाठीचार्ज किया था। जिसके बाद जो तस्वीरें सामने आई थीं, उन्हे देखने के बाद पुलिस की कार्यवाही पर सवाल उठने लगे थे। जामिया मिल्लिया इस्लामिया में एक छात्र के हाथ में आँसू गैस का गोला गिरने के बाद फटा था, जिसके बाद उस छात्र का हाथ भारी ज़ख्मी हुआ था। तब ये सवाल भी उठे थे, कि पुलिस ने वाटर कैनन की जगह आसू गैस के गोले क्यों इस्तेमाल में लिए।

उस कार्यवाही के बाद दिल्ली पुलिस की एक तस्वीर भी वायरल हो रही थी, जिसमें दिल्ली पुलिस के जवान छात्रों पर पथराव कर रहे थे। अब दिल्ली पुलिस की मुंह में कपड़ा लपेटकर प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज करने की तस्वीरें सामने आ रही हैं। जिसके बाद ये सवाल उठ रहे हैं, कि आखिर पुलिस को मुंह छुपाने की आवश्यकता क्यों पड़ी ?

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