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व्यक्तित्व- चौधरी चरण सिंह कैसे बने किसानों के मसीहा

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चौधरी चरण सिंह. एक कद्दावर किसान नेता, समाजसेवी और स्वतंत्रता सेनानी. भारत के 7वें प्रधानमंत्री. 1979 से 1980 तक प्रधान मंत्री पद संभाला. किसानों के मसीहा.

जन्म और प्रारम्भिक जीवन

श्री चरण सिंह का जन्म 1902 में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के नूरपुर में एक मध्यम वर्गीय किसान परिवार में हुआ. चरण सिंह के जन्म के 6 वर्ष बाद चौधरी मीर सिंह सपरिवार नूरपुर से जानी खुर्द गांव आकर बस गये थे. यहीं के परिवेश में चौधरी चरण सिंह के हृदय  में गांव-गरीब-किसान के शोषण के खिलाफ संघर्ष का बीजारोपण हुआ.

उन्होंने 1923 में विज्ञान से स्नातक की एवं 1925 में आगरा विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की. आगरा विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा लेकर 1928 में चौधरी चरण सिंह ने ईमानदारी, साफगोई और कर्तव्यनिष्ठा पूर्वक गाजियाबाद में वकालत प्रारम्भ की. वकालत जैसे व्यावसायिक पेशे में भी चौधरी चरण सिंह उन्हीं मुकद्मों को स्वीकार करते थे जिनमें मुवक्किल का पक्ष न्यायपूर्ण होता था.कानून में प्रशिक्षित श्री सिंह ने गाजियाबाद से अपने पेशे की शुरुआत की. वे 1929 में मेरठ आ गये और बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए.

राजनीतिक जीवन

सबसे पहले 1937 में छपरौली से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए एवं 1946, 1952, 1962 एवं 1967 में विधानसभा में अपने निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. वे 1946 में पंडित गोविंद बल्लभ पंत की सरकार में संसदीय सचिव बने और राजस्व, चिकित्सा एवं लोक स्वास्थ्य, न्याय, सूचना इत्यादि विभिन्न विभागों में कार्य किया. जून 1951 में उन्हें राज्य के कैबिनेट मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया एवं न्याय तथा सूचना विभागों का प्रभार दिया गया. बाद में 1952 में वे डॉ. सम्पूर्णानन्द के मंत्रिमंडल में राजस्व एवं कृषि मंत्री बने. अप्रैल 1959 में जब उन्होंने पद से इस्तीफा दिया, उस समय उन्होंने राजस्व एवं परिवहन विभाग का प्रभार संभाला हुआ था.

उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री  श्री सी.बी. गुप्ता के मंत्रालय में वे गृह एवं कृषि मंत्री (1960) थे. श्रीमती सुचेता कृपलानी के मंत्रालय में वे कृषि एवं वन मंत्री (1962-63) रहे। उन्होंने 1965 में कृषि विभाग छोड़ दिया एवं 1966 में स्थानीय स्वशासन विभाग का प्रभार संभाल लिया.

कांग्रेस विभाजन के बाद फरवरी 1970 में दूसरी बार वे कांग्रेस पार्टी के समर्थन से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।.हालांकि राज्य में 2 अक्टूबर 1970 को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था. 1979 में वित्त मंत्री और उपप्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक [नाबार्ड] की स्थापना की. 28 जुलाई 1979 को चौधरी चरण सिंह समाजवादी पार्टियों तथा कांग्रेस (यू) के सहयोग से प्रधानमंत्री बने.

क्यों कहा जाता है किसानों का मसीहा?

चौधरी चरण सिंह को किसानों का मसीहा कहा जाता है.  उन्हें किसानों से सबसे ज्यादा लगाव था, उन्होने किसानों और गांवों की उन्नति के लिए बहुत काम किया. चौधरी चरण सिंह ने अपना पूरा जीवन किसानों के लिए संघर्ष करने में लगा दिया.  किसानों को ही देश का कर्णधार मानने वाले चरण सिंह ने उनके लिए कई आंदोलन किए.

आजादी के बाद 1948 में यूपी के मुख्यमंत्री पंडित गोविंद बल्लभ पंत ने उन्हें अपना सचिव नियुक्ति किया. पंडित गोविंद बल्लभ पंत ने 1951 में उन्हें जमींदारी उन्मूलन विधेयक तैयार करने का काम सौंपा। इस विधेयक ने किसानों को वर्षों की पीड़ा से मुक्त करा दिया। खेत जोतने वालों को ऐसा हक हासिल हुआ, जिससे बेदखल संभव नहीं था. उत्तर प्रदेश में भूमि सुधार का पूरा श्रेय चौधरी चरण सिंह को ही जाता है.