महिला सशक्तिकरण पर नम्रता मिश्र की कविता “लाल पित्रसत्ता’
लाल पित्रसत्ता मर्दों की इस दुनिया में, महिलाएं दोगुनी मेहनत कर, अपनी जगह बनाती हैं। आजाते हो तुम वहां भी, भले वो आपको नहीं बुलाती हैं। वो...
लाल पित्रसत्ता मर्दों की इस दुनिया में, महिलाएं दोगुनी मेहनत कर, अपनी जगह बनाती हैं। आजाते हो तुम वहां भी, भले वो आपको नहीं बुलाती हैं। वो...
मैं काँपने लगा हूँ दूरियाँ बनाते हुए मुहब्बतों से भरी कश्तियाँ डुबाते हुए गुज़र गई है फकत सीढियाँ बनाते हुए कराबतों से भरी क्यारियाँ सजाते हुए...
जाउंगा कहाँ ऐ दिल तुझको छोड़ कर तन्हा कैसे मैं करूं बढ़ती उम्र में सफर तन्हा भीड़ में या मेले में मैं रहा जहाँ भी...
बेफिक्री से फ़िक्र का सफर रोने से खामोश कराने का सफर बेसब्री से तहम्मुल का सफर पहले जो आँचल में छुप जाया करती थी आज किसी...
आदमी से बड़ा आदमी का काम होता है जैसे राम से बड़ा राम का नाम होता है शक्ल से खुलता नही वजूद किसी का सूरत का...
किसान बेटा जब बोल उठेगा जिस दिन किसान का बेटा बोल उठेगा…. दिल्ली का सिंहासन डोल उठेगा…. मिट्टी में मिल जायेंगे तख्तो ताज तुम्हारे… जिस दिन...
आज के मौजूं पर अदम गोंडवी साहब की कुछ मेरी पसंदीदा ग़ज़लें आँख पर पट्टी रहे और अक़्ल पर ताला रहे अपने शाहे-वक़्त का यूँ मर्तबा आला रहे...
हमेशा ज़िन्दगानी में मेरी ऐसा क्यूं नहीं होता जमाने की निगाहों में मैं अच्छा क्यूं नहीं होता उसूलों से मैं सौदा कर के खुद से पूछ...
तेरे दिल का समंदर है गहरा बहुत पर डुबाने को मुझको ये काफी नहीं कल फिर तुम तोड़ोगी वादा कोई फिर कहोगी गलती मैंने की माफ़...
ये दुनिया आखिरी बार कब इतनी खूबसूरत थी? जब जेठ की धधकती दुपहरी में भी धरती का अधिकतम तापमान था 34 डिग्री सेलसियस। जब पाँच जून...
तुम्हारे सामने मुझको भी शरमाना नहीं आता के जैसे सामने सूरज के परवाना नही आता ये नकली फूल हैं इनको भी मुरझाना नही आता के चौराहे...
मेरी बातें तुम्हें अच्छी लगतीं, ये तो हमको पता ना था तुम हो मेरे हम हैं तुम्हारे, ये कब तुमने हमसे कहा जिस दिन से है...