कविता एवं शायरी

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महिला सशक्तिकरण पर नम्रता मिश्र की कविता “लाल पित्रसत्ता’

  • August 17, 2020

लाल  पित्रसत्ता मर्दों की इस दुनिया में, महिलाएं दोगुनी मेहनत कर, अपनी जगह बनाती हैं। आजाते हो तुम वहां भी, भले वो आपको नहीं बुलाती हैं। वो...

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गज़ल – मैं काँपने लगा हूँ दूरियाँ बनाते हुए

  • November 2, 2019

मैं काँपने लगा हूँ दूरियाँ बनाते हुए मुहब्बतों से भरी कश्तियाँ डुबाते हुए गुज़र गई है फकत सीढियाँ बनाते हुए कराबतों से भरी क्यारियाँ सजाते हुए...

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किसान पर कविता- दिल्ली का सिंहासन डोल उठेगा

  • January 5, 2018

किसान बेटा जब बोल उठेगा जिस दिन किसान का बेटा बोल उठेगा…. दिल्ली का सिंहासन डोल उठेगा…. मिट्टी में मिल जायेंगे तख्तो ताज तुम्हारे… जिस दिन...

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ऐसे नाज़ुक वक़्त में हालात को मत छेड़िए – अदम गोंडवी

  • December 13, 2017

आज के मौजूं पर अदम गोंडवी साहब की कुछ मेरी पसंदीदा ग़ज़लें आँख पर पट्टी रहे और अक़्ल पर ताला रहे अपने शाहे-वक़्त का यूँ मर्तबा आला रहे...

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ग़ज़ल- मुसव्विर हूं सभी तस्वीर में मैं रंग भरता हूं

  • October 12, 2017

हमेशा ज़िन्दगानी में मेरी ऐसा क्यूं नहीं होता जमाने की निगाहों में मैं अच्छा क्यूं नहीं होता उसूलों से मैं सौदा कर के खुद से पूछ...

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कविता – ये दुनिया आखिरी बार कब इतनी खूबसूरत थी?

  • July 5, 2017

ये दुनिया आखिरी बार कब इतनी खूबसूरत थी? जब जेठ की धधकती दुपहरी में भी धरती का अधिकतम तापमान था 34 डिग्री सेलसियस। जब पाँच जून...

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कविता – मुझे कागज़ की अब तक नाव तैराना नहीं आता

  • April 9, 2017

तुम्हारे सामने मुझको भी शरमाना नहीं आता के जैसे सामने सूरज के परवाना नही आता ये नकली फूल हैं इनको भी मुरझाना नही आता के चौराहे...