ज़िंदगी के आखिरी दिनों में मेजर ध्यानचंद के पास इलाज के लिए पैसे भी नहीं थे
घनी अंधेरी रात थी, चांद रोशनी देने के लिए मद्धम सी रोशनी से चमक रहा था । हरी- हरी घास...
August 25, 2020
घनी अंधेरी रात थी, चांद रोशनी देने के लिए मद्धम सी रोशनी से चमक रहा था । हरी- हरी घास...
शरजील का इकलौता भाई होने के नाते, मैं आपको यकीन दिला सकता हूं कि दुनिया में अगर किसी ने उसे...
आह को चाहिये, इक उम्र असर होने तक, कौन जीता है, तेरी ज़ुल्फ़ के सर होने तक ( ग़ालिब )...