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क्या जमहूरियत और कश्मीरियत की आवाज में ही कुछ खराबी थी?
कुल आठ लाशें गिरीं। आदमियों की लाशें… लोकतंत्र के कथित पोषकों की लाशें। दो दर्जन से भी अधिक लोग जख्मी हुए…! शायद लोकतंत्र थोड़ा और मरा...