ये पोस्ट करना जरूरी नहीं था,पर अभी चलन में हिट अंतरात्मा की आवाज़ पे कर रहा हूँ कि सारे तर्क कुतर्क के बावजूद ये तो मानना पड़ेगा ” बिहार में जनमत का अपहरण किया गया “…..मोदी जी को इतनी इज़्ज़तदारी दिखानी तो चाहिए ही थी, कुर्सी के लिए लालू जी से छिना जूठन नहीं खाना चाहिए था।
माना आप अटक से कटक तक अपना झंडा लहरा देंगे,चक्रवती सम्राट हो जायेंगे,सकलभूजगपति हो जायेंगे पर सर बड़ा आदमी कब होइएगा?
कोई योजना तो होगा न इसका भी?
आप बहुत भूखे थे और लेट लपेट बर्दाश्त नहीं हो रहा था,तो नया पतरी बिछवाते।
ये क्या ? हर चाल को राजनीति कह के जायज़ सिद्ध कर देंगे तो फिर खलनीती किसे कहते हैं?
हाँ ये सच है कि अब राजनीति आश्चर्य नहीं देती,कुछ भी संभव है पर शर्मिंदगी तो देती ही है न।
आप तो चुनावों के राफेल नडाल हैं न, एक्को फ्रेंच ओपन नहीं हारते हैं न।तो फिर डर कैसा,एक और चुनाव करवा लीजिये न सर।
बिहार की चिंता खाली आपको काहे है?
खाली नीतीश जी को काहे है?
बिहार बिहारियों का भी तो है न, उनको भी तो चिंता करने दीजिये।
चुनाव हो और फैसला हो जायेगा कि बिहार अपनी प्रगति आपके हाथ चाहता है या नहीं, इसमें दिक्कत क्या है?
चुनाव का खर्च बचा के क्या उसी पैसा से बिहार को पेरिस बना दीजियेगा?
चुनाव करवाइए सर, जीतिए और शान और इज़्ज़त से बिहार का विकास करिये, जैसे अन्य प्रदेश का आप कर ही रहे हैं, हमसब देख ही रहे हैं। है कि नहीं।जय हो।
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