SC/ST एक्ट में बदलाव के बाद दलित एवं आदिवासी संगठनों द्वारा बुलाया गया भारत बंद के आह्वान के बाद पूरे देश में बंद का व्यापक असर देखा गया है. देश के अलग–अलग हिस्सों से बंद की विभिन्न विभिन्न तरह की तस्वीरें सामने आ रही हैं.
उत्तरप्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र से बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन की ख़बरें आ रही हैं.
इस बंद के दौरान सभी जगह सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले के बाद मोदी सरकार के रुख के खिलाफ़ व्यापक गुस्सा देखा गया. कुछ जगहों से हिंसा की खबर भी सामने आई है.
मध्यप्रदेश में 3 प्रदर्शनकारियों की हुई मौत
मध्यप्रदेश के मुरैना में एक जबकि ग्वालियर में प्रदर्शन कर रहे दो लोगों की मौत हो गई है. मध्यप्रदेश में कुछ स्थानों में कर्फ़्यू और धारा 144 भी लगा दी गई है.
वहीं राजस्थान में राजपूत संगठन करणी सेना और दलित संगठन के पदाधिकारियों के बीच झड़प की खबर भी आ रही है.
क्यों विरोध कर रहे हैं दलित और आदिवासी संगठन
दरअसल मामला ऐसा है कि 2009 में महाराष्ट्र के गवर्नमेंट फार्मेसी कॉलेज में एक दलित कर्मचारी की तरफ से फर्स्ट क्लास के दो अधिकारियों के खिलाफ कानूनी धाराओं के तहत शिकायत दर्ज कराई गई थी.
पुलिस अधिकारी ने जांच के लिए अधिकारियों से लिखित निर्देश मांगे. इंस्टिट्यूट के प्रभारी डॉक्टर सुभाष काशीनाथ महाजन ने लिखित में कोई निर्देश नहीं दिया. जिसके बाद दलित कर्मचारी ने सुभाष महाजन पर शियाकत दर्ज कराई थी.
इसके बाद महाजन ने हाईकोर्ट से FIR रद्द करने की मांग की थी. लेकिन हाईकोर्ट ने ठुकरा दिया था. फिर महाजन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जहां उनके खिलाफ एफआईआर हटाने के निर्देश दिए गए.
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ST/SC एक्ट के तहत तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि ST/SC एक्ट के तहत गिरफ्तारी न की जाए, बल्की अग्रिम जमानत की मंदूरी दी जाए.
इस फैसले के बाद देश भर के दलित एवं आदिवासी संगठनों ने विरोध करते हुए 2 अप्रैल 2018 को भारत बंद का आह्वान किया था. जिसके बाद देश भर में दलित एवं आदिवासी समुदाय भारी विरोध में उतर पड़ा.