0

अधिवेशन के बाद आक्रामक और बदली – बदली सी कांग्रेस

Share

सात साल बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ। इससे पहले 2010 में बुराड़ी में अधिवेशन हुआ था। तब और अब में काफी कुछ बदल चुका है तब केंद्र में और दिल्ली में दोनों जगह कांग्रेस की सरकार थी लेकिन इस वक़्त कांग्रेस राजनीतिक संघर्ष से जूझ रही है।
लगातार हो रही राजनीतिक हार और कार्यकर्ताओं के निराशा में डूब जाने के बाद 17 और 18 मार्च को कांग्रेस ने अपने 84 वें महाधिवेशन का आयोजन किया। जिसने पूरे देश मे सुस्त पड़ी कांग्रेस ने नई जान फूंक दी।
Image result for congress adhiveshan 2018
इस अधिवेशन में संगठन के भविष्य को लेकर , मोदी सरकार की नाकामियों पर, संग़ठन से जुड़े प्रस्तावों, को लेकर चर्चा की गई। मंच पर लगभग हर वक्ता ने चुन -चुन कर मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया मानो सालों से इसी मंच के सजने का इंतजार कर रहें हो और हो भी क्यों न आखिर कार 2014 के बाद कांग्रेस का सबसे बड़ा कार्यक्रम जो था जिसकी वजह से कांग्रेस सत्ता से दूर हुई उसकी खामियां गिनाने में कोई कांग्रेसी पीछे नही हटा।
Image result for congress adhiveshan 2018
इस महाधिवेशन के द्वारा कांग्रेस को देश की सत्ता के इकलौते विकल्प के रूप में पेश करने की कोशिश की गई। दिल्ली का इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम कांग्रेस के झंडों और नारो ने पूरी तरह भरा हुआ था। 2014 के बाद से गायब हुई रौनक मानो वापस आ गई हो।

लोकसभा चुनाव की तैयारी

इस अधिवेशन के साथ ही कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा चुनावों की तैयारी शुरू कर दी, देखा जाए तो 2019इसे पहले निराश कार्यकर्ताओं को चुनावो के लिए कमर कसने कह दिया गया है। कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों के मद्देनजर अपनी नीतियां, कार्यक्रमों को भी सभी की सामने रखा।
इन नीतियों और कार्यक्रमों पर ही अगला चुनाव लड़ा जाएगा। साथ ही कांग्रेस ने इशारों इशारों में तीसरे मोर्चे की संभावनाओं को भी दरकिनार कर दिया।
देश भर के नेताओं को साथ लेकर एकजुटता दिखाकर सरकार को कमर कसने के संदेश देने में यह कार्यक्रम सफल रहा।

राहुल की स्वीकार्यता

राहुल गांधी ने कांग्रेस की कमान संभाल तो ली है लेकिन यूपीए अध्यक्ष के तौर पर जो स्वीकार्यता सोनिया की है वैसी अभी राहुल की नही बन पाई है। मोदी के सामने राहुल कहा तक सामना कर पाएंगे इसको लेकर भी सहयोगी दल असमंजस में है।
Image result for congress adhiveshan 2018
राहुल गांधी के अध्यक्ष पद संभालने के बाद यह पहला बाद कांग्रेस का पहला बड़ा कार्यक्रम है जिसमे अध्यक्ष के रूप में  मंच से पार्टी को सम्बोधित करने का पहला अवसर मिला,  इसी अधिवेशन के ज़रिये राहुल गांधी की लीडरशिप स्थापित करने की कोशिश की गई।

गठबंधन के रास्ते पर

महाधिवेशन में 2019 को लेकर गठबंधन की संभावनाओं को भी सामने रखा गया। अपने राजनीतिक प्रस्ताव में कांग्रेस ने दावा किया है कि बीजेपी को हराने के लिए आने वाले समय मे समान विचारधारा वाले दलों के साथ व्यवहारिक नज़रिए के साथ साथ व्यवहारिक कार्यक्रम को लागू करने के लिए भी उस दिशा में आगे कदम बढ़ाएगी।
इस बारे में सोनिया ने अपने भाषण में कहा कि ” 1998 में पंचमढ़ी के चिंतन शिविर में “एकल चलो” की नीति पर सहमति बनी लेकिन 2003 में समय बदला और नीति में बदलाव हुआ, और कांग्रेस ने धर्मनिरपेक्ष ताकतों के साथ मिलकर आगे बढ़ने का फैसला लिया।
Image result for congress adhiveshan 2018

EVM  पर निशाना

पिछले कुछ समय से ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर भी सवाल उठ रहे है इन्ही सवालो के बीच कांग्रेस ने अधिवेशन में वोटिंग के पुराने तरीके बैलट पेपर से वोटिंग का सुझाव रखा।
कांग्रेस की ओर से कहा गया कि निष्पक्ष चुनाव करना चुनाव आयोग की ज़िम्मेदारी है वोटिंग व्यवस्था पर जनता का भरोसा बनाये रखने के लिए वोटिंग और कॉउंटिंग दोनों की पारदर्शि व्यवस्था बनाये रखना ज़रूरी है।

गुटबाज़ी पर कसा तंज

कांग्रेस अधिवेशन में सभी एकजुटता दिखाने को पूरी कोशिश कर रहे थे लेकिन लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बीते चुनावो और वर्तमान में कई राज्यों में चल रही गुटबाजी के नुकसान को भांप लिया।
खड़गे ने भाजपा और मोदी पर निशाना तो साधा ही साथ ही अपनी पार्टी की कमियों की तरफ भी इशारा किया गुटबाजी पर तंज कसते हुए वह कहते गई कि कई बार पार्टी के भीतर ही सब अलग अलग होते है एक दूसरे को काटने में लगे रहते है आपस मे झगड़ते है जिससे पार्टी का नुकसान होता है।
खड़गे ने सभी से एकसाथ होकर संघ और भाजपा से लड़ने की सलाह दी और कर्नाटका चुनावो में घर घर जाकर आरएसएस की लोगो की तरह प्रचार करना है।

गुस्सा दिखती है भाजपा

महाधिवेशन में राहुल गांधी ने अपने भाषण में कहा कि कांग्रेस इस देश मे बीजेपी का एकमात्र विकल्प है जो देश को सही राह दिखा सकती है, बीजेपी ने देश मे जो नफ़रत फैलाई है उसे कांग्रेस का प्रेम और भाईचारा ही मिटा सकता है।

  • राहुल ने यह तीन महत्वपूर्ण संकेत दिए, पहला – भाजपा का एकमात्र विकल्प सिर्फ कांग्रेस ही है।
  • दूसरा- भाजपा देश मे गुस्सा फैला रही है हर जगह दर का माहौल पैदा किया जा रहा है जिसे सिर्फ कांग्रेस का प्यार और भाईचारा ही खत्म कर सकता है।
  • तीसरा –  राहुल ने तीसरा संकेत दिया कि कांग्रेस युवाओं के जोश और अनुभवी नेताओं को साथ लेकर काम करेगी।

बदला बदला सा ट्विटर हैंडल

राहुल गांधी के ट्विटर हैंडल का नाम बदल दिया गया है, अब तक राहुल गांधी का ट्विटर हैंडल @officeofRG  के नाम से था लेकिन अब वह बदलचुक है अब राहुल गांधी का ट्विटर हैंडल @RahulGandhi  कर दिया गया है।
पिछले कुछ समय से राहुल मोदी सरकार को लेकर काफी आक्रमक है और मोदी सरकार और जमकर हमला बोल रहें है।हालांकि यह काम पहले हो जाना चाहिए था लेकिन देर से सही परिवर्तन कांग्रेस पार्टी और इसके हर क्षेत्र में हो रहा है।

Exit mobile version