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तो आयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को ही मानेगा AIMPB

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अयोध्या में राम मंदिर विवाद को सुलझाने का कार्य दो स्तरों पर किया जा रहा है एक न्यायालय के भीतर व दूसरा धार्मिक गुरुओं की अनौपचारिक बैठकों में।
जहां न्यायालय में कानूनी दलीलों,तथ्यों, गवाहों के आधार पर मुद्दे को एक अंजाम तक पहुंचाने की कवायत होती है वही धार्मिक अखाड़ों में हिन्दू मुस्लिम की आपसी सहमति को बनाने के प्रयास किये जा रहे है। इसी प्रकार कर कुछ प्रयास प्रसिद्व धार्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर अपने स्तर पर करने निकल चुके है।
रविशंकर राम मंदिर विवाद को आपसी सहमति के साथ न्यायालय के बाहर निपटाने की कोशिश करना चाह रहे है परंतु ऑल इंडियामुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का ऐसा कोई इरादा नज़र नहीं आ रहा। वह सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अनुसार ही व्यवहार करने को उचित मान चुका है। ऐसे में किसी भी प्रकार की अनौपचारिक बैठक,बातचीत या घोषणा को स्वयं से अलग कर दिया है। इसका सबसे नया उदाहरण मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना सलमान हुसैन नदवी को माना जा रहा है जिनको रविशंकर से अनोपचारिक बैठक के कारण निष्कासित कर दिया गया है।
अयोध्या में मंदिर तय जगह पर बनाने और मस्जिद को कहीं और शिफ्ट करने की पेशकश करने वाले मौलाना सलमान हुसैन नदवी को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से बाहर निकाल दिया गया है, नदवी के खिलाफ जांच करने कर लिए बोर्ड ने चार सदस्य कमेटी का गठन किया था जिसको नदवी से संबंधित अपनी सिफारिशें सौपनी थी।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के एग्जीक्यूटिव कमिटी के सदस्य सलमान हुसैन नदवी के खिलाफ जांच के लिए अध्यक्ष राबे हसन नदवी, महासचिव वली रहमान ,एग्जेक्युटिव कमिटी के सदस्य अरशद मदनी और मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमान की एक कमेटी तैयार की गई थी ।जिसको यह तय करना था कि राम मंदिर बाबरी मस्जिद विवाद पर नदवी और श्री श्री रविशंकर के बीच क्या बातें हुईं।
आर्ट ऑफ लिविंग के मुखिया श्री श्री रविशंकर और नदवी की बैंगलुरु के मुलाकात हुई थी । पर्सनल लॉ बोर्ड कर प्रवक्ता का कहना है कि नदवी ने निजी हैसियत में श्री श्री रविशंकर से मुलाकात की। वह ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के नुमाइंदे के तौर पर रविशंकर से मिलने नहीं गए।
ऐसे में साफ तौर पर दिखाई पड़ था है कि रविशंकर की कोशिशों पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पानी फेर रहा है क्योंकि उनके अनुसार रविशंकर हिंदुओं के हिमायती के तौर पर विवाद सुलझाने आये है न कि एक शांति के दूत के तौर पर, मोदी सरकार के प्रति रविशंकर का प्रेम उनके ऊपर संदेह का कारण बन गया है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से नदवी के खिलाफ उठाया गए इस सख्त कदम ने आगे किसी भी प्रकार की अनोपचारिक बातचीत के रास्ते बंद कर दिए है और विवाद का सारा भार सिर्फ सर्वोच्च न्यायालय पर छोर दिया है ऐसे में देखना यह होगा कि श्री श्री रविशंकर ने जो अनोपचारिक बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ाया था उस राह में वह अब क्या कदम उठाते है?

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