नज़रिया- इंस्पेक्टर सुबोध कुमार के क़ातिलों को "भीड़" का नाम मत दीजिए
इंस्पेक्टर सुबोध कुमार के क़ातिलों को “भीड़” का नाम मत दीजिए प्लीज़…. वर्ना कई और सुबोध कुमार, कई और ज़ियाउल हक़ जैसे जम्हूरियत के रक्षक मौत...
इंस्पेक्टर सुबोध कुमार के क़ातिलों को “भीड़” का नाम मत दीजिए प्लीज़…. वर्ना कई और सुबोध कुमार, कई और ज़ियाउल हक़ जैसे जम्हूरियत के रक्षक मौत...
केंद्र में साढ़े तीन बरस और दीगर राज्यों में लगभग डेढ़ दशकों के झूठ, फ़रेब, मक्कारी, औरत विरोधी, अमीरपरस्त- ग़रीब विरोधी, नफ़रत, ख़ून ख़राबा, ग़ैर संवैधानिक...
मैं, फ़िक्रमंद हूँ कि वर्णाश्रम के आख़िरी पायदान पे लटका दिये गए “शूद्र” अपना “ज़िंदा अस्तित्व” मनुवादी निज़ाम मे कैसे ढूंढ सकते हैं? उसमें भी ख़ासकर...
आज का छत्तीसगढ़ कभी धान का कटोरा कहलाता रहा है. अविभाजित मध्य प्रदेश से 1 नवम्बर 2000 में अलग होकर ये एक राज्य की शक्ल...
कुछ दिन पहले छत्तीसगढ़ फ़िर से चर्चा में था, लेकिन इस बार दुर्दांत नक्सलियों की वजह से नहीं बल्कि वजह थी राज्य सरकार की मूर्खता की...
“देश” शो केस में रक्खा कोई मुर्दा एंटीक पीस नहीं है। अपने नागरिकों की धड़कनों में दिल का जगह धड़कता है देश। एक आज़ाद, मुकम्मल आत्मनिर्भर...