Manibhushan Singh

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व्यंग – जब नुक्कड़ में मेरा सामना नए नए राष्ट्रवादी से हुआ

  • June 7, 2018

उस तरफ नुक्कड़ पे एक नवोदित राष्ट्रवादी भाई मिल गए थे। बड़े विद्वान, आधुनिक और आला-मिजाज… खिजाब से रँगे बालों का घना गुलछट, माथे पर तिलक,...

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वर्तमान भारतीय राजनीति का चरित्र घटिया और भयावह हो चला है

  • August 5, 2017

मुद्दे कई हैं नजर में। उनमें से कुछ अहम मुद्दे आज के हिंदुस्तान की जो डरावनी सूरत पेश करते हैं, उन्हें लिखना लाज़िमी जान पड़ा तो...

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वे लग गए गाँधी जैसा दिखने की कोशिश में, मगर क्या कोई बन सकता है गांधी ?

  • April 29, 2017

बहुत दिन बीते हमारे मुल्क में गाँधी जी पैदा हुए थे। बड़ी लड़ाई लड़ी उन्होंने। अपने मुल्क में भी और दीगर देश में भी। दूसरों की...

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क्या जमहूरियत और कश्मीरियत की आवाज में ही कुछ खराबी थी?

  • April 13, 2017

कुल आठ लाशें गिरीं। आदमियों की लाशें… लोकतंत्र के कथित पोषकों की लाशें। दो दर्जन से भी अधिक लोग जख्मी हुए…! शायद लोकतंत्र थोड़ा और मरा...

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योगी के एंटी रोमियो स्क्वाड से बेवजह परेशान हो रहे हैं, कई युवा

  • March 29, 2017

एंटी रोमियो स्क्वैड… यह बड़ी अजीब सी चीज है, मगर है और फ़िलहाल उत्तर प्रदेश में है। अभी नया-नया लाया गया है और श्री योगी जी...

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नफ़रत की उपजाऊ ज़मीन है, सोशल मीडिया पर ब्रेनवाश का सिस्टम

  • March 25, 2017

हमारे भारत में बहुत लोग बसते हैं। हमारी तादाद भारी है। उसमें नयी उम्र के लोग कहिये तो काफी से भी ज्यादा हैं। हमारे इस प्यारे...

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कविता – बस स्मृति हैं शेष

  • March 23, 2017

अति सुकोमल साँझ- सूर्यातप मधुर; सन्देश-चिरनूतन, विहगगण मुक्त: कोई भ्रांतिपूर्ण प्रकाश असहज भी, सहज भी, शांत अरु उद्भ्रांत… कोई आँख जिसको खोजती थी! पा सका न...

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क्या योगी सबका साथ – सबका विकास की राह अपनायेंगे

  • March 19, 2017

हमारे देश का संविधान गढ़ने वाले लोग इसे धर्मनिरपेक्ष घोषित कर गए। सामाजिक समरसता और सांप्रदायिक सामंजस्य हमारे देश के मेरुदंड बने रहे। सहिष्णुता हमारा पोषण...