रानू मंडल जी सेलिब्रिटी हो गई है एक बेहद साधारण सी आवाज की मालिक रानू मंडल को केवल इसलिए सेलिब्रिटी बना दिया गया कि वो बहुत ही गरीब हैं, और स्टेशन पर गाकर अपना गुजर बसर कर रही थी। हिमेश ने अचानक से उनका वीडियो देखा और उन्हें सीधे रिकार्डिंग रूम पर पहुँचा दिया। जँहा पहुँचने के लिए कई प्रतिभावान आवाज गूँजने से पहले खमोश हो गई।
आजकल सब कुछ बेचा जा रहा है, जिसके पास जो है, वो तो बेच ही रहा है। और जो नही वो किसी और को मोहरा बनाकर बेचा जा रहा है। रानू मंडल के केस में उनकी गरीबी को बेचा जा रहा है, उनकी गरीबी को सरे आम बेशर्मी से बेचकर अपनी शानदार ब्रांडिग की जा रही है।
आप को क्या लगता है, हिमेश ने उन्हें ब्रेक देकर बहुत बड़ा एहसान किया है। बतौर संगीतकार और गायक हिमेश अपना सबकुछ बेच चुके हैं। हिमेश जानते थे अगर उनके ब्रांड को नई ऊंचाइयों पर पहुचाना है, तो उन्हें कुछ नया करना होगा। सोशल मीडिया के जमाने में रानू मंडल जैसा रा टेलेंट मिल जाये और वो भी गरीब तो सोने पर सुहागा हो जाता है। उन्होंने ने झट से इस मौके को भुना लिया और रानू मंडल की गरीबी को बेचकर अपने ब्रान्ड को बेहतर बना लिया।
गरीबी को बेचना नया नही 100 सालो से ब्रांडिंग की दुनिया मे यह चलन चल रहा है, भारत मे जब कोई यह कहकर प्रधानमंत्री बन सकता है, कि वो बहुत गरीब था और स्टेशन पर चाय बेचा करता था। तो रानू मंडल तो इस खेल का बहुत अदना सा मोहरा हैं। क्रिस डकर कहते हैं आपका व्यक्तिगत ब्रांड तब बनता है, जब लोग आपके बारे में बोलते हैं। जब आप उस जगह में नहीं होते हैं और महत्वपूर्ण बात यह नही की लोग क्या बोलते है, बल्कि ऐसा क्यों बोलते है ?
आज केबीसी से लेकर जितने भी संगीत रियालटी शो हैं, वँहा गरीबी को बेचा जा रहा है। आप गरीबी को बेचिए लेकिन प्रतिभा को कम से कम उसकी बलिवेदी पर मत चढ़ाइए। मैं ऐसे बीसियों गायकों को निजी तौर पर जानता हूँ, जो अद्भुत प्रतिभा के धनी थे। लेकिन आज एक स्कूल या कालेज में संगीत सिखाकर अपना जीवन व्यापन कर रहे है। गरीब वो भी थे, लेकिन किसी स्टेशन पर चाय या पकोड़े नही बेचते थे। इसलिए जब अगली बार आप गरीबी के आधार पर किसी को फेमस करे तो सोच लीजियेगा। किसी प्रतिभावान के साथ अन्याय कर रहे हैं।
जाते जाते इस किस्से पर आमिर मकनपुरी का शेर ….
गरीबी बन गई तश्हीर का सबब आमिर,
जिसे भी देखो हमारी मिसाल देता है।