अनिल अंबानी की रिलायंस एनर्जी को अडानी ट्रांसमिशन ने 18,800 करोड़ रुपये में खरीद लिया है. सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में पता चला है कि रिलायंस एनर्जी ने 1451.69 करोड़ रुपये के कई करों का भुगतान महाराष्ट्र सरकार को नहीं किया है. कंपनी ने यह पैसा उपभोक्ताओं से सरचार्ज, टॉस, ग्रीन सेस और सेल्स टैक्स आदि के नाम पर वसूले हैं.
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने यह जानकारी हासिल की थी और द वायर ने इसको पब्लिस किया था. उनका कहना है कि अगर अब रिलायंस एनर्जी को अडानी ट्रांसमिशन ने ख़रीद लिया है तो 1451.69 करोड़ रुपये का भुगतान कौन करेगा? क्या इस नुकसान की भरपाई के लिए उपभोक्ताओं को बिजली की ज़्यादा कीमत चुकानी पडेगी.
आपको ज्ञात करवा दें कि, अडानी ट्रांसमिशन ने 18,800 करोड़ रुपये में रिलायंस एनर्जी मुंबई को ख़रीद लिया है. तीन महीने का वक़्त में अडानी ट्रांसमिशन कंपनी को टेकओवर करने की प्रक्रिया को पूरा करेगा.
कहा जा रहा रहा है कि, रिलायंस एनर्जी के मुंबई में 30 लाख उपभोक्ता हैं. क़र्ज़ में डूबे अनिल अंबानी ने मुंबई के बिजली वितरण के काम को अडानी ट्रांसमिशन को बेच दिया और इससे मिले पैसों से वे अपना 15 हज़ार करोड़ रुपये क़र्ज़ को चुकाएंगे.
इस का खुलासा द वायर ने आरटीआई कार्यकर्ता से बात करने के बाद किया.
गलगली ने द वायर से बात करते हुए बताया, ‘रिलायंस एनर्जी ने अक्टूबर 2016 से अक्टूबर 2017 के बीच उपभोक्ताओं से 14,51,69,15,200 रुपये वसूले और इतनी बड़ी रकम का सरकार को भुगतान भी नहीं किया. अब जब अडानी ट्रांसमिशन ने इस कंपनी को ख़रीद लिया है तो सवाल यह पैदा होता है कि इतनी बड़ी रकम का भुगतान दोनों में से आख़िर करेगा कौन?’
गलगली ने महाराष्ट्र सरकार के बिजली विभाग से आरटीआई के ज़रिये पूछा था कि रिलायंस एनर्जी ने उपभोक्ताओं से वसूले गए कर को भरा है कि नहीं.
जून में शुरू हुए सांताक्रूज डिविज़न में कार्यरत इलेक्ट्रिसिटी इंस्पेक्टर मीनाक्षी वाथोर के अनुसार, रिलायंस एनर्जी ने जून 2017 से अक्टूबर 2017 के बीच 591,50,53,500 रुपये इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी, इलेक्ट्रिसिटी टैक्स, टॉस और ग्रीन सेस के नाम पर वसूले हैं.
एक दूसरे आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, अक्टूबर 2016 से मई 2017 के बीच रिलायंस ने उपभोक्ताओं से विभिन्न टैक्सों करके अंतर्गत 860,18,61,700 रुपये वसूले हैं. कुल मिलाकर अक्टूबर 2016 से अक्टूबर 2017 के बीच 1451.69 करोड़ रुपये का टैक्स कंपनी द्वारा जमा नहीं करवाया गया है.
गलगली ने बताया कि आरटीआई दायर करने के बाद महाराष्ट्र सरकार हरकत में आई और रिलायंस एनर्जी को नोटिस भेजा. बीते तीन नवंबर को डिविजन इंस्पेक्टर मीनाक्षी ने रिलायंस के जनरल मैनेजर को नोटिस भेज बकाया पैसा जमा करने को कहा. गलगली ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर कहा कि रिलायंस एनर्जी के बैंक एकाउंट को फ्रीज़ कर मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए.
उन्होंने बताया, ‘यह सरकार की ज़िम्मेदारी है कि इतनी बड़ी रकम बकाया होने के बावजूद भी रिलायंस कैसे अडानी को कंपनी बेच सकती है. सरकार को बकाया राशि पर 24 प्रतिशत का ब्याज लेना चाहिए और ज़रूरी कार्रवाई करने का आदेश देना चाहिए. वरना यह सवाल हमेशा बना रहेगा कि आख़िर टैक्स का पैसा कौन भरेगा.’
उधर, मुंबई कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सांसद संजय निरूपम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस लेन-देन पर सवाल उठाते हुए महाराष्ट्र विद्युत विनियामक आयोग (एमईआरसी) को पत्र लिख कर शिकायत की है कि इस तरह कंपनी बेचने के इस लेन-देन को जांच होने तक रोका जाना चाहिए.
निरूपम ने द वायर से बात करते हुए कहा, ‘मैंने एमईआरसी को पत्र लिख कर कहा है कि उपभोक्ताओं के बारे में भी विचार किया जाना चाहिए, क्योंकि अगर यह पैसा नहीं भरा गया तो सरकार के लिए ये नुकसान होगा. सरकार अपने नुकसान की भरपाई करने के लिए बिजली की कीमतों में इज़ाफ़ा करेगी और इसका सीधा भार उपभोक्ताओं पर आएगा.’
निरूपम ने कहा, ‘अनिल अंबानी की कंपनी तो इस क्षेत्र में बहुत छोटी है और अडानी का पावर सेक्टर में क्या काम है यह सब जानते हैं. अडानी ट्रांसमिशन बेहद शातिर कंपनी है और मुनाफे के लिए उपभोक्ताओं को निचोड़ लेगी.’
उन्होंने कहा, ‘हम यह समझ कर चलते हैं कि दो निजी कंपनी आपस में कोई भी लेन-देन कर सकती है, लेकिन हमें यह समझना होगा कि अगर इस तरह के किसी लेन-देन से जनता भी प्रभावित होगी, तो यह एमईआरसी की ज़िम्मेदारी बनती है कि वे उपभोक्ताओं के लिए काम करें. हम चाहते हैं कि एमईआरसी इसका संज्ञान लेते हुए इस लेन-देन को रोके और 1451.69 करोड़ रुपये की वसूली किए बिना अडानी पावर को बिजली वितरण का काम सौंपा न जाए.’
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