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जब भारतीय सेना के लिये हैदराबाद निज़ाम ने खोल दिये थे खज़ाने

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1965 के युद्ध में पाकिस्तान पर विजय पाने के बाद भारत के लिए सबसे बड़ा ख़तरा ताक़तवर पड़ोसी देश चीन से था. उन हालात में भविष्य में उत्पन होने वाले ख़तरे से निपटने के लिए तात्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने National Defence Fund का गठन किया. इसके बाद भारत सरकार ने राजाओं से सहयोग की अपील की मगर देश के लिये इस मुश्किल वक़्त में कोई आगे नहीं आया.
देश में बहुत से रजवाडे थे, सिंधिया से लेकर होल्कर और विंध्य से लेकर राजकोट के मराठा राजघराने तो राजस्थान के राजपूत राजघराने. सभी अकूत सम्पति के मालिक थे.पर उस समय कोई भी आगे नहीं आया.सब कुछ उम्मीद के ख़िलाफ़ हुआ था. जिन राजे रजवाडो पर भारत सरकार को भरोसा था,कोई भी आगे नहीं आया.
हालात को देखते हुये प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने हैदराबाद का रुख़ किया; वह जानते थे कि निज़ाम मीर उस्मान अली खान,भारत सरकार को मायूस नही करेंगे. तात्कालीन प्रधानमंत्री शास्त्री जी हैदराबाद गये और निज़ाम से आग्रह किया कि वह खुले दिल से नैशनल डिफ़ेन्स फ़न्ड में योगदान करें.

लाल बहादुर शास्त्री और हैदराबाद के निज़ाम उस्मान अली खान


भारत के इतिहास के सबसे धनवान व्यक्ति से जब प्रधानमंत्री शास्त्री जी ने आग्रह किया तो उसके बाद निज़ाम मीर उस्मान अली खान ने एलान किया कि वह 5 टन सोने से राष्ट्रीय डिफ़ेन्स फ़न्ड की की मदद करेंगे.निज़ाम के इस ऐलान से वहाँ पर मौजूद तमाम लोग हैरत में पड़ गये थे.

किसी समय टाईम पत्रिका में दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति के रूप में जगह पाने वाले निज़ाम ने भारतीय इतिहास में सबसे बड़ा चंदा देकर एक ऐसा रिकोर्ड बनाया कि जिसे कोई संस्था या व्यक्ति आज तक तोड़ नहीं पाई.
उनके द्वारा चंदे के तौर पर दिए गए सोने की क़ीमत रु. वर्तमान में 1500-1600 करोड़ के बीच आँकी गई है.
इस दान को सुनकर एक सवाल ये भी उठता है, कि क्या आज के अरबपति अडानी,अंबानी,टाटा,बिडला,आदि उद्योगपति क्या देशहित में इतना खर्च कर सकते हैं.क्या ऐसी कोई दूसरी मिसाल और बन सकती है.
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