अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता काबिज होने के बाद अब नई सरकार का भी एलान हो गया है। लेकिन तालिबान के आने के बाद से अफगान जिन मुसीबतों का सामना कर रहा है उसका समाधान कब होगा ये कोई नहीं जानता। अफगान में जंग भले ही थम गई हो लेकिन सड़को पर अपने अधिकारों के लिए झंडे थामे अफगान लोगो का हुजूम अभी भी वैसा ही है। बहरहाल अफगान नागरिक भुखमरी और बेकारी से जूझ रहे है, उनके लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना भी बड़ा मुश्किल हो रहा है।
बच्ची को मजबूरी में बेच रहा हूं-नाज़िर
“टाइम्स ऑफ लंदन” और “न्यूयॉर्क पोस्ट” ने एक रिपोर्ट पब्लिश करते हुए अफगान की हालिया स्थिति बयां की है। रिपोर्ट में भुखमरी और बेकरी से टूट चुके पिता की बेबसी का खुलासा भी किया गया है। ये बेबस पिता अफगान नागरिक मीर नाजिर है जो तालिबानी शासन में अपने परिवार का पेट पालने के लिए अपनी ही 4 साल की बच्ची को बेचने के लिए तैयार हैं।
रिपोर्ट में नाज़िर कहते हैं कि, पहले वह अफगान पुलिस में कर्मचारी था। तालिबान आने से नौकरी चली गयी। घर में 7 लोग है। जिस घर में वह रह रहे हैं वह भी किराये का है। जितनी बचत थी, वह सब खत्म हो गयी है। अब दो वक्त की रोटी मिलना भी मुश्किल सा हो गया है। नाज़िर के सामने सबसे बड़ी चुनौती इस समय अपने परिवार का पेट पालना है। जिसके लिए नाज़िर ने अपनी 4 साल की बच्ची साफिया को बेचने का फैसला लिया है।
तालिबान के आने से चली गई नौकरी
टाइम्स ऑफ लंदन की रिपोर्ट में नाज़िर कहते है कि देश की इकोनॉमी तबाह हो चुकी है। उन्हें अब कहीं से कोई उम्मीद नहीं दिखती। तालिबान के आने से नौकरी भी हाथ से चली गई है। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि अब वह क्या करें? नाज़िर कहते हैं कि साफिया को बेचने से पहले मैं खुद मर जाता। मगर इससे क्या मेरा परिवार बच जाएगा। साफिया को खुशी से नहीं बेच रहा, ये मेरी बेबसी है और ये बेबसी में लिया गया फैसला है।
मीर नाज़िर कहते हैं कि मेरी एक दुकानदार से बात हुई है। साफिया को खरिदने के लिए वो तैयार है। उसकी कोई औलाद नहीं इसलिए वो साफिया को खरीदना चाहता है। अपनी दुकान में उसे काम भी देगा। मुझे लगता है कि साफिया का भविष्य सम्भल जाएगा। मगर पैसों को लेकर हमारे बीच कोई ठोस बात नहीं हुई है। मैंने 50 हज़ार अफगानिस मांगे है, लेकिन वो 20 हज़ार अफ़ग़ानिस में खरीदना चाहता है।
भविष्य में पैसे देने पर साफिया को वापस लौटाने की हुई है बात
साफिया के बारे में आगे बताते हुए मीर कहते हैं कि, मैं साफिया को क्या दे पाऊंगा? कम से कम इन पैसों से परिवार का पेट तो भर उन्हें बचा सकता हूँ। दुकानदार से मेरी बात चल रही है अगर मैं भविष्य में उसके पैसे लोटा देता हूँ तो वो मेरी साफिया मुझे वापस दे देगा। मैं अपनी साफिया से प्यार करता हूं, पर इस वक्त मैं मजबूर हूँ।