जम्मू कश्मीर के कठुआ और उन्नाव गैंगरेप के बाद देश में रेप की घटनाओं के विरुद्ध ज़बरदस्त आउटरेज देखने को मिला. पूरा देश बलात्कार की घटनाओं के विरुद्ध उठ खड़ा हुआ.
देखते ही देखते बलात्कार के दोषियों को मौत की सज़ा की मांग बहुत तेज़ी से उठने लगी. इसी बीच सूरत, इंदौर, बलरामपुर और हरयाना के रोहतक से रेप और हत्या की ख़बरें सामने आईं. जिसके बाद देश में मासूमों के साथ बलात्कार और हत्या की घतानओं पर चर्चा तेज़ गई.
यह मांग की जाने लगी की सरकार रेपिस्टों की सजा को और सख्त करे, नाबालिग़ के साथ बलात्कार करने वालों को सज़ाए मौत का प्रावधान किया जाए.
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि खराब होने के बाद सरकार को होश आया और अध्यादेश लाया जा रहा है. जिसमें कुछ इस तरह के बिंदु शामिल किये गए हैं –
- इसमें 16 वर्ष से कम आयु की किशोरियों और 12 वर्ष से कम आयु की बच्चियों से बलात्कार के दोषियों के खिलाफ सख्त दंड का प्रावधान किया गया है. इसके तहत 12 साल से कम उम्र के बच्चियों से दुष्कर्म के दोषियों को अदालतों द्वारा मौत की सजा देने की बात कही गई है.
- इसके अलावा बलात्कार के मामलों की तेज गति से जांच और सुनवाई के लिये भी अनेक उपाए किये गए हैं. महिला के साथ बलात्कार के संदर्भ में सजा को 7 वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष के कारावास किया गया है जिसे बढ़ाकर उम्र कैद किया जा सकता है.
- इसके साथ ही 16 वर्ष से कम आयु की किशोरी से बलात्कार के दोषियों को न्यूनतम सजा को 10 वर्ष कारावास से बढ़ाकर 20 वर्ष कारावास किया गया है जिसे बढ़ा कर उम्र कैद किया जा सकता है. 16 वर्ष से कम आयु की किशोरी से सामूहिक बलात्कार के दोषियों की सजा शेष जीवन तक की कैद होगी.
- बारह साल से कम उम्र के बच्चियों से दुष्कर्म के दोषियों को अदालतों द्वारा कम से कम 20 साल कारावास की सजा या मृत्यु दंड होगी. बारह साल से कम उम्र की लड़कियों से सामूहिक बलात्कार के दोषियों को शेष जीवन तक कैद या मौत की सजा का प्रावधान किया गया है.
- बलात्कार से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई का काम दो महीने में पूरा करने का प्रावधान किया गया है. ऐसे मामलों में अपील की सुनवाई छह महीने में पूरा करने की बात कही गई है.
- अध्यादेश में यह कहा गया है कि 16 वर्ष से कम आयु की किशोरी से बलात्कार या सामूहिक बलात्कार के आरोपी लोगों के लिये अग्रिम जमानत का कोई प्रावधान नहीं होगा.
- इसमें राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों के साथ विचार विमर्श करके त्वरित निपटान अदालतों के गठन की बात कही गई है. सभी पुलिस थाने और अस्पतालों में विशेष फारेंसिक किट उपलब्ध कराने की बात कही गई है.
- अध्यादेश में कहा गया है कि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो यौन अपराध से जुड़े लोगों का राष्ट्रीय डाटाबेस तैयार करेगा और इसे राज्यों के साथ साझा किया जायेगा.