21 वर्षीय इरम मसरूर चौहान, बनीं सबसे कम उम्र की ग्राम प्रधान

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यूपी के गढ़ीपुख्ता ग्राम पंचायत गुराना में फिर एक बार प्रधानी के चुनावों में युवाओं ने बाजी मार ली है। 21 वर्ष की इरम मसरूर चौहान ने पहली बार प्रधानी के चुनाव लड़े और जीत कर अपने ग्राम पंचायत की सबसे कम उम्र की प्रधान बन गईं। यूपी में ये कोई पहली बात नहीं है।

इससे पहले भी कई गांवों में कम उम्र के प्रधान बन चुके हैं। अब ग्रामीण इलाकों में रहने वाले भी अपने प्रतिनिधि के रूप में पढ़े लिखे युवाओं को पसंद कर रहे हैं।यही कारण है कि यूपी में होने प्रधानी के चुनावों में अब सबसे कम उम्र के प्रधान चुने जा रहे हैं।

कौन हैं इरम मसरूर,कैसे बनी ग्राम प्रधान

इरम मसरूर शामली जिले की निवासी हैं।बी बीए तक कि शिक्षा प्राप्त कर इरम ने अपने गांव में प्रधानी का चुनाव जीतकर अपने ग्राम पंचायत की सबसे कम उम्र की ग्राम प्रधान बनी है। इरम ने ये पहला चुनाव लड़ा था। उनकी की माँ मसनीम चौहान भी अपने गांव की प्रधान रह चुकी हैं। इतना ही नहीं इरम के पिता मसरूर ख़ाँ मुज़फ्फरनगर जिले से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं।

चुनौतियों से जूझता है इरम का गांव

इरम बताती हैं कि उनके गांव को रोजाना अनेक समस्याओं को झेलना पड़ता है। गांव के शमशान और कब्रिस्तान जर्जर हालत में है। लोगों को पीने का पानी नहीं मिल पाता। जल निकासी की समस्या है वही गांव के तालाब भी व्ययस्थित रूप में नहीं हैं। गांव के लोगो को सरकारी योजनाओं का सही से लाभ नहीं मिल पाता। सड़को की हालत खस्ता है वही स्वच्छता का स्तर गिर चुका है।

गांव का विकास और जिले का नाम रोशन करना है

प्रधान बताती है कि गांव का विकास उनकी प्राथमिकता है। पेयजल के संकट को दूर करने के लिए गांव में पानी की टंकी का निर्माण करवाना है। कब्रिस्तान और शमशानघाट की हालत सुधारनी हैं। सड़को का निर्माण करवाना हैं। महिलाओं को मनरेगा से जोड़कर उन्हें रोज़गार उपलब्ध करना है। गांव के हर आदमी को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके इसके लिए पेंशन और राशन कार्ड बनवाने हैं। इसके अलावा छात्रों के लिए कंप्यूटर सेंटर और पुस्तकालय का भी निर्मण कराना हैं। इरम आगे कहती हैं की गांव में साफ सफ़ाई रखनी है और जिला स्तर पर गांव का नाम रोशन भी करना है।

पहले भी बन चुके हैं कई कम उम्र के प्रधान

इरम पहली इंसान नहीं है जो सबसे कम उम्र में अपने गांव की प्रधान बनी हों। इससे पहले भी यूपी के कई गांवों में कम उम्र के ग्राम प्रधान बन चुके हैं। 22 वर्षीय दीपेश चौधरी सादाबाद के सबसे कम उम्र के प्रधान बने हैं। बस्ती जिले के हरैया ब्लॉक के डुहवा मिश्र गांव से रूपल शर्मा सबसे कम उम्र की प्रधान बनी वहीं उन्नाव में भी पूनम सबसे कम उम्र की ग्राम प्रधान बन चुकी हैं।

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