पाकिस्तान के हस्तक्षेप को लेकर तालिबान सरकार में हुए दो फाड़

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अफगानिस्तान में तालिबान की अंतरिम सरकार अब दो धड़ो में बट चुकी है। एक धड़ा हक्कानी नेटवर्क का है जो अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में अपनी सत्ता जमाए बैठा है। वहीं दूसरा धड़ा तालिबान नेताओ का है, जो कंधार में नेतृत्व कर रहें हैं। दोनों के बीच मतभेदों का कारण पाकिस्तान और पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी को बताया जा रहा है।

गौरतलब है कि, अफगान में नई सरकार बनने के दौरान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के बीच सत्ता के लिए कहा सुनी हुई थी। जिसके बाद दोनों की मिली जुली सरकार बनी। हालांकि, अब सरकार बनने के बाद पाकिस्तान के कारण हक्कानी और तालिबान फिर दो धड़ो में बट गया।

तालिबान में दो फाड़:

मीडिया रिपोट्स के मुताबिक, अफगान की नई सरकार में अब दो फाड़ हो गए हैं। एक कंधार में काबिज है और दूसरा काबुल में। कंधार का शासन तालिबान के संस्थापक नेता मुल्ला उमर के बेटे मोहम्मद मुल्ला याकूब के हाथों में हैं। जो वर्तमान में अफगान सरकार में रक्षा मंत्री भी हैं। वहीं दूसरे धड़ा में हक्कानी नेटवर्क के सर्वोच्च नेता सिराजुद्दीन हक्कानी काबुल पर कब्ज़ा कर बैठा है। दोनों में मतभेद पाकिस्तान के हस्तक्षेप और पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई के सम्पर्क को लेकर है।

अफगान में पाकिस्तान का हस्तक्षेप नहीं चाहता तालिबान:

एक और जहाँ पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई चाहती है कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्र के रूप में रहे वहीं हक्कानी नेटवर्क भी इसके समर्थन में हैं। दूसरी और तालिबानी नेता मुल्ला याकूब वाला कंधारी गुट आईएसआई और पाकिस्तान के हस्तक्षेप को अफगानिस्तान में नहीं चाहता। अफगान में दोनों गुटों के बीच सारा बवाल इसी को लेकर मचा हुआ है।

NBT की रिपोर्ट के मुताबिक, हक्कानी को पाकिस्तान का गुलाम माना जाता है। वहीं हक्कानी नेटवर्क पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारों पर चलता है। हक्कानी पहले ही आईएसआई के इशारों पर काबुल में सत्ता सांझा नहीं करना चाहता। वो पहले ही काबुल में महिलाओं की भागीदारी को नकार चुका है। हक्कानी नेटवर्क पूरी तरह आईएसआई की इशारों पर है।

काबुल में समावेशी सरकार चाहता है तालिबान:

तालिबानी नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर चाहता है कि अमेरिका, क़तर, ब्रिटेन आदि देशों के साथ प्रतिबद्धता का सम्मान किया जाना चाहिए। और काबुल में महिलाओं और अल्पसंख्यक लोगों के साथ एक समावेशी सरकार का निर्माण होना चाहिए। लेकिन हक्कानी नेटवर्क के इरादे कुछ और ही है। हक़्क़ानी के नेतृत्व में काबुल की सड़कों पर लगभग 6 हज़ार आतंकी हथियार के साथ गस्त लगा रहें है।

बता दें कि समावेशी सरकार की बात करने वाले तालिबानी नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर का मीडिया रिपोट्स के मुताबिक हक्कानी नेटवर्क ने अपहरण कर लिया है। वहीं कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि वो नाराज़ है और कंधार में है। गौरतलब है कि मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को अमेरिका के साथ शांति वार्ता के लिए मुखरता से देखा गया था।

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