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क्या क्रूड ऑइल के 31 फीसदी रेट कम होने का फ़ायदा जनता को मिलेगा ?

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साल 2014 के जून के महीने में ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत 115 डॉलर प्रति बैरल हो गई थी तब पेट्रोल की कीमत 82 रु चली गयी थी और देश में हाहाकार मच गया था। आप जानते है आज बेंट क्रूड की कीमत क्या है? आज अंतरराष्ट्रीय मार्केट में ब्रेंट क्रूड 14.25 डॉलर यानी 31.5 फीसदी टूटकर 31.02 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। यह 1991 की गल्फ वॉर शुरू होने के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है। यदि 2014 से तुलना की जाए तो जरा सोचकर बताए कि आज पेट्रोल डीजल की कीमत क्या होनी चाहिए। इक़वेशन यह है – 115 : 82 तो 31 : ?
आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि दिल्ली में आज पेट्रोल की कीमत 71 रु के आसपास बनी हुई है। मई 2014 में सत्ता में आने से पहले भाजपा अंतरराष्ट्रीय कीमतों के अनुपात में तेल की कीमतों में हो रही बढ़ोत्तरी को लेकर यूपीए सरकार के खिलाफ सख्त मोर्चा खोले हुए थी। मोदी अपनी चुनावी रैली में तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर यूपीए की कड़ी आलोचना कर रहे थे, बीजेपी के बड़े बड़े नेता संसद के सामने पेट्रोल डीजल की महंगी कीमतों के खिलाफ नाच नाच कर प्रदर्शन करते थे।
यूपीए टू के कार्यकाल में 2009 से लेकर मई 2014 तक क्रूड की कीमत 70 से लेकर 110 डॉलर प्रति बैरल तक थी। जबकि इस बीच पेट्रोल की कीमत 55 से 80 रुपये के बीच झूलती रही। मई 2014 में मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने सरकार बनाई कुछ दिनों में फिर कच्चे तेल का बाज़ार पलटने लगा।
जनवरी 2016 तक कच्चे तेल के दाम 34 डॉलर प्रति बैरल तक लुढ़क गए। मोदी सरकार ने कच्चे तेल की गिरावट की रैली का खूब फ़ायदा उठाया। इस दौरान, पेट्रोल-डीज़ल पर 9 बार उत्पाद कर (एक्साइज़ ड्यूटी) बढ़ाया गया। नवंबर 2014 से जनवरी 2016 के बीच पेट्रोल पर ये बढ़ोतरी 11 रुपये 77 पैसे और डीज़ल पर 13 रुपये 47 पैसे थे। पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री की केंद्र सरकार को मिलने वाला राजस्व लगभग तीन गुना हो गया।
जून 2017 में मोदी सरकार ने एक नया फार्मूला लागू किया अब कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतों में रोज बदलाव के तर्क के आधार पर पेट्रोल-डीजल के दाम बदले जाएंगे। इससे पहले कच्चे तेल के 15 दिनों के औसत मूल्यों के आधार पर पेट्रोल डीजल के दाम तय किये जाते थे। लेकिन इस निर्णय के बाद से यह कहा कि यदि क्रूड गिरेगा तो कीमत घटेगी ओर बढ़ेगा तो बढ़ेगी।
इस निर्णय के समर्थन में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन आईओसी ने एक बयान दिया जिसमें कहा गया था, कि ‘इस कदम से यह सुनिश्चित होगा कि तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत में छोटे से छोटे बदलाव का फायदा भी डीलरों व उपभोक्ताओं को मिले’।
कोई यह बताए कि जून 2017 के बाद से क्रूड की घटती हुई कीमतों का कितना फायदा मोदी सरकार ने आम आदमी को पुहंचाया है? जब भी क्रूड बढ़ा है, पेट्रोल डीजल के दाम तो बढ़ाए गए हैं। लेकिन जब दाम घटे है तो क्या दाम उसी अनुपात में घटाए गए हैं?
आज महंगाई फिर वही से 2014 के स्तर पर पुहंच गयी है, लेकिन क्रूड के दाम 2014 की तुलना में एक तिहाई रह गए हैं। मोदी सरकार चाहे तो एक झटके में पेट्रोल डीजल के दाम आधे से भी कम कर सकती है, लेकिन करेगी नही! और आप भी कुछ नही बोलेंगे ? बल्कि आप इस पोस्ट को लिखने वाले को ही भला बुरा कहना शुरू कर देंगे।