क्या संसद में सदस्यों की संख्या को बढ़ाकर 1000 किया जायेगा ?

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Manoj

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने बड़ा दावा किया है कि, भाजपा सरकार जल्दी ही लोकसभा में सीटों की संख्या को बढ़ाने के लिए एक प्रस्ताव लेकर आने वाली है, उन्होंने कहा है कि अगर ऐसा प्रस्ताव रखा जाएगा, तो फिर इस पर जनता की राय भी ली जानी चाहिए, उन्होंने ये भी दावा किया है कि इसके लिए पार्लियामेंट का नया चैंबर भी तैयार हो रहा है। वहीं, जानकारों का कहना है कि नई संसद में अधिक सांसदों के बैठने के लिए पर्याप्त जगह होगी और अगर नेताओं की संख्या बढ़ भी गई तो जगह की कोई कमी नहीं होगी।

मनीष तिवारी ने ट्वीट करके कहा, “मुझे भाजपा के पार्लियामेंट्री साथी ने जानकारी दी है कि 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले निचले सदन की स्ट्रेंथ 1000 या उससे ज्यादा किए जाने का प्रस्ताव रखा गया है, और जो नया पार्लियामेंट बन रहा है, उसमें भी 1000 सदस्यों के बैठने की क्षमता रखी गई है, इससे पहले कि यह फैसला लिया जाए, सरकार को चाहिए कि वो इस मुद्दे को लेकर गंभीरता से सार्वजनिक तौर पर जनता से बातचीत करे।”

कांग्रेसी नेता कार्ति चिदंबरम ने भी किया ट्वीट

मनीष तिवारी के ट्वीट पर कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम ने भी ट्वीट किया और कहा कि इस मामले पर सार्वजनिक बहस की आवश्यकता है, उन्होंने ट्वीट में लिखा, “इस मामले पर सार्वजनिक बहस की आवश्यकता है। भारत जैसे बड़े देश को ज्यादा निर्वाचित प्रतिनिधियों की जरूरत है, लेकिन अगर ये बढ़ोतरी पॉपुलेशन के आधार पर की गई तो इससे दक्षिण राज्यों का प्रतिनिधित्व और कम हो जाएगा, जो कहीं से भी सही नहीं ठहराया जा सकता।”

क्या लोकसभा सीटों की संख्या साल 2024 से पहले बढ़ सकती है?

इस सवाल का सही जवाब अभी तक नहीं है, अब तक लोकसभा और राज्यसभा की सीटों की संख्या तीन बार बढ़ाई जा चुकी है। संसद में सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए परिसीमन आयोग का गठन किया जाता है, अब तक देश में चार बार परिसीमन आयोग का गठन हो चुका है, लेकिन परिसीमन आयोग ने तीन बार ही सीटों की संख्या बढ़ाई है।

साल 2002 में परिसीमन आयोग ने सीटों की संख्या बढ़ाने का निर्णय पांचवें परिसीमन आयोग पर छोड़ दिया, पांचवें परिसिमन आयोग का गठन 2026 में होगा। विशेष बात यह है कि 84वें संशोधन के हिसाब से साल 2021 की पॉपुलेशन के बेस पर ही सीटों की संख्या बढ़ाई जाएगी, इसलिए मनीष तिवारी के दावे में सच्चाई नहीं दिखती है। हालांकि, सरकार आम सहमति या दो तिहाई बहुमत से संविधान संशोधन के साथ ऐसा करने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र है।

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