म्यामांर में पिछले छह महीनों से हो रही हिंसा और लोगो पर सेना की तरफ से किये जा रहे अत्याचारों की खबरे सामने आ रही हैं,पूरी दुनिया मे सेना की इस तानाशाही की निंदा की जा रही है।जी7 देशों (अमेरिका,कनाडा,फ्रांस,जर्मनी,इटली,जापान और ब्रेटन) ने बयान जारी कर अपील की थी कि म्यामांर में सेना आपातकाल खत्म कर चुनी हुई गणतांत्रिक सरकार को बहाल करें।
मानवाधिकारों का सम्मान करते हुए हिरासत में लिए गए नेताओ को रिहा करे,वहीं हाल ही में 7 जुलाई को यूनाइटिड नेशन ह्यूमन राइट्स कमीशन की चीफ मिशेल बाचेलेत ने एक चेतावनी दी है।
मामला क्या है वो बताएंगे लेकिन उससे पहले ये ट्वीट देखिए
दरअसल,म्यामांर में सेना द्वारा किये गए तख्तापलट और लोगो द्वारा लगातार इसके विरोध में किये जा रहे विद्रोह को लेकर बीते बुधवार UNHRC की चीफ मिशेल ने कहा “म्यामांर में सैन्य तख्तापलट के बाद आम लोगो पर हमले और हिंसा की घटनाए बढ़ गयी है।
आम जनता की नाराजगी बढ़ती जा रही है।सेना लोगो पर अत्याचार कर रही है जिसके विरोध में कई इलाकों में लोगो ने हथियार उठा लिए हैं।अब म्यामांर में धीरे धीरे ग्रह युद्ध का ख़तरा बढ़ता जा रहा है।
बाचेलेत ने आगे आसियान संगठन और दूसरे देशों से म्यामांर की सेना पर दबाव बनाने को कहा जिससे म्यामांर में लोगो पर हो रहे हमलों को रोक जा सके।
मिशेल बाचेलेत ने आगे कहा की अप्रैल में आसियान ने म्यामांर की स्थिति को लेकर एक रॉड मेप बनाया था जिस पर आसियान के सभी देशों की सहमति भी बनी थी।इस पर कदम उठाने की ज़रूरत है।
क्या था ये पूरा मामला?
बीते महीने एक फ़रवरी को म्यामांर की सेना ने अचानक रातों रात तख्तापलट कर दिया और स्टेट काउंसलर आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन मिंट समेत कई नेताओं को हिरासत में लेकर उन्हें नज़र बंद कर दिया।इसके अलावा म्यामांर में एक साल का आपातकाल लागू कर दिया गया।
जिसके बाद लोगो में खासा गुस्सा देखने को मिला।एक और जहां लोगो ने सविनय अवज्ञा आंदोलन की घोषण कर अपने काम और नौकरियों पर जाना बंद कर दिया वहीं हाथों में सेना के खिलाफ बेनर लेकर सड़को पर उतर आए।
सेना ने इस विद्रोह को कुचलने के लिए आंसू गैस के गोले और पानी की बौछार से लोगो को रोकने के साथ साथ नाईट कर्फ्यू तक लगा दिया।सेना के इस दमन में करीब 18 लोगो की मौत हुई।वहीं छह महीने में होने वाली मौत का आंकड़ा देखा जाए तो ये संख्या 900 के पास पहुंच गई है।करीब दो लाख लोग अपना घर छोड़ चुके हैं।
सैन्य तख्तापलट के पीछे ये था कारण?
सेना ने इस तख्तापलट के पीछे का कारण आम चुनावों में हुई धांधली को बताया है,सेना का कहना है कि चुनावो में पूर्ण बहुत प्रताप करने वाली सु की ने चुनावो में धांधली की है इसी वजह से वो चुनाव जीत पाई हैं,दरअसल,नवम्बर 2020 में हुए म्यामांर के आम चुनावों में सु कि की पार्टी को दोनों सदनों में 396 सीटे मिली।
जबकि विपक्षी पार्टी यूनियन सॉलिडेटरी एंड डेवलपमेंट दोनों सदनों में कुल 33 सीट हासिल कर पाई,इस पार्टी के नेता थान हिते हैं जो सेना में ब्रिगेडियर जनरल रह चुके है जिसके कारण इस पार्टी को सेना का समर्थन प्राप्त है।
चुनावो के नतीजे आने के बाद से ही सेना और सरकार के बीच मतभेद शुरू हो गया।जिसके बाद तख्तापलट हुआ और सत्ता पूरी तरह से सेना के हाथों में आ गयी और एक साल तक आपातकाल की घोषणा हुई।
ऐसा नहीं कि स्टेट काउंसलर को पहली बार नज़रबंद किया गया है।इससे पहले भी म्यामांर की स्टेट काउंसलर सु की 1989 से 2010 तक 15 सालों के लिए म्यामार में नजरबंद की जा चुकी हैं।इसी दौरान 1991 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से नवाज़ा गया था।
2015 में नेशनल लीग फ़ॉर डेमोक्रेटिक पार्टी ने सु की की अध्यक्षता में एकतरफा चुनाव लड़ा था और जीता भी था।
बहरहाल,चुनी हुई सरकार के सभी नेता नज़रबंद है और जिन्हें रिहा करने की मांग कर रहे लोगो का सैनिक साशन द्वारा दमन किया जा रहा है।
विश्व के सभी बड़े देश हो रहे अत्याचारों की निंदा तो कर रहे हैं लेकिन सीधे तौर पर एक्शन के मूड में कोई भी नहीं हैं।