दुनिया भर में भारत का नाम रोशन करने वाली शंकतुला देवी (Shakuntala Devi) को आज देश के सभी लोग जानते हैं। खासकर विद्या बालन ने शकुंतला देवी पर फिल्म बना कर उनके व्यक्तित्व और उनकी कामयाबियों को हर घर तक पहुंचा दिया गया है। शकुंतला देवी की अचीवमेंट न सिर्फ उनके लिए बल्कि देश की महिलाओं के लिए भी कई मायनों में महत्वपूर्ण है। शकुंतला देवी ने सबसे ऊंचा मकाम ऐसे क्षेत्र में हासिल किया, जिसमें मर्दों के वर्चस्व का क्षेत्र माना जाता है।
हम सब जानते हैं कि शकुंतला देवी एक महान गणितज्ञ थीं। वह सैकडों में बड़े से बड़ा सवाल उंगलियों पर हाल के दिया करती थीं। उनकी इसी कला ने उन्हें विश्व भर में मानव कंप्यूटर के नाम से मशहूर कर दिया।
कन्नड़ बैकग्राउंड से थी शकुंतला देवी
शकुंतला देवी कर्नाटक के बैंगलोर की रहने वाले थीं, उनका जन्म बैंगलोर के एक रूढ़िवादी कन्नड़ ब्राह्मण परिवार में हुआ था। जब तीन साल की उम्र में ताश खेलते हुए वो अपने पिता को लगातार हारा देती, तब उनके पिता को अंदाजा हुआ कि उनकी बेटी कोई मामूली लड़की नहीं बल्कि कोई जीनियस है। शुकंतला का परिवार काफी गरीब था। उनके पिता एक सर्कस में काम किया करते थे। लेकिन जब उनके पिता को शकुंतला देवी की प्रतिभा के अंदाजा हुआ, तो उन्होंने सर्कस छोड़ कर शकुंतला के साथ गणित के सार्वजानिक कार्यक्रम करने शुरू कर दिए। इन्हीं शोज की बदौलत उन्हें लंदन में भी एक अलग पहचान मिली।
28 सेकंड में 13 अंकों को गुणा कर बनाया रिकॉर्ड
शकुंतला देवी एक प्रतिभावान महिला थीं और इसी प्रतिभा के कारण उन्होंने कामयाबी के नए कृतिमान स्थापित किए। मानव कंप्यूटर की उपाधि हासिल करना शकुंतला देवी के जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि थी। जब शकुंतला लंदन में रहती थी तब उन्हें ब्रिटेन के इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन में कंप्यूटर का सामना करने के लिए बुलाया गया। जिसमें शकुंतला ने कम्प्यूटर से पहले 13 अंकों का गुणात्मक सवाल हल कर दिया। 18 जून,1980 के दिन शकुंतला ने कम्प्यूटर को महज 28 सेकंड के अंदर मात दे दी। और बन गईं दुनिया की पहली मानव कंप्यूटर ।
40 साल बाद दर्ज हुआ गिनीज वर्ल्ड में नाम
जब शकुंतला देवी की जीवनी पर फिल्म बनाई जा रही थी, उस वक्त शकुंतला की बेटी ने फ़िल्म की टीम को बताया कि उनकी मां को मानव कंप्यूटर की उपाधि तो मिली, लेकिन किसी प्रकार का आधिकारिक प्रमाणपत्र नहीं दिया गया। जब ये बात सामने आई तो, मानव कंप्यूटर की उपाधि पाने के 40 साल बाद, मरणोपरांत उनकी बेटी अनुपमा बैनर्जी को गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Guinness book of world record) की तरफ से आधिकारिक प्रमाण पत्र सौंपा गया।
दस साल की थी जब मां ने ये रिकॉर्ड बनाया: अनुपमा
शकुंतला देवी ने 13-13 अंकों की दो संख्याओं को महज 28 सेकेंड में सही गुणा कर दिया था। इस विश्व रिकॉर्ड का प्रमाणपत्र उनकी बेटी अनुपमा ने प्राप्त किया, तो उन्होंने बताया कि जब शकुंतला देवी ने ये रिकॉर्ड बनाया, उस समय अनुपमा कुल 10 साल की थीं। वह कहती हैं “मैं जहां भी जाती थी, लोग उस रिकॉर्ड के बारे में बात करते थे। इसलिए मुझे पता था कि दुनिया भर में यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। मुझे ट्रोकाडेरो सेंटर (लंदन के कोवेंट्री स्ट्रीय पर स्थित मनोरंजन परिसर) जाना याद है। उनके यहां एक कमरा है जिसमें मां की तस्वीरें हैं। यह अकल्पनीय था।’’
विद्या बालन ने निभाया था शकुंतला देवी का किरदार
शकुंतला देवी पर एक बेहतरीन फ़िल्म भी बन चुकी है। जिसमें उनके जीवन के कई पहलुओं की दिखाया गया है। इस फिल्म में न सिर्फ उनकी प्रतिभा के बारे में बात की गई है बल्कि ये भी बताया गया है कि वह एक सफल शख्सियत होने के साथ कितनी मजबूत और अपने फैसलों पर अडिग रहने वाली महिला थीं। इस फिल्म में विद्या बालन ने अनु मेनन के निर्देशन में काम किया।
हालांकि, फिल्म कोरोना काल में रिलीज हुई इसलिए इसे दर्शक सिनेमा घरों में जाकर नहीं देख पाए। पर अमेजन प्राइम ( ओटीटी ) रिलीज होने के बावजूद दर्शकों ने इस फिल्म को काफी सराहा।
अनुपमा ने की विद्या बालन और सान्या के काम की तारीफ
फिल्म के किरदारों और अभिनय की तारीफ करते हुए अनुपमा बैनर्जी ने कहा- विद्या बालन ने मां का किरदार बहुत ही खूबसूरती से निभाया। साथ ही अपना किरदार निभाने वाली अभिनेत्री सान्या मल्होत्रा की भी उन्होंने जमकर तारीफ की थी। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के चीफ एडिटर क्रेज ग्लेनडी (Craig Glenday) शकुंतला देवी की तारीफ की और कहा- इतने सालों बाद भी शकुंलता देवी की यह अदभुत उपलब्धि उनके अभिलेखागार का हिस्सा है। उन्होंने आगे बताया कि इस रिकॉर्ड को तोड़ने की बात तो दूर कोई इस रिकॉर्ड की बराबरी भी नहीं कर पाया। “मानव कंप्यूटर के जीवन और उनके करियर का दुनिया भर में जश्न मनाया जाना बहुत समय से लंबित था और गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड को इसमें अपनी भूमिका निभाकर गर्व महसूस हो रहा है।”